Report: डेटा एम्बेसी और Data सिटी से भारत कैसे बन सकता है दुनिया का बड़ा डिजिटल हब? रिपोर्ट में दिया गया सुझाव
PwC की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत डेटा एम्बेसी और डेटा सिटी जैसे नए मॉडल अपनाकर दुनिया का भरोसेमंद डिजिटल हब बन सकता है। डेटा एम्बेसी के जरिए भारत विदेशी सरकारों और संस्थाओं का अहम डेटा सुरक्षित तरीके से होस्ट कर सकेगा। वहीं डेटा सिटी से डेटा सेंटर, क्लाउड, एआई और डिजिटल सेवाओं को एक जगह बढ़ावा मिलेगा।
विस्तार
भारत के पास वैश्विक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर इनोवेशन में अग्रणी भूमिका निभाने का बड़ा अवसर है। पीडब्ल्यूसी की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत डेटा एम्बेसी और डेटा सिटी जैसे उभरते मॉडल अपनाता है, तो वह दुनिया के लिए एक भरोसेमंद डिजिटल केंद्र बन सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विदेशी सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को 'डेटा एम्बेसी' जैसी व्यवस्था की पेशकश कर सकता है। इस मॉडल के तहत टैक्स-न्यूट्रल जोन, संप्रभु प्रतिरक्षा से जुड़े ढांचे और मजबूत साइबर सुरक्षा गारंटी जरूरी होंगी। ऐसा करने से भारत अन्य देशों के अहम डिजिटल डेटा को सुरक्षित रूप से होस्ट करने वाला भरोसेमंद देश बन सकता है।
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डेटा सिटी का प्रस्ताव
पीडब्लूसी ने रिपोर्ट में डेटा सिटी विकसित करने का भी सुझाव दिया है। ये ऐसी विशेष शहर या हब होंगे, जहां डेटा सेंटर, क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब और डिजिटल सेवाएं एक ही नीति और टैक्स ढांचे के तहत काम करेंगी। लक्षित प्रोत्साहन, रेगुलेटरी सैंडबॉक्स और रेडी इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए कंपनियों के लिए भारत में कारोबार शुरू करना और विस्तार करना आसान होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, डेटा एम्बेसी और डेटा सिटी का संयुक्त प्रभाव एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार करेगा, जिससे वैश्विक पूंजी आकर्षित होगी, इनोवेशन को रफ्तार मिलेगी, बेहतर नौकरियां पैदा होंगी और वैश्विक डिजिटल वैल्यू चेन में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
डिजिटल अर्थव्यवस्था में तेज बढ़त
रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान जीडीपी में 11.74 फीसदी (करीब 0.402 ट्रिलियन डॉलर) रहा। यह हिस्सेदारी अर्थव्यवस्था की कुल वृद्धि दर से लगभग दोगुनी रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है और वित्त वर्ष 2029-30 तक यह राष्ट्रीय आय के करीब 20 फीसदी तक पहुंच सकती है, जो कृषि और मैन्युफैक्चरिंग से भी ज्यादा होगी।
डेटा सेंटर क्षमता में बड़ा उछाल
डिजिटल अपनाने के साथ भारत में डेटा सेंटर की मांग करीब नौ गुना बढ़ चुकी है। मौजूदा समय में देश की इंस्टॉल्ड डेटा सेंटर क्षमता 1.5 गीगावॉट है, जो 2025 से 2035 के बीच 20-24 फीसदी की वार्षिक दर से बढ़ने का अनुमान है। 2035 तक कुल क्षमता करीब 14 गीगावॉट तक पहुंच सकती है, जिसमें घरेलू और वैश्विक निवेशकों की बड़ी भूमिका होगी।
लागत और ग्रीन एनर्जी से बढ़त
PwC ने यह भी बताया कि सिंगापुर, ताइवान, मलेशिया और दक्षिण कोरिया जैसे हब की तुलना में भारत में डेटा सेंटर निर्माण की लागत कम है। साथ ही, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की भारत की क्षमता भी बड़ा प्लस पॉइंट है, क्योंकि डेटा सेंटर के लिए भरोसेमंद और टिकाऊ बिजली बेहद जरूरी होती है।
नीति और टैक्स में स्पष्टता जरूरी
रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि इस क्षेत्र में टिकाऊ विकास के लिए निवेशकों के अनुकूल, स्पष्ट और पूर्वानुमेय टैक्स व नियामक माहौल जरूरी है। पूरे प्रोजेक्ट लाइफ-साइकल में साफ टैक्स नीतियां निवेशकों का भरोसा बढ़ाने और भारत को भविष्य के लिए तैयार डिजिटल हब बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी।