SBI Report: सरकारी बॉन्ड में भारतीय रिजर्व बैंक की हिस्सेदारी बढ़ी, एसबीआई की रिपोर्ट में दावा
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई की सरकारी प्रतिभूतियों में हिस्सेदारी पिछले एक साल में बढ़ी है। वहीं बैंकों की हिस्सेदारी में कमी आई है। इसके विपरीत, बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी लगभग स्थिर बनी हुई है।
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भारतीय रिजर्व बैंक की सरकारी प्रतिभूतियों में हिस्सेदारी पिछले एक साल में स्पष्ट रूप से बढ़ी है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार जून 2025 में आरबीआई की हिस्सेदारी बढ़कर 14.2 प्रतिशत हो गई, जो जून 2024 में 11.9 प्रतिशत थी।
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बैंकों की हिस्सेदारी में आई कमी
रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई की ओर से सरकारी बॉन्ड की होल्डिंग में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है, जबकि बैंकों की हिस्सेदारी में कमी आई है। इसके विपरीत, बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी लगभग स्थिर बनी हुई है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार की ओर से फरवरी 2026 तक हर महीने लगभग एक लाख करोड़ रुपये उधार लेने की उम्मीद है। इसमें मार्च के लिए केवल एक छोटी राशि निर्धारित है।
बॉन्ड प्रतिफल सीमित दायरे में रहने की उम्मीद
साथ ही अपेक्षाकृत बड़ी स्टेट डेवलपमेंट लोन (एसडीएल) केंद्र सरकार की अल्पकालिक उधारी से प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं। इससे बाजार में आपूर्ति बढ़ेगी। इसके बावजूद, रिपोर्ट का मानना है कि बॉन्ड प्रतिफल सीमित दायरे में रह सकता है और आने वाले दिनों में इसमें उतार-चढ़ाव हो सकता है। हाल के महीनों में बैंक और म्यूचुअल फंड्स जहां जी-सेक के शुद्ध विक्रेता बने हुए हैं।
आरबीआई ने विदेशी मुद्रा बाजार में किया हस्तक्षेप
रिपोर्ट में आरबीआई की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप गतिविधि को भी रेखांकित किया गया है। केंद्रीय बैंक ने रुपये को अत्यधिक उतार-चढ़ाव से बचाने और सट्टेबाजी पर अंकुश लगाने के लिए अपने मजबूत विदेशी मुद्र भंडार का इस्तेमाल किया। जून से अगस्त 2025 के बीच आरबीआई की ओर से लगभग 14 अरब डॉलर की नेट डॉलर सेल की गई, जिसके परिणामस्वरूप बैंकिंग प्रणाली से करीब ₹1.2 लाख करोड़ की स्थायी तरलता निकल गई।
विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, जो जून 2025 में 703 अरब डॉलर था, अक्तूबर के अंत तक घटकर 690 अरब डॉलर रह गया। सोने और विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) को छोड़कर, इसी अवधि में भंडार 30 अरब डॉलर घटकर 599 अरब डॉलर से 569 अरब डॉलर रह गया।
मुद्रा बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए केंद्र बाजार है सक्रिय
रुपये में जारी कमजोरी के रुझान के बीच रिपोर्ट का आकलन है कि अगस्त के बाद भी आरबीआई का हस्तक्षेप जारी रहा होगा और अब तक यह आंकड़ा 14 अरब डॉलर से अधिक पहुंच चुका होगा। मुद्रा बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए केंद्रीय बैंक लगातार सक्रिय बना हुआ है।