Year Ender 2025: सोने और चांदी की कीमतों ने पूरे साल निवेशकों-ग्राहकों को किया हैरान, नए साल में क्या उम्मीद
Gold and Silver: साल 2025 में सोने और चांदी की लगातार बढ़ती कीमतों ने निवेशकों और ग्राहकों हैरान तो किया साथ ही रिटर्न के मामले सबसे बेहतरीन विकल्प बनकर उभरे। पूरे साल सोने और चांदी ने कैसा प्रदर्शन किया इस पर विशेषज्ञों का कहना सोने की रैली में सभी निवेशकों निवेश किया और पूरे साल इनकी कीमतों को बड़ी गिरावट भी नहीं आई। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।
विस्तार
साल 2025 में सोने-चांदी कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, इसमें सोने की कीमतों में 74 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई तो चांदी की कीमतों ने सबको हैरान करते हुए 138 प्रतिशत दर्ज की। इसकी बड़ी वजह भू-राजनीतिक तनाव, केंद्रीय बैंकों की द्वारा लगातार सोने की खरीदारी के साथ गोल्ड ईटीएफ की मांग की वजह से सोने में तेजी देखी गई। चांदी की कीमतों तेजी औद्योगिक मांग की वजह से बनी रही। इस के बीच में चांदी के आपूर्ति और मांग को लेकर भी बाजार में बदलाव देखने को मिले। विशेषज्ञों के अनुसार साल 2026 में सोने और चांदी में तेजी बने रहने का अनुमान लगाया है।
2025 में सोने-चांदी की कीमतें बढ़ने के कारण
आनंद राठी के शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स के कमोडिटजी एंड करेंसी निदेशक नवीन माथुर के अनुसार साल 2025 में कीमती धातुओं के लिए यह असाधारण साल रहा। रिटेल निवेशकों और संस्थानों से लेकर हेज फंड और वैश्विक केंद्रीय बैंकों और सभी वर्गों ने निवेशकों ने सोने में अपना निवेश बढ़या है। इसमें विशेष बात यह रही है सोने की रैली में सभी निवेशकों निवेश किया और पूरे साल इनकी कीमतों को बड़ी गिरावट भी नहीं आई। देखा जाए तो सोने और चांदी ने चार दशकों में अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया। साल 2025 में चांदी में लगभग 138 प्रतिशत का उछाल आया और यह प्रमुख संपत्ति बनकर उभरी, जबकि सोने की कीमतों की वृद्धि 74 प्रतिशत से अधिक रही, जो दशक में सबसे अधिक लाभ देने वाली बनी। वहीं 19 दिसंबर 2025 तक निफ्टी-50 ने 9.4 प्रतिशत का रिटर्न दिया।
कीमती धातुओं का बेहतरीन प्रदर्शन, चांदी से सभी को चौंकाया
कोटक सिक्योरिटीज हेड करेंसी और कमोडिटी अनिंद्य बनर्जी, कहते हैं, पारंपरिक रूप से सोने और चांदी की कीमतें उच्च मुद्रास्फीति या शेयर बाजारों में भारी गिरावट के कारण होती है। जिसकी वजह से निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर रूख करते हैं। लेकिन साल 2025 में सोने और चांदी की कीमतों में जबरदस्त तेजी के पीछे कई मुख्य कारण है, पहला दुनिया भर में डॉलर का प्रभुत्व कम करने की कोशिश यानी की डी-डॉलराइजेशन और व्यापारिक तनाव ने सोने की कीमतों को सहारा दिया है। जब भी दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच अनिश्चितता बढ़ती है, तब निवेशक शेयर बाजार के बजाए सोने और चांदी में पैसा निवेश करना अधिक सुरक्षित समझते हैं। इसके अलावा अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती उम्मीद ने भी सोने और चांदी को आकर्षक बना दिया है।
2025 में चांदी की कीमतें आपूर्ति की कमी होने से बढ़ी
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के कमोडिटीज के रिसर्च हेड नवनीत दमानी कहते हैं, 2025 में चांदी का बाजार एक आम बुल साइकिल से कहीं आगे निकलकर एक स्ट्रक्चरल फेज में आ गया, जो लंबे समय तक भौतिक आपूर्ति की कमी, इंवेट्री में कमी और पॉलिसी की वजह से आपूर्ति में रुकावटों की वजह से बना हुआ है। वे कहते हैं, पिछले कई वर्षों में वैश्विक मांग उसकी सप्लाई से अधिक रही। वर्तमान में चांदी केवल आभूषणों या निवेश तक सीमित नहीं है। सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहनो सहित इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल उपकरणों को बनाने में चांदी इस्तेमाल होती है। फिलहाल 50 से 60 प्रतिशत मांग औद्योगिकी होती है।
ग्रीन एनर्जी चांदी की मांग को बढ़ा रही है
जिस तरह से दुनिया ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ रही है, चांदी की मांग और मजबूत होगी। बाजार में यह भी बात हो रही है कि चीन 1 जनवरी 2026 से चांदी के निर्यात पर सख्ती कर सकता है। कंपनियों को चांदी बाहर भेजने के लिए सरकारी लाइसेंस लेना पड़ सकता है। फिलहाल इस पर कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन संभावना से ही बाजार में सप्लाई को लेकर चिंता बढ़ गई है, जिसकी वजह से चांदी में जोरदार उछाल देखा जा रहा है।
सोने और चांदी ने 12 महीनों में बेहतरीन रिटर्न दिया
विशेषज्ञों का कहना है, साल 2025 में सोने और चांदी के रिटर्न ने शेयर बाजार से लेकर अन्य निवेश रिटर्न को भी पीछे छोड़ दिया। औद्योगिक मांग की वजह से चांदी रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली। इस साल चांदी ने सोने को पीछे छोड़ते हुए 100 प्रतिशत का रिटर्न दिया, जबकि सोने 83 प्रतिशत का बेहतरीन रिटर्न निवेशकों दिया। वहीं 19 दिसंबर 2025 तक निफ्टी-50 ने 9.4 प्रतिशत का रिटर्न दिया।
साल 2025 में कीमते अधिक होने से आभूषणों की मांग में बदलाव आए
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 की दूसरी तिमाही में भारत में सोने के आभूषणों की मांग 17 प्रतिशत की गिरावट के आई जो कि 2024 की दूसरी तिमाही में 106.5 टन से घटकर 88.8 टन रह गई, हालांकि इसक मूल्य 20 प्रतिशत बढ़कर 66,810 करोड़ रुपये से 80,150 करोड़ रुपये हो गया। दूसरी तिमाही में निवेश मांग में 7 प्रतिशत की मांग बढ़कर 46. 1 टन हो गई है, वहीं सोने का आयात दूसरी तिमाही में 34 प्रतिशत घटकर 102.5 टन रह गया। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार साल 2025 की तीसरी तिमाही में घरेलू बाजार में आभूषणों की मांग 31 प्रतिशत तक की गिरावट आई।
हल्के आभूषणों को खरीदने का चलन बढ़ा
सोने की कीमते अधिक होने की वजह से ग्राहकों ने इस साल हल्के आभूषणों की ओर रुख किया। जिसको देखते हुए तनिष्क और मालाबार गोल्ड जैसे बडे ब्रांड ने हल्के आभूषणों की ओर फोकस किया। त्योहारों और विशेष अवसर के लिए 18 प्रतिशत तक हल्के वजन के गहनों की बिक्री देखी गई। इसमें हीरे, कीमती पत्थर और लेबग्रोन डायमंड से सजे हल्के गहनों की मांग में वृद्धि हुई, विशेषर युवाओं में। जबकि 20 प्रतिशत तक पुराने आभूषणों को बदलकर उसके एवज में नए आभूषणों की खरीदारी की गई है।
निवेश के लिए गोल्ड ईटीएफ की मांग बढ़ी
विश्व स्वर्ण परिषद की रिपोर्ट के अनुसार कैंलेडर वर्ष 2025 में निवेश की मांग विशेष रूप से गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडड फंड (ईटीएफ) में बन रही। कैंलेडर वर्ष 2025 में मौजूदा समय तक 77 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। जिसमें उनकी होल्डिंग में 700 टन से अधिक की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि हम शुरुआती बिंदु को मई 2024 के पीछे ले कर जाते हैं तो भी सामूहिक गोल्ड ईटीएफ होल्डिंग लगभग 850 टन बढ़ चुकी है। यह आंकड़ा पिछले गोल्ड बुल साइकल के आंकड़ों के आधे से भी कम है, इसलिए इसमें वृद्धि होने की संभावना बनी हुई है।
कीमतें अधिक होने के बावजूद सोने के आयात में मामूली गिरावट
वाणिज्य विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सोने की कीमतों में भारी वृद्धि के बावजूद, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का सोने का आयात 12.47 अरब अमेरिकी डॉलर बढ़कर 58.01 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। यह वृद्धि तब हुई जब वित्तीय वर्ष के दौरान सोने की कीमतों में 33.78 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई और औसत कीमत 76,611.73 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम रही। हालांकि, आयात की मात्रा में मामूली गिरावट देखी गई - पिछले वर्ष के 795.32 टन से घटकर 757.15 टन रह गई, यानी इसमें 4.79 प्रतिशत की कमी आई।
विश्लेषक इस मूल्य वृद्धि का मुख्य कारण दो प्रमुख मांग उछालों को मानते हैं। पहला उछाल अगस्त 2024 में आया, जब नव निर्वाचित एनडीए सरकार ने अपने पहले पूर्ण केंद्रीय बजट में सोने पर आयात शुल्क को 15 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया। दूसरा उछाल नवंबर में त्योहारी सीजन के दौरान आया, जो सोने की खरीद में वृद्धि का पारंपरिक समय होता है।
2026 में सोने का आउटलुक
हाल ही में विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भू-राजनीतिक जोखिम और अधिक बढ़ते हैं तो इसकी वजह से आर्थिक मंदी गहराने की संभावनाओं के बीच सोने की कीमतों में मौजूदा स्तर से 15 से 30 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। वहीं इसके उलट यदि ट्रंप एडिमिनिस्ट्रेशन की बनाई पॉलिसी का सफल नतीजा निकलता है तो आर्थिक वृद्धि तेज होगी, जो जोखिम को कम कर सकती है, इससे सोने की कीमतों में 5 से 20 प्रतिशत तक गिरावट आने की संभवना है। जबकि चांदी की कीमतों में तेजी जारी रहने का अनुमान विशेषज्ञों का है, क्योंकि चांदी मांग औद्योगिक रूप से बनी रहेगी। जिसमें करेक्शन कम समय के लिए और सीमित रहेगा। चांदी की ऊपर जाने की संभावना $84–$87 जोन की ओर है। चांदी दशकों में अपने सबसे मजबूत सालाना प्रदर्शन कर रही है।