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Tata Motors Finance vs SEBI: 32 लाख रुपये देकर कंपनी ने सुलझाया मामला, जानें क्या थी एनसीडी से जुड़ी गड़बड़ी

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Tue, 23 Dec 2025 05:27 PM IST
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Tata Motors Finance Settlement, pays Rs 32 lakh to settle NCD issue with Market Regulator Sebi
शेयर बाजार नियामक सेबी - फोटो : PTI
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टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड ने बाजार नियामक सेबी के साथ चल रहे एक पुराने मामले को निपटा लिया है। कंपनी ने नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स जारी करने में हुई कथित अनियमिताओं से जुड़े इस मामले को खत्म करने के लिए 32 लाख रुपये की सेटलमेंट राशि का भुगतान किया है। यह मामला कंपनी द्वारा नियमों के विपरीत जाकर डिबेंचर जारी करने और प्राइवेट प्लेसमेंट के नियमों के उल्लंघन से जुड़ा था।

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क्या है पूरा मामला?
सेबी के आदेश के अनुसार, टाटा मोटर्स फाइनेंस ने इस मामले में 'सुओ-मोटो' (स्वतः संज्ञान लेते हुए) सेटलमेंट अर्जी दाखिल की थी। कंपनी ने प्रस्ताव रखा कि वह तथ्यों और कानून के निष्कर्षों को "न तो स्वीकार करती है और न ही नकारती है" के आधार पर मामले को सुलझाना चाहती है। सेबी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और संशोधित शर्तों के तहत मामले का का निपटारा कर दिया। 
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एनसीडी जारी करने में कहां हुई चूक?
यह विवाद नवंबर 2019 से जुलाई 2022 के बीच टाटा मोटर्स फाइनेंस द्वारा जारी किए गए टियर-II परपेचुअल नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (NCDs) के पांच इश्यू से जुड़ा है। कंपनी ने ये डिबेंचर 'प्राइवेट प्लेसमेंट' के आधार पर जारी किए थे।

सेबी की जांच में पाया गया कि आवंटन की तारीख से छह महीने के भीतर ये एनसीडी 200 से अधिक निवेशकों को बेचे गए। इसमें 460 करोड़ रुपये मूल्य के गैर-सूचीबद्ध इश्यू भी शामिल थे।

कंपनी अधिनियम, 2013 और सेबी के नियमों के अनुसार, यदि किसी प्रतिभूति (security) की पेशकश 200 से अधिक व्यक्तियों को की जाती है, तो उसे 'प्राइवेट प्लेसमेंट' नहीं बल्कि 'पब्लिक इश्यू' (सार्वजनिक निर्गम) माना जाता है।

सेबी ने पाया कि टाटा मोटर्स फाइनेंस की ओर से एनसीडी की इस खेप को जारी करना तकनीकी रूप से एक पब्लिक इश्यू था, और इसके लिए सार्वजनिक निर्गम से जुड़े कड़े नियमों का पालन नहीं किया गया था। ऐसे में यह यह सेबी के  रेगुलेशन और नियमों का उल्लंघन था।

सेबी का आदेश और भविष्य की चेतावनी
टाटा मोटर्स फाइनेंस की ओर से 32 लाख रुपये की राशि जमा करने के बाद, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अमरजीत सिंह और संदीप प्रधान ने निपटान आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया, "आवेदक (टीएमएफएल) के खिलाफ उल्लंघनों के लिए शुरू की जा सकने वाली किसी भी कार्यवाही का निपटारा किया जाता है।" नियामक ने साफ किया कि इस सेटलमेंट के तहत आने वाले उल्लंघनों के लिए कंपनी के खिलाफ अब कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

हालांकि, सेबी ने चेताया है कि यदि निपटारे की कार्यवाही के दौरान कंपनी की ओर से दी गई कोई भी जानकारी भविष्य में गलत पाई जाती है, या यदि कंपनी शर्तों का उल्लंघन करती है, तो नियामक कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।

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