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तस्वीर: बड़े उद्योग बिहार में दस्तक देने को तैयार, 27000 करोड़ का निवेश करेगा अदाणी समूह

योगेश नारायण दीक्षित Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Sat, 13 Sep 2025 06:06 AM IST
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सार

अगर सरकार की नीति स्पष्ट हो और निवेशकों के साथ संवाद कायम रहे तो कारपोरेट जगत के लिए बिहार आकर्षक निवेश स्थल के रूप में विकसित हो सकता है। किसी को भी यह स्वीकारने में हिचक नहीं होनी चाहिए कि 2017 के बाद राज्य सरकार ने बिजली-सड़क जैसे बुनियादी ढांचे को विकसित करने में कसर नहीं छोड़ी है।

With political will Bihar make place on industrial map of country it has plenty of human resources and talent
उद्योग (सांकेतिक) - फोटो : संवाद
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विस्तार
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विकास के लिए जिस क्षमता और संसाधनों की जरूरत होती है, वे बिहार में भरपूर हैं। राज्य का मानव संसाधन और टैलेंट किसी से कम नहीं है। इसी के दम पर बिहार देश के औद्योगिक नक्शे पर जगह बना सकता है। इसके लिए जरूरत है तो राजनीतिक स्थिरता और स्पष्ट नीति की।

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इस आशा के पीछे अदाणी समूह का 27,000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव है, जो भागलपुर के पीरपैंती में बड़ी पावर परियोजना शुरू करने को लेकर है। इस परियोजना का पहला चरण तैयार होने में 12,000 से ज्यादा इसके परिचालन फेज में 3,000 पक्की नौकरियां बिहार के युवाओं को मिलने की संभावना है। चार गुना से ज्यादा अप्रत्यक्ष नौकरियां या काम मिलने की भी उम्मीद है। 
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अगर सरकार की नीति स्पष्ट हो और निवेशकों के साथ संवाद कायम रहे तो कारपोरेट जगत के लिए बिहार आकर्षक निवेश स्थल के रूप में विकसित हो सकता है। किसी को भी यह स्वीकारने में हिचक नहीं होनी चाहिए कि 2017 के बाद राज्य सरकार ने बिजली-सड़क जैसे बुनियादी ढांचे को विकसित करने में कसर नहीं छोड़ी है।

औद्योगिक निवेश के लिए स्पष्ट नीति जरूरी
बिहार में बात जब बड़ी औद्योगिक इकाइयों की स्थापना और उसके लिए निवेश की होती है, तो वर्षों पुरानी वही बाधाएं दिखने लगती हैं। इसीलिए, औद्योगिक निवेश के लिए स्पष्ट नीति होनी चाहिए। इस बात को कुछ उदाहरण से समझा जा सकता है।

  • नालंदा विश्वविद्यालय के लिए मंजूरी 2015 में मिल चुकी थी। लेकिन, नई राजनीतिक संरचना में जमीन आवंटन और प्रोजेक्ट कमेटी के अधिकारों को लेकर दलों में सहमति नहीं बनी।
  • जानकार तो यहां तक कहते हैं कि हाजीपुर आईटी पार्क से इन्फोसिस और विप्रो जैसी कंपनियां इसलिए पीछे हट गईं, क्योंकि उन्हें प्रोजेक्ट की मंजूरी प्रक्रिया में स्पष्टता का अभाव दिखा। यही कहानी जापानी मेगा फूड पार्क को लेकर सामने आ रही है।

ये उदाहरण बताते हैं कि निवेश के लिए स्पष्ट नीति और स्थिरता अहम है। निवेशकों में यह धारणा बलवती होती गई कि बिहार में नीति का आधार आर्थिक न होकर प्राथमिक रूप से राजनीतिक रहा है।

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अवॉयड लिस्ट से बाहर निकल सकता है राज्य

घरेलू सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों, लॉजिस्टिक और विनिर्माण क्षेत्र को भी राजनीतिक स्थरिता के जरिये स्थायी नीति मिले तो इसका सकारात्मक प्रभाव दिखेगा। टाटा और जेएसडबल्यू जैसे औद्योगिक घरानों ने शुरुआती रुचि दिखाई है। इससे बिहार को ‘अवॉयड’ लिस्ट से बाहर निकाला जा सकता है।

ये संकेत अच्छे हैं...डिस्कॉम कंपनियां लाभ में
बिहार में अच्छा भी हो सकता है। इसका उदाहरण पेश करती हैं राज्य की दोनों डिस्कॉम कंपनियां। नॉर्थ और साउथ बिहार डिस्कॉम ने 2023-24 में घाटे से निकलकर खुद को लाभ कमाने वाली कंपनी के रूप में स्थापित किया। बिजली वितरण हानि में कमी और बिलिंग क्षमता में सुधार ने साबित किया कि ईमानदार प्रशासनिक तरीके बिहार में किसी भी क्षेत्र की तस्वीर बदल सकते हैं। 

यह तथ्य निवेशकों के लिए बेहतर संकेत देता है। अब सूबे के राजनीतिक नेतृत्व पर निर्भर है कि वह किस दिशा को चुनता है।

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