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Investment: रुपये की कीमत में गिरावट से घबराएं नहीं, बदलें निवेश की रणनीति; बनाएं डॉलर फ्रेंडली पोर्टफोलियो
अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: निर्मल कांत
Updated Mon, 22 Dec 2025 05:32 AM IST
सार
Investment: भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर 91 तक गिर गया है, जिससे बाजार में भारी उतार-चढ़ाव है। विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को रुपये के कमजोर होने से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि यह आईटी, फार्मा और निर्यात आधारित सेक्टर में निवेश का अवसर है।
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निवेश (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : फ्रीपिक
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विस्तार
2025 भारतीय रुपये के लिए भारी उथल-पुथल भरा रहा है। विदेशी निवेशकों की रिकॉर्ड बिकवाली और वैश्विक अनिश्चितता के बीच रुपया 91 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गया। लेकिन एक निवेशक के तौर पर यह घबराने का नहीं, बल्कि अपनी निवेश रणनीति को बदलने का समय है।
गिरता रुपया सिर्फ महंगाई नहीं लाता, बल्कि समझदार निवेशकों के लिए डॉलर से कमाई के दरवाजे भी खोलता है। बस जरूरत है सही सेक्टर चुनने की।
रुपया पहली बार 91 के पार, शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव। टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज देखकर मोहित के पसीने छूट गए। मोहित को लगा बरसों की बचत कहीं डूब न जाए। अपने वित्तीय सलाहकार को तुरंत फोन लगाया और पूछा, पोर्टफोलियो लाल निशान में है। क्या मुझे अपना सारा पैसा निकाल लेना चाहिए? मोहित की तरह यह सवाल तमाम निवेशकों के मन में है।
ये भी पढ़ें: दुर्लभ पृथ्वी खनन के लिए IREL की फंडिंग मजबूत करे सरकार, संसदीय समिति का अहम सुझाव
बाजार की इस अस्थिरता को डर नहीं, बल्कि अवसर की तरह देखना चाहिए। पिछले एक साल में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 6.86 फीसदी कमजोर हुआ है। 19 दिसंबर, 2024 को रुपया 85.09 के स्तर पर था। 16 दिसंबर को रुपये ने पहली बार डॉलर के मुकाबले 91.19 का स्तर छुआ।
जब रुपया कमजोर होता है, तब कुछ सेक्टर ‘सुरक्षा कवच’ की तरह काम करते हैं:
आईटी सर्विसेस: TCS, Infosys जैसी कंपनियों की आय डॉलर में होती है, खर्च रुपये में। रुपया गिरने से इनका मार्जिन अपने आप बढ़ जाता है।
फार्मा सेक्टर: सन फार्मा और सिप्ला जैसी कंपनियां अमेरिका और यूरोप को भारी निर्यात करती हैं, जिससे उन्हें मुद्रा लाभ मिलता है।
इंजीनियरिंग और केमिकल्स: भारत फोर्ज और पीआई इंडस्ट्रीज जैसे निर्यातकों के लिए कमजोर रुपया ऑर्डर बुक की वैल्यू बढ़ाने वाला साबित होता है।
खाद्य और कृषि उत्पाद: कम आयात निर्भरता के कारण चावल, चीनी और समुद्री उत्पाद निर्यातकों को सीधा लाभ मिलता है।
धातु: स्टील और एल्युमीनियम की कीमतें वैश्विक स्तर पर डॉलर में तय होती हैं, जिससे टाटा स्टील और Hindalco जैसे निर्यातकों को फायदा होता है।
कुछ सेक्टरों के लिए कमजोर रुपया दोहरी मार लेकर आता है।
तेल कंपनियां: आईओसी और बीपीसीएल जैसी कंपनियों को कच्चा तेल खरीदने के लिए अधिक डॉलर चुकाने पड़ते हैं, जिससे मुनाफे पर दबाव आता है।
एविएशन: इंडिगो आदि के लिए विमान लीज और एटीएफ का भुगतान महंगा हो जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और ज्वेलरी: आयातित पुर्जों और सोने की बढ़ती लागत मांग को प्रभावित करती है।
पेंट और टायर: इन उद्योगों में कच्चे माल का आयात होता है। एशियन पेंट्स और एमआरएफ जैसी कंपनियों की लागत बढ़ जाती है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो: चीन व अन्य देशों से आयात के कारण कंपनियों पर असर पड़ता है।
अगले तीन महीनों के लिए पोर्टफोलियो बनाते समय तीन मुख्य बातों का ध्यान रखना होगा- रुपये की कमजोरी, ऊंची ब्याज दरें , वैश्विक अनिश्चितता। इस माहौल में एक ‘सुरक्षित और रक्षात्मक’ पोर्टफोलियो बनाना समझदारी होगी।
कंजम्पशन और एफएमसीजी 15% गिरावट में ये सेक्टर स्थिरता प्रदान करते हैं। कैश/लिक्विड फंड 20% बाजार में और गिरावट पर खरीदारी के लिए बचाकर रखें।
ये भी पढ़ें: NSE: इक्विटी बाजार में नए निवेशकों की संख्या में आई गिरावट, एनएसई की रिपोर्ट में दिए गए पूरे आंकड़े
-वीएलए अंबाला, फाउंडर, एसएमटी स्टॉक मार्केट टुडे
इनपुट निर्भरता जांचें: देखें कि कंपनी कच्चा माल बाहर से तो नहीं मंगा रही।
गोल्ड को जगह दें: अनिश्चितता में सोना पोर्टफोलियो को स्थिरता देता है।
बैलेंस पोर्टफोलियो: बैंकिंग और इंफ्रा जैसे मजबूत घरेलू सेक्टर भी रखें।
सट्टा न लगाएं: रुपये की रोज की चाल पर ट्रेडिंग करने से बचें।
पैनिक से बचें: रुपये की गिरावट देखकर अपनी एसआईपी बंद न करें।
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गिरता रुपया सिर्फ महंगाई नहीं लाता, बल्कि समझदार निवेशकों के लिए डॉलर से कमाई के दरवाजे भी खोलता है। बस जरूरत है सही सेक्टर चुनने की।
रुपया पहली बार 91 के पार, शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव। टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज देखकर मोहित के पसीने छूट गए। मोहित को लगा बरसों की बचत कहीं डूब न जाए। अपने वित्तीय सलाहकार को तुरंत फोन लगाया और पूछा, पोर्टफोलियो लाल निशान में है। क्या मुझे अपना सारा पैसा निकाल लेना चाहिए? मोहित की तरह यह सवाल तमाम निवेशकों के मन में है।
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ये भी पढ़ें: दुर्लभ पृथ्वी खनन के लिए IREL की फंडिंग मजबूत करे सरकार, संसदीय समिति का अहम सुझाव
बाजार की इस अस्थिरता को डर नहीं, बल्कि अवसर की तरह देखना चाहिए। पिछले एक साल में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 6.86 फीसदी कमजोर हुआ है। 19 दिसंबर, 2024 को रुपया 85.09 के स्तर पर था। 16 दिसंबर को रुपये ने पहली बार डॉलर के मुकाबले 91.19 का स्तर छुआ।
इस कमजोरी के पीछे मुख्य कारण :
विदेशी निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली (दिसंबर में अब तक 18,667 करोड़ रुपये)- अमेरिका-भारत व्यापार तनाव
- वैश्विक स्तर पर डॉलर की मजबूती
जब रुपया कमजोर होता है, तब कुछ सेक्टर ‘सुरक्षा कवच’ की तरह काम करते हैं:
आईटी सर्विसेस: TCS, Infosys जैसी कंपनियों की आय डॉलर में होती है, खर्च रुपये में। रुपया गिरने से इनका मार्जिन अपने आप बढ़ जाता है।
फार्मा सेक्टर: सन फार्मा और सिप्ला जैसी कंपनियां अमेरिका और यूरोप को भारी निर्यात करती हैं, जिससे उन्हें मुद्रा लाभ मिलता है।
इंजीनियरिंग और केमिकल्स: भारत फोर्ज और पीआई इंडस्ट्रीज जैसे निर्यातकों के लिए कमजोर रुपया ऑर्डर बुक की वैल्यू बढ़ाने वाला साबित होता है।
खाद्य और कृषि उत्पाद: कम आयात निर्भरता के कारण चावल, चीनी और समुद्री उत्पाद निर्यातकों को सीधा लाभ मिलता है।
धातु: स्टील और एल्युमीनियम की कीमतें वैश्विक स्तर पर डॉलर में तय होती हैं, जिससे टाटा स्टील और Hindalco जैसे निर्यातकों को फायदा होता है।
कुछ सेक्टरों के लिए कमजोर रुपया दोहरी मार लेकर आता है।
तेल कंपनियां: आईओसी और बीपीसीएल जैसी कंपनियों को कच्चा तेल खरीदने के लिए अधिक डॉलर चुकाने पड़ते हैं, जिससे मुनाफे पर दबाव आता है।
एविएशन: इंडिगो आदि के लिए विमान लीज और एटीएफ का भुगतान महंगा हो जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और ज्वेलरी: आयातित पुर्जों और सोने की बढ़ती लागत मांग को प्रभावित करती है।
पेंट और टायर: इन उद्योगों में कच्चे माल का आयात होता है। एशियन पेंट्स और एमआरएफ जैसी कंपनियों की लागत बढ़ जाती है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो: चीन व अन्य देशों से आयात के कारण कंपनियों पर असर पड़ता है।
अगले तीन महीनों के लिए पोर्टफोलियो बनाते समय तीन मुख्य बातों का ध्यान रखना होगा- रुपये की कमजोरी, ऊंची ब्याज दरें , वैश्विक अनिश्चितता। इस माहौल में एक ‘सुरक्षित और रक्षात्मक’ पोर्टफोलियो बनाना समझदारी होगी।
पोर्टफोलियो का आवंटन
आईटी और फार्मा 40% रुपये की गिरावट से इन्हें सीधा फायदा (हेज) बैंकिंग, फाइनेंशियल 25% क्रेडिट ग्रोथ मजबूत है, लेकिन केवल मजबूत बैलेंस शीट वाले बड़े बैंक चुनें।कंजम्पशन और एफएमसीजी 15% गिरावट में ये सेक्टर स्थिरता प्रदान करते हैं। कैश/लिक्विड फंड 20% बाजार में और गिरावट पर खरीदारी के लिए बचाकर रखें।
ये भी पढ़ें: NSE: इक्विटी बाजार में नए निवेशकों की संख्या में आई गिरावट, एनएसई की रिपोर्ट में दिए गए पूरे आंकड़े
एक्सपोर्ट ओरिएंटेड स्टॉक चुनें
रुपये की तेज गिरावट में शेयर चुनते समय सतर्कता जरूरी है। निवेशकों को मजबूत बैलेंस शीट, कम कर्ज और स्थिर कैश फ्लो वाली कंपनियों पर फोकस करना चाहिए। आईटी, फार्मा और एक्सपोर्ट ओरिएंटेड सेक्टर रुपये की कमजोरी से लाभ उठा सकते हैं। साथ ही, लार्ज-कैप और क्वालिटी शेयरों को प्राथमिकता दें।-वीएलए अंबाला, फाउंडर, एसएमटी स्टॉक मार्केट टुडे
निवेशक क्या करें?
डॉलर में कमाई वाले शेयर चुनें : आईटी और फार्मा को प्राथमिकता दें।इनपुट निर्भरता जांचें: देखें कि कंपनी कच्चा माल बाहर से तो नहीं मंगा रही।
गोल्ड को जगह दें: अनिश्चितता में सोना पोर्टफोलियो को स्थिरता देता है।
बैलेंस पोर्टफोलियो: बैंकिंग और इंफ्रा जैसे मजबूत घरेलू सेक्टर भी रखें।
क्या न करें?
आयात-निर्भर सेक्टर से बचें: तेल व एविएशन में अंधाधुंध निवेश न करें।सट्टा न लगाएं: रुपये की रोज की चाल पर ट्रेडिंग करने से बचें।
पैनिक से बचें: रुपये की गिरावट देखकर अपनी एसआईपी बंद न करें।
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