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GTRI: निर्यात को बढ़ावा देने की केंद्र की नीति पर जीटीआरआई ने जताई चिंता, इन चीजों को बताया बड़ी चुनौती

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Thu, 13 Nov 2025 11:57 AM IST
सार

थिंक टैंक जीटीआरआई ने कहा कि सरकार द्वारा मंजूर किए गए एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन की सफलता तेज़ी से दिशा-निर्देश जारी करने, पर्याप्त फंड जुटाने और मजबूत समन्वय तंत्र बनाने पर निर्भर करेगी। आइए विस्तार से जानें।

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GTRI expresses concern over the Centre's policy to promote exports, calling these things a major challenge
निर्यात - फोटो : Istock
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विस्तार
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देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से मंजूर एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन की सफलता कई अहम कारकों पर निर्भर करेगी। थिंक टैंक जीटीआरआई ने गुरुवार को कहा कि मिशन को प्रभावी बनाने के लिए विस्तृत दिशानिर्देशों का जल्द जारी होना, पर्याप्त वित्तीय संसाधन और मंत्रालयों के बीच मजबूत समन्वय बेहद जरूरी है। सरकार ने 25,060 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य एमएसएमई, नए निर्यातकों और श्रम-प्रधान क्षेत्रों की निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है।

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ये कारक बन सकते हैं चुनौतीपूर्ण

जीटीआरआई ने कहा कि छह वर्षों में 25,060 करोड़ रुपये का कुल प्रावधान औसतन हर साल 4,200 करोड़ रुपये से भी कम बैठता है। संस्था के अनुसार सिर्फ पिछले वर्ष ही ब्याज समकारी योजना पर ही 3,500 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आया था। ऐसे में ब्रांडिंग, पैकेजिंग, ट्रेड फेयर, कॉम्प्लायंस और लॉजिस्टिक्स जैसे कई अहम कामों के लिए बहुत सीमित फंड बचता है, जो मिशन के क्रियान्वयन को चुनौतीपूर्ण बना सकता है।


इसमें कहा गया है कि एक अन्य मुद्दा यह है कि 2025-26 के आठ महीने पहले ही बीत चुके हैं और एमएआई (बाजार पहुंच पहल) और आईईएस जैसे पुराने कार्यक्रम, जो पिछले साल तक संचालित थे। इसमें इस साल कोई भुगतान नहीं किया है, जिससे निर्यातकों को कठिन वैश्विक माहौल के दौरान समर्थन नहीं मिल पा रहा है।

मिशन की सफलता मजबूत समन्वय तंत्र बनाने पर करेगी निर्भर

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह मिशन एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन इसकी सफलता शीघ्र विस्तृत दिशानिर्देश जारी करने, पर्याप्त वित्तपोषण सुनिश्चित करने और मजबूत समन्वय तंत्र बनाने पर निर्भर करेगी।

ऑनलाइन प्रणाली विकसित करने पर दिया जोर

उन्होंने कहा कि मिशन अभी भी एक व्यापक रूपरेखा मात्र है और अब इसे पात्रता, प्रक्रियाओं और संवितरण नियमों को निर्दिष्ट करने वाले सटीक दिशा-निर्देशों के साथ विस्तृत योजनाओं में परिवर्तित करने की आवश्यकता है। श्रीवास्तव ने कहा कि एक नई ऑनलाइन प्रणाली भी विकसित की जानी चाहिए। निर्यातकों को कोई लाभ मिलने में यह सब करने में महीनों लग सकते हैं।


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