Report: क्या अमेरिका के ऑयल टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था दबाव में? जीटीआरआई की रिपोर्ट में छिपा बड़ा संकेत
जीटीआरआई ने व्यापार बोर्ड ( Board of Trade, BOT) से अपील की है कि वह सरकार के साथ अपनी निर्धारित बैठक में दो मुद्दों को प्राथमिकता दें। पहला निर्यात संवर्धन मिशन (EPM) की त्वरित शुरुआत और दूसरा अमेरिका पर तेल टैरिफ कम करने के लिए दबाव। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।
विस्तार
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा हैं कि भारत को किसी भी व्यापार समझौते से पहले अमेरिका पर तेल से जुड़ा अतिरिक्त टैरिफ हटाने के लिए दबाव डालना चाहिए। यह टैरिफ रूस से तेल खरीदने के विरोध में लगाया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर यह शुल्क हटता है तो भारतीय वस्तुओं पर प्रभावी अमेरिकी टैरिफ का बोझ 50% से घटकर 25% रह जाएगा। इससे कपड़ा, चमड़ा, रत्न-आभूषण और दवा जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को बड़ी राहत मिलेगी, जिसका वे लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं।
जीटीआरआई ने व्यापार बोर्ड ( Board of Trade, BOT) से अपील की है कि वह सरकार के साथ अपनी निर्धारित बैठक में दो मुद्दों को प्राथमिकता दें। पहला निर्यात संवर्धन मिशन (EPM) की त्वरित शुरुआत और दूसरा अमेरिका पर तेल टैरिफ कम करने के लिए दबाव। मंगलवार को बीओटी की सरकार के साथ होने वाली बैठक की अध्यक्षता वाणिज्य व उद्योग मंत्री करेंगे। इस बैठक में निर्यात वृद्धि को बढ़ावा देने के उपायों की सिफारिश की जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा बहाल करने और अमेरिका के साथ भविष्य की बातचीत को समान स्तर पर लाने के लिए टैरिफ वापसी जरूरी है। जीटीआरआई ने यह भी याद दिलाया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि भारत ने प्रतिबंधित रूसी कंपनियों से तेल खरीदना काफी हद तक बंद कर दिया है- यही वह आधार था जिस पर यह अधिभार लगाया गया था।
इसके अलावा, जीटीआरआई ने सरकार को चेताया कि निर्यात संवर्धन मिशन अभी केवल ढाँचे तक सीमित है। केंद्रीय बजट में घोषित और 12 नवंबर को कैबिनेट द्वारा अनुमोदित इस मिशन के लिए वित्त वर्ष 2025-26 के आठ महीने बीत जाने के बावजूद कोई परिचालन योजना नहीं बनी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन योजनाओं को तुरंत लागू करना जरूरी है ताकि निर्यात वृद्धि को गति दी जा सके।