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KG-D6 Gas Dispute: उत्पादन लक्ष्य चूक पर सरकार सख्त, रिलायंस-बीपी को भरना होगा 30 अरब डॉलर से अधिक का मुआवजा
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: शिवम गर्ग
Updated Tue, 30 Dec 2025 05:06 AM IST
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सार
केजी-डी6 गैस क्षेत्र से उत्पादन लक्ष्य पूरा न करने पर केंद्र सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और बीपी से 30 अरब डॉलर से अधिक मुआवजे की मांग की है। मामला मध्यस्थता न्यायाधिकरण में विचाराधीन है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
केंद्र ने कृष्णा-गोदावरी बेसिन के केजी-डी6 गैस क्षेत्र से प्राकृतिक गैस उत्पादन का लक्ष्य पूरा नहीं करने के मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसकी साझेदार बीपी से 30 अरब डॉलर से अधिक का मुआवजा मांगा है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने यह दावा तीन-सदस्यीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के समक्ष पेश किया है। 14 साल पुराने इस मामले पर सुनवाई 7 नवंबर को पूरी हो चुकी है। न्यायाधिकरण अगले वर्ष किसी भी समय फैसला सुना सकता है। उधर, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा, 30 अरब डॉलर का कोई दावा नहीं है। केजी-डी6 ब्लॉक के संबंध में भारत सरकार का दावा 24.7 करोड़ डॉलर का है, जिसका खुलासा उचित और लगातार किया गया है।
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अधिक सुविधाएं विकसित करने का आरोप
सरकार का आरोप है कि दोनों साझेदारों ने केजी-डी6 ब्लॉक में जरूरत से ज्यादा बड़ी सुविधाएं विकसित कीं, लेकिन प्राकृतिक गैस उत्पादन के निर्धारित लक्ष्यों को पाने में नाकाम रहे। मध्यस्थता प्रक्रिया में सरकार ने उत्पादित नहीं की जा सकी गैस का मौद्रिक मूल्य मांगने के साथ अतिरिक्त खर्च, ईंधन विपणन और ब्याज पर भी मुआवजा मांगा है। इन दावों का कुल मूल्य 30 अरब डॉलर से अधिक है।
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उत्पादन दोगुना करने के बजाय घटाया
रिलायंस ने 2.47 अरब डॉलर के निवेश से प्रतिदिन चार करोड़ मानक घन मीटर गैस उत्पादन का लक्ष्य रखा था। 2006 में इसे 8.18 अरब डॉलर का निवेश और मार्च, 2011 तक 31 कुओं की ड्रिलिंग के साथ उत्पादन दोगुना करने का अनुमान जताया गया। कंपनी 22 कुएं ही खोद सकी, जिनमें 18 से ही उत्पादन शुरू हो पाया। बाद में गैस भंडार का अनुमान 10.03 लाख करोड़ से घटाकर 3.10 लाख करोड़ घनफुट किया गया। सरकार ने इसके लिए रिलायंस-बीपी को जिम्मेदार ठहराते हुए शुरुआती वर्षों में किए 3.02 अरब डॉलर के खर्च को लागत वसूली गणना से बाहर कर दिया। रिलायंस ने इसके विरोध में 2011 में मध्यस्थता नोटिस दिया था। जनवरी, 2023 के बाद सुनवाई शुरू हुई थी।
यह है विवाद की जड़
इस विवाद की जड़ केजी-डी6 ब्लॉक के धीरूभाई-1 और धीरूभाई-3 (डी1 एवं डी3) गैस क्षेत्रों से जुड़ी है। सरकार का कहना है कि रिलायंस ने स्वीकृत निवेश योजना का पालन नहीं किया, जिससे उत्पादन क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो सका। डी1 और डी3 क्षेत्रों में उत्पादन 2010 में शुरू हुआ था, लेकिन उसके एक साल बाद से ही उत्पादन अनुमानों से पीछे रहने लगा। फरवरी, 2020 में दोनों गैस क्षेत्र अपने अनुमानित जीवनकाल से काफी पहले बंद हो गए।
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