What GTRI Says on IND-NZ Trade: भारत-न्यूजीलैंड को अगले पांच साल में व्यापार दोगुना करना चाहिए; ये कितना अहम?
जीटीआरआई के अनुसार भारत और न्यूजीलैंड को चुनिंदा उत्पादों पर आयात शुल्क घटाकर और कृषि व सेवाओं में सहयोग बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसमें कहा गया है कि सीधी उड़ानें, सरल वीजा नियम और आईटी, स्वास्थ्य व विमानन में पेशेवर योग्यताओं की आपसी मान्यता से सेवाओं का व्यापार तेज हो सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं।
विस्तार
भारत और न्यूजीलैंड को चुनिंदा उत्पादों पर आयात शुल्क में कटौती कर अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसके साथ ही कृषि जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। यह सुझाव थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने दिया।
जीटीआरआई ने कहा कि सेवाओं के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के बीच अधिक सीधी उड़ानें, सरल वीजा नियम और पेशेवर योग्यताओं की आपसी मान्यता अहम होगी। विशेष रूप से आईटी, स्वास्थ्य सेवा और विमानन क्षेत्रों में इससे अवसर बढ़ सकते हैं।
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दोनों देश अगले पांच वर्षों में बीटीए को दोगुना कर सकते हैं
एजेंसी के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों देश चुनिंदा उत्पादों पर शुरुआती टैरिफ राहत, व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान और कृषि, वानिकी, फिनटेक व शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सेक्टोरल सहयोग के जरिए अगले पांच वर्षों में दोतरफा व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य तय कर सकते हैं।
भारत-न्यूजीलैंड के बीच जल्द हो सकता है एफटीए
भारत और न्यूजीलैंड एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत के समापन की घोषणा करने वाले हैं। इसके लिए बातचीत 2010 में शुरू हुई थी, फिर नौ दौर के बाद 2015 में रुक गई थी और इस साल फिर से शुरू की गई थी।इस वर्ष 5 से 9 मई को वार्ता का पहला दौर आयोजित किया गया था।
दोनों देशों के लिए क्यों है यह समझौता अहम?
श्रीवास्तव ने कहा कि यह समझौता वस्तुओं पर शुल्क कम करने, सेवाओं तक पहुंच में सुधार करने और व्यापार सुविधा को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जबकि राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों, विशेष रूप से डेयरी क्षेत्र में नीतिगत गुंजाइश को बनाए रखेगा।
उन्होंने आगे कहा कि इस समझौते के तहत, औद्योगिक उत्पादों, वस्त्रों, इंजीनियरिंग सामानों, ईंधनों और कुछ कृषि उत्पादों की एक विस्तृत शृंखला पर शुल्क समाप्त या काफी कम होने की उम्मीद है। वहीं संवेदनशील कृषि उत्पादों को बहिष्करण सूचियों, शुल्क-दर कोटा और लंबी चरणबद्ध समाप्ति अवधि के माध्यम से संरक्षित किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि सीमा शुल्क सुविधा, मानकों, लघु व मध्यम उद्यमों, स्थिरता और विवाद निपटान संबंधी प्रावधानों के साथ-साथ सेवा प्रतिबद्धताओं से आईटी, व्यावसायिक सेवाओं, शिक्षा और डिजिटल व्यापार में सहयोग गहरा होने की संभावना है।
श्रीवास्तव ने कहा कि भारत के लिए, यह समझौता प्रशांत क्षेत्र के उच्च आय वाले, नियम-आधारित बाजार तक पहुंच को मजबूत करता है और इसकी व्यापक इंडो-पैसिफिक आर्थिक रणनीति का समर्थन करता है। न्यूजीलैंड के लिए, यह वैश्विक व्यापार अनिश्चितता में वृद्धि के बीच दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक में अधिक सुरक्षित प्रवेश प्रदान करता है।
वित्त वर्ष 2025 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 1.3 अरब डॉलर रहा
वित्त वर्ष 2025 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 1.3 अरब डॉलर था (भारत का निर्यात 711.1 मिलियन डॉलर और आयात 587.1 मिलियन डॉलर था)। न्यूजीलैंड का औसत आयात शुल्क केवल 2.3 प्रतिशत है, जबकि भारत का 17.8 प्रतिशत है, और न्यूजीलैंड की 58.3 प्रतिशत टैरिफ लाइनें पहले से ही शुल्क-मुक्त हैं।
उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह है कि भारतीय निर्यातकों को पहले से ही पर्याप्त पहुंच प्राप्त है, जबकि भारत शुल्क कटौती के माध्यम से समायोजन का अधिकांश भार वहन करेगा।
क्या कहते हैं आंकड़े?
न्यूजीलैंड को भारत का निर्यात व्यापक है, लेकिन इसमें ईंधन, वस्त्र और फार्मास्यूटिकल्स की मात्रा अधिक है। विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) का शिपमेंट 110.8 मिलियन डॉलर के साथ सबसे आगे रहा, इसके बाद कपड़े, फैब्रिक और घरेलू वस्त्रों का शिपमेंट 95.8 मिलियन डॉलर का रहा। दवाओं का मूल्य 57.5 डॉलर था, जबकि टर्बोजेट सहित मशीनरी का योगदान 51.8 मिलियन डॉलर था। पेट्रोलियम उत्पाद एक अन्य प्रमुख घटक थे, जिनमें डीजल का निर्यात 47.8 मिलियन डॉलर और पेट्रोल का निर्यात 22.7 अमेरिकी डॉलर था।
अन्य उल्लेखनीय निर्यातों में ऑटोमोबाइल और पुर्जे (19.3 मिलियन डॉलर), कागज और पेपरबोर्ड (18.3 मिलियन डॉलर), इलेक्ट्रॉनिक्स (16.5 मिलियन डॉलर), लोहा और इस्पात (14.1 मिलियन डॉलर), झींगा (13.7 मिलियन डॉलर), बासमती चावल (11.9 मिलियन डॉलर) और सोने के आभूषण (9.9 मिलियन डॉलर) शामिल थे।
इसके विपरीत, न्यूजीलैंड से भारत को होने वाले निर्यात में कच्चे माल और कृषि संबंधी इनपुट का वर्चस्व है। लकड़ी और लकड़ी से बने सामान (78.4 मिलियन डॉलर) और लकड़ी का गूदा (39.8 मिलियन डॉलर) कागज, पैकेजिंग और निर्माण में संबंधों को रेखांकित करते हैं।
स्टील स्क्रैप का निर्यात 71.2 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि एल्युमीनियम स्क्रैप का कुल निर्यात 42.9 मिलियन डॉलर रहा, जो पुनर्चक्रित धातु इनपुट पर भारत की निर्भरता को दर्शाता है।
ऊर्जा और भारी उद्योग में, कोकिंग कोयले का निर्यात 48.8 मिलियन डॉलर रहा, साथ ही 66.2 मिलियन डॉलर मूल्य के उच्च-मूल्य वाले टर्बोजेट विमानों का निर्यात भी शामिल है।
कृषि और पशु-आधारित उत्पाद भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिनमें ऊन (47.3 मिलियन डॉलर), दूध एल्ब्यूमिन (32.1 मिलियन डॉलर), सेब (32.8 मिलियन डॉलर) और कीवी फल (17 मिलियन डॉलर) प्रमुख हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि न्यूजीलैंड दुनिया के सबसे बड़े डेयरी निर्यातकों में से एक है, जबकि भारत लाखों छोटे डेयरी किसानों का घर है जिनके लिए बाजार संरक्षण एक बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है।
हालांकि, व्यवहार में वर्तमान व्यापार न्यूनतम है। वित्त वर्ष 2025 में भारत को न्यूजीलैंड के डेयरी उत्पादों का निर्यात मात्र 1.07 मिलियन डॉलर था, जिसमें दूध और क्रीम (0.40 मिलियन डॉलर), प्राकृतिक शहद (0.32 मिलियन अमेरिकी डॉलर), मोजेरेला चीज (0.18 मिलियन डॉलर), मक्खन (0.09 मिलियन डॉलर) और स्किम्ड मिल्क (0.08 मिलियन डॉलर) शामिल थे।
डेयरी और सेवा क्षेत्र को लेकर विशेषज्ञ की राय
उन्होंने कहा कि भारत ने थोक डेयरी आयात के लिए दरवाजे खोलने का विरोध किया है, हालांकि कुछ समय बाद यह विशिष्ट, मूल्यवर्धित उत्पादों के लिए सीमित पहुंच की अनुमति दे सकता है। सेवाओं का व्यापार इस रिश्ते का एक अधिक महत्वपूर्ण भले ही कम दिखाई देने वाला स्तंभ है। वित्त वर्ष 2024 में, न्यूजीलैंड को भारत का सेवा निर्यात 214.1 मिलियन डॉलर रहा, जबकि भारत को न्यूजीलैंड का सेवा निर्यात 456.5 मिलियन डॉलर रहा। भारत की ताकत आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाओं, दूरसंचार सहायता, स्वास्थ्य सेवा और वित्तीय सेवाओं में निहित है।
उन्होंने आगे कहा कि न्यूजीलैंड के सेवा निर्यात में शिक्षा का दबदबा है, जो भारतीय छात्रों द्वारा संचालित है> इसके बाद पर्यटन, फिनटेक समाधान और विशेष विमानन प्रशिक्षण का स्थान आता है।