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क्या एविएशन में खत्म होगा गिनी-चुनी कंपनियों का दबदबा: सरकार ने दी नई एयरलाइंस को मंजूरी, जानिए एंट्री किनकी

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Wed, 24 Dec 2025 05:30 PM IST
सार

India Aviation Sector: भारत में इंडिगो और एअर इंडिया की 'डुओपोली' कम करने की दिशा में सरकार ने कदम आगे बढ़ाया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया है कि सरकार ने अल हिंद एयर और फ्लाई एक्सप्रेस जैसी नई एयरलाइंस को मंजूरी दी है। वहीं, उत्तर प्रदेश में स्थित शंख एयर भी विमानन सेवाएं शुरू करने के लिए तैयार है। पढ़ें कैसे नई एयरलाइंस के विमानन बाजार में आने से बदलेगी एविएशन सेक्टर की तस्वीर।

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एविएशन सेक्टर में नए खिलाड़ी - फोटो : amarujala.com
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विस्तार
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इंडिगो परिचालन संकट के बाद भारतीय विमानन क्षेत्र को गिनी-चुनी कंपनियों के वर्चस्व से बाहर निकालने के लिए सरकार ने बढ़ा फैसला लिया है। भारत का एविएशन बजार पिछले कुछ समय से इंडिगो और एअर इंडिया जैसी विमानन कंपनियों के वर्चस्व या 'डुओपोली' (Duopoly) में सिमट कर रह गया था। सरकार के ताजा कदम से इस हालात में बदलाव हो सकता है। केंद्र सरकार ने बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के उद्देश्य से नई एयरलाइनों को हरी झंडी दिखा दी है।

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नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अल-हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी किया है। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश स्थित शंख एयर भी 2026 में अपनी सेवाएं शुरू करने की तैयारी में है। इस विमानन कंपनी को पूर्व में ही एनओसी मिल चुकी है।
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विमानन क्षेत्र में एकाधिकार खत्म करने की कवायद
वर्तमान में भारतीय आसमान पर टाटा समूह की एअर इंडिया और इंडिगो का एकछत्र राज है। डीजीसीए  के आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू बाजार का 90% से अधिक हिस्सा इन्हीं दो समूहों के पास है। इसमें भी करीब 65% हिस्सेदारी अकेले इंडिगो के पास है। इस 'डुओपोली' के कारण अक्सर यात्रियों को सीमित विकल्पों और मनमाने किरायों का दंश झेलना पड़ता है। हाल ही में इंडिगो एयरलाइन में आई तकनीकी खामियों ने यह साबित कर दिया कि बाजार का एक ही खिलाड़ी पर अत्यधिक निर्भर होना कितना जोखिम भरा हो सकता है।



केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि सरकार का उद्देश्य विमानन बाजार में नए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना है ताकि बाजार में संतुलन बना रहे और यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।

कौन हैं विमानन बाजार के नए खिलाड़ी?

अल-हिंद एयर 

केरल स्थित अल-हिंद ग्रुप द्वारा प्रवर्तित यह एयरलाइन दक्षिण भारत से अपनी शुरुआत करने जा रही है। अल-हिंद ग्रुप पहले से ही ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर में एक बड़ा नाम है, जिसका टर्नओवर लगभग 20,000 करोड़ रुपये बताया जाता है। कंपनी की योजना शुरुआत में एटीआर-72 (ATR-72) विमानों के साथ क्षेत्रीय मार्गों पर उड़ान भरने की है, और भविष्य में एयरबस A320 विमानों के साथ अंतरराष्ट्रीय मार्गों, विशेषकर खाड़ी देशों (Gulf countries) को जोड़ने का लक्ष्य है। अल हिन्द एयर का प्रवर्तक केरल स्थित अल हिन्द ग्रुप है। इस समूह की जड़ें 1990 के दशक की शुरुआत में जमी थीं, जब इसने एक छोटी ट्रैवल एजेंसी के रूप में शुरुआत की थी। 

मीडिया रिपोर्ट्स और कंपनी के दावों के अनुसार, समूह का कुल टर्नओवर 20,000 करोड़ रुपये से अधिक है ।  ट्रैक्सन (Tracxn) के आंकड़ों के अनुसार, समूह की प्रमुख कंपनी 'अल हिन्द टूर्स एंड ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड' का वित्त वर्ष 2024 में राजस्व (Revenue) लगभग 1,740 करोड़ रुपये था । यह आंकड़ा भी किसी भारतीय स्टार्टअप एयरलाइन के लिए एक अत्यंत मजबूत वित्तीय आधार है।  
 
कंपनी के संस्थापकों में दो नाम प्रमुख हैं-
  • टी. मोहम्मद हारिस: ये कंपनी के चेयरमैन है। हारिस के पास ट्रैवल उद्योग का 30 वर्षों से अधिक का अनुभव है और वे 'इंडियन हज उमराह एसोसिएशन' के संस्थापक महासचिव हैं । हज और उमराह यात्राओं में उनकी पकड़ एयरलाइन के लिए एक निश्चित यात्री आधार सुनिश्चित करती है।  
  • पीवी वल्सराज: ये कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर है। उनका विमानन क्लबों और आईएटीए (IATA) एजेंट एसोसिएशन के साथ गहरा जुड़ाव रहा है।   
शंख एयर
यह उत्तर प्रदेश की पहली अपनी एयरलाइन होगी। लखनऊ और नोएडा (जेवर एयरपोर्ट) को अपना हब बनाने वाली शंख एयर को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है और इसके 2026 तक परिचालन शुरू करने की उम्मीद है। यह एयरलाइन उत्तर भारत के शहरों को प्रमुख महानगरों से जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करेगी। शंख एअर की नींव ईंट, सीमेंट और सेरामिक्स के कारोबार पर रखी गई थी? महज 11 महीने पुरानी इस एविएशन कंपनी का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।
  • 2022 में हुई थी शुरुआत: 'शंख एजेंसी' से 'शंख एविएशन' तक

इस कारोबारी सफर की शुरुआत साल 2022 में हुई थी, जब श्रवण विश्वकर्मा ने 'शंख एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड' (Shankh Agency Pvt Ltd) की स्थापना की थी। उस समय इस कंपनी का एविएशन से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। महज कुछ ही समय में कंपनी ने अपनी दिशा बदली और एविएशन सेक्टर में कदम रखने का साहसिक फैसला लिया। इस बदलाव के साथ ही कंपनी का नाम बदलकर 'शंख एविएशन प्राइवेट लिमिटेड' कर दिया गया।
एविएशन इंडस्ट्री में कदम रखने के बाद, इस नए अवतार में कंपनी को महज 11 महीने हुए हैं। इतनी कम अवधि में कंपनी ने अपनी मजबूत वित्तीय स्थिति का परिचय दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस महज 11 महीने पुरानी कंपनी का शेयर कैपिटल 50 करोड़ रुपये है, जो किसी भी स्टार्टअप एयरलाइन के लिए एक ठोस शुरुआत मानी जा सकती है।

कंपनी की कमान अनुभवी हाथों में है। कंपनी के शीर्ष नेतृत्व में तीन प्रमुख नाम शामिल हैं:

  • श्रवण कुमार (चेयरमैन): कंपनी की पूरी बागडोर और विजन श्रवण कुमार के पास है।
  • अनुराग छाबड़ा (डायरेक्टर): बोर्ड में शामिल होकर रणनीतिक फैसले लेते हैं।
  • कौशिक सेनगुप्ता (डायरेक्टर): कंपनी के संचालन में अहम भूमिका निभाते हैं।
फ्लाईएक्सप्रेस 
इस नई एयरलाइन को भी मंत्रालय से एनओसी मिल गई है, जो इस क्षेत्र में नए निवेश और अवसरों का संकेत है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, फ्लाईएक्सप्रेस की जड़ें तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में हैं। यह एयरलाइन एक स्थापित कुरियर और कार्गो कंपनी की ओर से प्रमोट की जा रही है। फ्लाईएक्सप्रेस के प्रमोटर्स पहले से ही लॉजिस्टिक्स, डोमेस्टिक और इंटरनेशनल कुरियर सर्विस में एक जाना-माना नाम हैं।

वर्षों तक जमीन पर लोगों का सामान एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने के बाद, अब कंपनी ने यात्रियों को आसमान की सैर कराने का फैसला किया है। लॉजिस्टिक्स में अनुभव होने के कारण, माना जा रहा है कि कंपनी के पास पहले से ही एक मजबूत ऑपरेशनल नेटवर्क और मैनेजमेंट की समझ है, जिसका फायदा उन्हें एयरलाइन संचालन में मिल सकता है। इसके मालिक के. सुरेश (K. Suresh) बताए जाते हैं। कंपनी का पूरा नाम 'फ्लाई एक्सप्रेस कूरियर एंड कार्गो सर्विसेज' है, मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय पार्सल, दस्तावेज़ और कार्गो मूवमेंट में काम कर रही है।

क्या यात्रियों को मिलेगा सस्ता टिकट?
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि नए खिलाड़ियों के आने से 'फेयर वॉर' शुरू हो सकती है, जिसका सीधा फायदा यात्रियों को कम किराए के रूप में मिलेगा। "उड़ान" (UDAN) योजना के तहत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ने से टियर-2 और टियर-3 शहरों के यात्रियों को भी अब मेट्रो शहरों जैसी कनेक्टिविटी मिलने की उम्मीद है।

चुनौतियों भरा है भारत के विमानन बाजार में परिचालन
हालांकि, भारतीय एविएशन सेक्टर का इतिहास काफी उथल-पुथल भरा रहा है। गो फर्स्ट और जेट एयरवेज जैसी स्थापित एयरलाइन कंपनियों के ठप पड़ जाने से यह पता चलता है कि यह बाजार कितना संवेदनशील है। ईंधन की बढ़ती कीमतें और परिचालन लागत नई एयरलाइनों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होंगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या अल-हिंद एयर, फ्लाईएक्सप्रेस और शंख एयर भारतीय एविएशन बाजार के समीकरण बदल पाएंगे या इंडिगो और एयर इंडिया की बादशाहत ऐसे ही कायम रहेगी।
 

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