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Report: सेबी चेयरमैन और शीर्ष अधिकारियों को संपत्ति-देयता का खुलासा करना होगा, समिति की सिफारिश

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला। Published by: शुभम कुमार Updated Thu, 13 Nov 2025 05:39 AM IST
सार

पूर्व सीवीसी प्रत्यूष सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति ने सुझाव दिया है कि सेबी चेयरमैन, पूर्णकालिक सदस्य और वरिष्ठ अधिकारी अपनी संपत्तियों, देनदारियों और हितों का खुलासा करें ताकि पारदर्शिता बढ़े। चेयरमैन तुहिन कांत पांडे को रिपोर्ट सौंपी गई है। अंशकालिक सदस्यों को इससे छूट देने का प्रस्ताव है।

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Committee recommends SEBI chairman and top officials to disclose asset-liability details News In Hindi
सेबी - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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पूंजी बाजार नियामक सेबी चेयरमैन और इसके वरिष्ठ अधिकारियों को संपत्तियों और देनदारियों का खुलासा करना चाहिए। उच्च स्तरीय समिति ने सुझाव दिया है कि पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए यह जरूरी है पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रत्यूष सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि सेबी बोर्ड के सभी सदस्यों और कर्मचारियों को व्यापारिक गतिविधियों और पारिवारिक संबंधों के साथ अन्य पेशेवर और हितों का प्रारंभिक, वार्षिक, घटना आधारित और संस्थान छोड़ने संबंधी खुलासा करना चाहिए।

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सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे को रिपोर्ट सौंपी गई है। चेयरमैन व सदस्यों के पद व लेटरल एंट्री पदों के लिए आवेदकों को नियुक्ति प्राधिकारी के समक्ष वित्तीय और गैर-वित्तीय प्रकृति के वास्तविक, संभावित और अनुमानित हितों के टकराव के जोखिमों का खुलासा करना होगा। चेयरमैन, पूर्णकालिक सदस्य व मुख्य महाप्रबंधक और उससे ऊपर के स्तर के कर्मचारियों को संपत्तियों और देनदारियों का विवरण देना होगा। बोर्ड के अंशकालिक सदस्यों को छूट दी जा सकती है, क्योंकि वे सेबी की रोजाना की नियामक गतिविधियों को नहीं संभालते हैं।
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मार्च में समिति गठन का हुआ था निर्णय
मार्च में सेबी बोर्ड ने सदस्यों व अधिकारियों द्वारा संपत्ति, निवेश, देनदारियों व अन्य संबंधित मामलों के खुलासे से संबंधित प्रावधानों की समीक्षा के लिए समिति गठित करने का निर्णय लिया था। यह कदम सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच पर लगे आरोपों के बाद उठाया गया है। बुच पर हितों के टकराव के कारण अदाणी समूह के खिलाफ जांच रोकने का आरोप लगाया गया था।

उदय कोटक सहित कई लोग समिति में
समिति में इंजेती श्रीनिवास उपाध्यक्ष थे। सदस्यों में उदय कोटक, जी महालिंगम, सरित जाफा व आर नारायणस्वामी थे। समिति के कार्यक्षेत्र में हितों के टकराव को नियंत्रित करने वाली नीतियों और ढांचों की समीक्षा करना, किसी भी कमियों या अस्पष्टताओं की पहचान करने जैसे विषय भी शामिल हैं। हितों के टकराव व खुलासा से संबंधित चिंताओं को उठाने हेतु एक तंत्र का सुझाव भी दिया गया है।

बुच पर हिंडनबर्ग ने लगाया था आरोप
बुच पिछले साल हिंडनबर्ग रिसर्च की आलोचना का शिकार हुई थीं। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि बुच व उनके पति के पास बरमूडा और मॉरीशस की संस्थाओं में छिपी हुई हिस्सेदारी थी, जो अदाणी समूह के संस्थापक गौतम अदाणी के बड़े भाई द्वारा भी प्राप्त की गई थी।

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