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Import: कमजोर रुपये व कच्चे तेल की महंगाई से बढ़ा आयात बिल, 1.21 लाख करोड़ मूल्य का इलेक्ट्रॉनिक्स इंपोर्ट

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 10 Dec 2025 06:26 AM IST
सार

देश के आयात बिल में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसकी वजह रुपये की कमजोरी और कच्चे तेल की महंगाई है। बता दें कि मेक इन इंडिया के तहत हुई प्रगति के बावजूद भारत सेमीकंडक्टर, डिस्प्ले पैनल, कैमरा सेंसर और एसी कंप्रेसर जैसे उच्च मूल्य वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के आयात पर अधिक निर्भर है।

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Import bill rises due to weak rupee and rising crude oil prices, electronics imports worth Rs 1.21 lakh crore
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Istock
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देश का आयात बिल एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है। इसकी वजह कमजोर रुपया, सोने और कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी और आयातित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर लगातार निर्भरता है। इससे अक्तूबर में व्यापार घाटा बढ़कर 41.68 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। कमजोर रुपया भारत के बढ़ते आयात बोझ का सबसे बड़ा कारण है। मुद्रा का मूल्य कम होने से भारत को उतनी ही मात्रा में विदेशी सामान खरीदने के लिए अधिक खर्च करना पड़ता है। चूंकि देश बड़े पैमाने पर कच्चा तेल, सोना व इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आयात करता है, इसलिए रुपये में मामूली गिरावट भी कुल आयात बिल को बढ़ा देती है।
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रिकॉर्ड निचले स्तर पर रुपया
3 दिसंबर को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर 90 से भी नीचे पहुंच गया। यह एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया।

सोने की कीमतों में तेजी बरकरार
देशों के बीच तनावों और आर्थिक अनिश्चितता के बीच वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में तेजी आई है। स्थानीय मांग में कमी के कारण घरेलू कीमतें थोड़ी गिरकर 1,33 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम पर हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में तेजी का मतलब है कि भारत समान मात्रा में सोने के लिए अधिक डॉलर का भुगतान कर रहा है। इससे कुल आयात बिल बढ़ रहा है।

1.21 लाख करोड़ मूल्य का इलेक्ट्रॉनिक्स आयात
लगभग एक दर्जन इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों ने 2024-25 में 1.21 लाख करोड़ से अधिक मूल्य के पुर्जों और उत्पादों का आयात किया। यह पिछले वर्ष की तुलना में 13% अधिक है।

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कच्चे तेल का आयात - दोहरा प्रभाव
तेल की कीमतें सामान्य रहने पर भी कच्चा तेल आयात बिल पर सबसे अधिक बोझ डालता है। भारत जरूरत का 85% से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है। इसका भाव 63-64 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहने से कुल कीमत प्रबंधनीय लग सकती है लेकिन कमजोर रुपया लागत को कई गुना बढ़ा देता है।

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