FTA: न्यूजीलैंड के बाजार पर किसका दबदबा? जानें जीटीआरआई ने भारत को हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए दिए क्या सुझाव
GTRI की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूजीलैंड के आयात बाजार में चीन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है, जबकि भारत की मौजूदगी अभी काफी सीमित है। भारत कई उत्पादों में वैश्विक स्तर पर बड़ा निर्यातक होने के बावजूद न्यूजीलैंड को बहुत कम निर्यात करता है। आइए विस्तार से जानते हैं।
विस्तार
न्यूजीलैंड के आयात बाजार में फिलहाल चीन का दबदबा बना हुआ है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूजीलैंड के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 10 अरब डॉलर से ज्यादा है, जबकि वित्त वर्ष 2025 में भारत का निर्यात सिर्फ 71.1 करोड़ डॉलर रहा। यह स्थिति तब है, जब भारत कई उत्पाद श्रेणियों में दुनिया का बड़ा निर्यातक है।
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भारत अब भी न्यूजीलैंड के बाजार में कम हिस्सेदारी रखता है
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब भी न्यूजीलैंड के बाजार में कम प्रतिनिधित्व वाला देश बना हुआ है। हालांकि हाल ही में पूरा हुआ भारत- न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता (FTA) इस अंतर को पाटने में अहम भूमिका निभा सकता है। एफटीए से प्रोसेस्ड फूड, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन, एयरोस्पेस और फर्नीचर जैसे क्षेत्रों में भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
जीटीआरआई के मुताबिक, भारत कई ऐसे उत्पादों में वैश्विक स्तर पर बड़ा निर्यातक है, जिनका न्यूजीलैंड भारी मात्रा में आयात करता है, लेकिन इसके बावजूद भारत की हिस्सेदारी बेहद कम है। वित्त वर्ष 2025 में न्यूजीलैंड का कुल आयात करीब 50 अरब डॉलर रहा, जिसमें भारत से आयात सिर्फ 711 मिलियन डॉलर और चीन से 10 अरब डॉलर से ज्यादा का रहा।
प्रोसेस्ड फूड में बड़ा अंतर
रिपोर्ट में खासतौर पर प्रोसेस्ड फूड सेक्टर में बड़े अंतर की ओर इशारा किया गया है। उदाहरण के तौर पर, भारत का बेकरी उत्पादों का वैश्विक निर्यात 60.2 करोड़ डॉलर का है, लेकिन न्यूजीलैंड को निर्यात सिर्फ 65 लाख डॉलर का है। इसी तरह, भारत दुनिया को 81.7 करोड़ डॉलर के खाद्य पदार्थों का निर्यात करता है, जबकि न्यूजीलैंड को इसकी सप्लाई महज 77 लाख डॉलर की है। ये आंकड़े एफटीए के तहत भारतीय निर्यातकों के लिए साफ मौके दिखाते हैं।
फार्मा सेक्टर में भी बड़ी संभावना
फार्मास्यूटिकल्स भी एक प्रमुख अवसर वाला क्षेत्र है। न्यूजीलैंड दवाओं का करीब 96.2 करोड़ डॉलर का आयात करता है, लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 7.5 करोड़ डॉलर की है। जीटीआरआई का कहना है कि यह कमी क्षमता की नहीं, बल्कि बाजार में कम पैठ की वजह से है, जिसे एफटीए के जरिए दूर किया जा सकता है।
रिपोर्ट में साल 2024 के व्यापार आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण करते हुए बताया गया कि ऐसे कई उत्पाद हैं, जहां भारत का वैश्विक निर्यात 200 मिलियन डॉलर से ज्यादा है और न्यूजीलैंड का आयात 150 मिलियन डॉलर से ऊपर है, लेकिन फिर भी भारत की बाजार हिस्सेदारी बेहद सीमित है।
असली फायदा अभी आना बाकी
GTRI ने कहा कि भारत-न्यूजीलैंड एफटीए भले ही पूरा हो चुका है, लेकिन इसके ज्यादातर फायदे अभी सामने आने बाकी हैं। अगर इसे प्रभावी तरीके से लागू किया गया, तो यह समझौता दोनों देशों के बीच मौजूदा व्यापार अंतर को कम कर सकता है और सीमित द्विपक्षीय व्यापार को एक गहरे और विविध आर्थिक साझेदारी में बदल सकता है।