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Rupee vs Dollar:  रुपये में रिकॉर्ड गिरावट व FII की निकासी से बाजार का सेंटिमेंट प्रभावित, जानिए अब आगे क्या

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: नविता स्वरूप Updated Wed, 03 Dec 2025 08:41 PM IST
सार

Rupee vs Dollar: रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने और विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार निकासी के कारण भारतीय शेयर बाजार में भारी दबाव और प्रॉफिट बुकिंग का माहौल है। विशेषज्ञों के अनुसार, सेबी के नियमों में बदलाव से बैंकिंग शेयरों में गिरावट आई है और निवेशक अब  रक्षात्मक रवैया अपना रहे हैं। फिलहाल, बाज़ार की नजरें 5 दिसंबर 2025 को होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसलों पर टिकी हैं, जिसके चलते ट्रेडर्स बड़े दांव लगाने के बजाय सतर्कता बरत रहे हैं। आइए इस विषय पर विशेषज्ञों का मत जानें।

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Rupee hitting record lows and withdrawals by foreign investors weighed on market sentiment, Know experts view
डॉलर बनाम रुपया - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया अपने नए ऑल टाइम लो पर पहुंच गया। पहली बार भारतीय मुद्रा 90 के स्तर को पार कर गया। इससे बाजार का सेंटिमेंट प्रभावित हुआ। करेंसी में गिरावट ने बाजार में रिस्क लेने की क्षमता को कम कर दिया और इन्वेस्टर्स को डिफेंसिव बना दिया। निवेशकों ने सभी सेक्टर्स में अधिक सावधानी वाला नजरिया अपनाया मंगलवार और बुधवार को घरेलू शेयर बजार भी लाल निशान पर बंद हुए। बाजार विशेषज्ञ इसकी मुख्य वजह डॉलर के मुकाबले रुपये में हो रही लगातार गिरावट, विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी के बीच निवेशकों द्वारा उच्च स्तर पर की जाने वाली मुनाफावसूली को बता रहे हैं।

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बाजार गिरने की वजह

जियोजित इंवेस्टमेंट लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर ने बताया कि रुपये के कमजोर होने और विदेशी निवेशकों के लगातार निकासी की चिंताओं के बीच घरेलू बाजारों में निरंतर प्रॉपिट बुकिंग देखी गई है। इस बीच सेबी के नियमों के अनुसार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सेक्टोरल इंडेक्स में बड़े बदलाव किए गए है, जिसकी वजह से बड़े बैंकिंग शेयरों में गिरावट आई है। रेलिगेयर  ब्रोकंग लिमिडेट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (कोष) अजीत मिश्रा कहते हैं सप्ताह में काफी डेटा प्रसारित किए जाने हैं, जिसकी वजह से निवेशक पहले से ही सतर्क दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा बाजार और निवेशकों की नजर 5 दिसंबर 2025 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति बैठक पर होगी जहां विशलेषक मुद्रास्फीति, विकास और ब्याज दरों में कटौती की संभावना पर नजर रखी हुई है। वैशिक स्तर पर भी अमेरिका के वृहद आर्थिक आंकड़े साथ ही दिसंबर में ही फेडरल रिजर्व के नीतिगत फैसले और विदेशी निवेश पर उसके प्रभाव का असर बाजार पर देखने को मिल सकता है।

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एनरिच मनी के सीईओ पोनमुडी आर कहते हैं, भारतीय बाज़ार पूरे सेशन में बिकवाली के दबाव में रहे, सतर्क ट्रेडर्स ने प्रॉफिट बुक किया क्योंकि रुपये में लगातार कमजोरी बनी रही। मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया, जिसने बाजार के सेंटिमेंट पर असर डाला। करेंसी में गिरावट ने रिस्क लेने की क्षमता को कम कर दिया और इन्वेस्टर्स को डिफेंसिव बना दिया, जिससे सभी सेक्टर्स में अधिक सावधानी वाला नजरिया अपनाया गया।

भारतीय बाजार स्ट्रक्चरल रूप से बुलिश

पोनमुडी आर कहते हैं, यदि बड़े नजरिए से देखें तो भारतीय बाजार स्ट्रक्चरल रूप से बुलिश बने हुए है, जिसमें मजबूत सकल घरेलू उत्पादन(जीडीपी) के आंकड़े और लगातार घरेलू निवेशकों की ओर से बढ़ता इनफ्लो यानी निवेश से बाजार को सहारा मिला है, जो बीच-बीच में होने वाली विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी को आराम से झेल रहा है। मीडियन से लॉग टर्म आउटलुक बाजार के लिए सकारात्मक बना हुआ है, जिसमें कुल मिलाकर गुणवत्ता लॉर्ज कैप में गिरावट पर खरीदारी करने के नजरिए को बढ़ावा दिया जा रहा है।

आरबीआई से ब्याज दरों में 25 आधार अंक कटौती की उम्मीद

वे कहते हैं, अब निवेशकों की नजर 5 दिसंबर को घोषित होने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की पॉलिसी पर है। जहां 25 आधार अंक के रेट कट का इंतजार निवेशकों और बाजार द्वारा किया जा रहा है, जो कि बाजार के सेंटिमेंट को बढ़ावा दे सकता है। विनोद नायर कहते हैं जल्द ही, मजबूत जीडीपी डेटा और अमेरिका-भारत व्यापार चर्चाओं को लेकर अनिश्चितता के कारण आरबीआई द्वारा रेट में कटौती की उम्मीदें कम होने से निवेशक चिंतित हो सकते हैं। फिर भी, मजबूत घरेलू मैक्रो फंडामेंटल्स और वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए मजबूत कमाई के अनुमान से आगे चलकर मदद मिलने की संभावना है।

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