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NPS: इस आदेश से परेशान हुए 23 लाख एनपीएस कर्मचारी, अगर 90 दिन में हुई ऐसी घटना तो हो जाएगा आर्थिक नुकसान
सार
'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के अध्यक्ष डॉ. मंजीत पटेल ने सरकार से मांग की है कि उक्त स्थिति में कर्मचारी की मृत्यु को सेवाकाल में मृत्यु माना जाना चाहिए। 2021 एनपीएस (डेथ/डिसेबिलिटी) अमेंडमेंट एक्ट के तहत उसके परिवार को अंतिम बेसिक सेलरी और महंगाई भत्ते के 50 प्रतिशत के बराबर फैमिली पेंशन देने का प्रावधान किया जाए।
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एनपीएस
- फोटो : istock
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विस्तार
केंद्र सरकार के एक आदेश ने एनपीएस में शामिल लगभग 23 लाख कर्मचारियों को परेशान कर दिया है। पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली 'एनपीएस' के अंतर्गत कवर किए गए केंद्र सरकार के सिविल्र कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों को प्रशासित करने के लिए केंद्रीय सिविल सेवा (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का कार्यान्वयन) नियमावली, 2021 को अधिसूचित किया है। इसमें कहा गया है कि कोई एनपीएस कर्मचारी, सेवाकाल में इस्तीफा दे देता है और नब्बे दिन के भीतर किन्हीं कारणों से उसकी मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को कुल कॉर्पस का 20 प्रतिशत देने का प्रावधान लागू होगा। शेष 80 प्रतिशत में से कर्मचारी को पेंशन देने के लिए एन्युटी खरीदनी पड़ती है।
'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के अध्यक्ष डॉ. मंजीत पटेल ने सरकार से मांग की है कि उक्त स्थिति में कर्मचारी की मृत्यु को सेवाकाल में मृत्यु माना जाना चाहिए। 2021 एनपीएस (डेथ/डिसेबिलिटी) अमेंडमेंट एक्ट के तहत उसके परिवार को अंतिम बेसिक सेलरी और महंगाई भत्ते के 50 प्रतिशत के बराबर फैमिली पेंशन देने का प्रावधान किया जाए। साथ में कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित पूर्ण रूप से वापसी तय की जानी चाहिए।
बता दें कि सात अक्तूबर को जारी हुआ कार्यालय ज्ञापन, केंद्रीय सिविल सेवा (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का कार्यान्वयन) नियमावली, 2021 का नियम 14, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत कवर किए गए केंद्र सरकार के कर्मचारी के सरकारी सेवा से त्यागपत्र देने पर हकदारी से संबंधित है। इस नियम के अनुसार, सरकारी सेवा या पद से त्यागपत्र देने पर, जब तक कि इसे नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा जनहित में वापस लेने की अनुमति न हो, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से अधिवर्षिता पूर्व अभिदाता की निकासी के मामले में यथास्वीकार्य, प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित विनियर्मों के अनुसार अभिदाता की संचित पेंशन कॉर्पस में से एकमुश्त और वार्षिकी का भुगतान किया जाएगा। एकमुश्त निकासी और वार्षिकी का ऐसा संदाय, उस तारीख जिससे त्यागपत्र प्रभावी होता है और अभिदाता अपने कर्तव्य से मुक्त हो जाता है, से नब्बे दिनों की अवधि समाप्त होने से पूर्व नहीं किया जा सकेगा।
90 दिनों की बाध्यता ने किया परेशान
कार्यालय ज्ञापन के मुताबिक, यदि अभिदाता की मृत्यु उस तारीख से नब्बे दिनों की अवधि समाप्त होने से पूर्व हो जाती है, जिस दिन से त्यागपत्र प्रभावी होता है, तो भुगतान उस व्यक्ति को किया जाएगा, जो पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा अधिसूचित विनियमों के अनुसार अधिवषिता पूर्व राष्ट्रीय पशन प्रणाली से अभिदाता की निकासी के मामले में यथास्वीकार्य, ऐसा भुगतान प्राप्त करने के योग्य हो। सरकारी कर्मचारी, सेवा से त्यागपत्र देने पर भी अपने विकल्प पर, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा अधिसूचित विनियमों के अनुसार गैर-सरकारी अभिदाता के रूप में, उसी स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या के साथ एनपीएस में अभिदाय करना जारी रख सकेगा।
सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध किया गया है कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत कवर किए गए केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की बाबत सरकारी सेवा से त्यागपत्र देने पर हकदारी से संबंधित उपरोक्त उपबंधों का, सख्ती से अनुपालन किया जाए। 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के अध्यक्ष डॉ. मंजीत पटेल ने सरकार से मांग की है कि त्यागपत्र देने के 90 दिनों के भीतर अगर एनपीएस कर्मी की मौत हो जाए तो उसे सेवाकाल में मृत्यु के आधार पर सभी लाभ मिलें। भारत सरकार ने एनपीएस के संबंध में एक क्लेरिफिकेशन जारी किया है। इसमें कहा गया है कि कोई भी एनपीएस कर्मचारी अगर रिटायरमेंट यानी 60 वर्ष की उम्र से पहले इस्तीफा देता है तो कर्मचारी पर एनपीएस प्री मैच्योर एग्जिट एंड विड्रोल एक्ट 2015 के अनुसार कुल कॉर्पस का 20% देने का प्रावधान है। शेष 80% की उस कर्मचारी को पेंशन के लिए एन्युटी खरीदनी पड़ती है।
इस प्रक्रिया को 90 दिनों के बाद ही कंप्लीट किया जाता है, क्योंकि 90 दिन के बाद ही इस्तीफा प्रभावी होता है। इस अवधि के दौरान अगर इस्तीफा देने वाले कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसके केस में बिना इंतजार किए इस प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाता है। पटेल के अनुसार, मार्च 2021 में भारत सरकार ने एनपीएस के संबंध में डेथ/डिसेबिलिटी से संबंधित एक बदलाव किया था। उसमें यह व्यवस्था की गई थी कि अगर सेवाकाल के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या फिर वह किसी कारण डिसएबल हो जाता है तो ऐसी स्थिति में उसके परिवार को कर्मचारी का पूरा अंशदान ब्याज सहित वापस कर दिया जाएगा। ओल्ड पेंशन के बराबर यानी अंतिम बेसिक सैलरी प्लस महंगाई भत्ते के 50% के बराबर परिवार को फैमिली पेंशन देंगे।
कर्मचारियों की ये है मांग
पटेल ने बताया, चूंकि किसी कर्मचारी का इस्तीफा 90 दिनों के बाद ही प्रभावी होता है। ऐसी स्थिति में अगर इस्तीफा देने के बाद 90 दिन के भीतर ही उस कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसकी मृत्यु को सेवाकाल में मृत्यु माना जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में 2021 एनपीएस (डेथ/डिसेबिलिटी) एमेंडमेंट एक्ट के तहत उसके परिवार को अंतिम बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते के 50% के बराबर फैमिली पेंशन देने का प्रावधान किया जाना चाहिए। साथ में कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित पूर्ण रूप से वापसी की जानी चाहिए। वजह, इस्तीफा देने के बाद 90 दिनों तक किसी भी कर्मचारी को इस्तीफा वापस लेने का अधिकार प्राप्त है। अतः इस दरमियान अगर उसकी मृत्यु होती है उसकी मृत्यु को सेवाकाल में मृत्यु के रूप में कंसीडर किया जाना चाहिए। पटेल ने कहा ऐसे केस में सरकार को परिवार के प्रति सहानुभूति दिखाने की जरूरत है न कि उसके साथ व्यवसाय करने की।
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'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के अध्यक्ष डॉ. मंजीत पटेल ने सरकार से मांग की है कि उक्त स्थिति में कर्मचारी की मृत्यु को सेवाकाल में मृत्यु माना जाना चाहिए। 2021 एनपीएस (डेथ/डिसेबिलिटी) अमेंडमेंट एक्ट के तहत उसके परिवार को अंतिम बेसिक सेलरी और महंगाई भत्ते के 50 प्रतिशत के बराबर फैमिली पेंशन देने का प्रावधान किया जाए। साथ में कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित पूर्ण रूप से वापसी तय की जानी चाहिए।
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बता दें कि सात अक्तूबर को जारी हुआ कार्यालय ज्ञापन, केंद्रीय सिविल सेवा (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का कार्यान्वयन) नियमावली, 2021 का नियम 14, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत कवर किए गए केंद्र सरकार के कर्मचारी के सरकारी सेवा से त्यागपत्र देने पर हकदारी से संबंधित है। इस नियम के अनुसार, सरकारी सेवा या पद से त्यागपत्र देने पर, जब तक कि इसे नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा जनहित में वापस लेने की अनुमति न हो, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से अधिवर्षिता पूर्व अभिदाता की निकासी के मामले में यथास्वीकार्य, प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित विनियर्मों के अनुसार अभिदाता की संचित पेंशन कॉर्पस में से एकमुश्त और वार्षिकी का भुगतान किया जाएगा। एकमुश्त निकासी और वार्षिकी का ऐसा संदाय, उस तारीख जिससे त्यागपत्र प्रभावी होता है और अभिदाता अपने कर्तव्य से मुक्त हो जाता है, से नब्बे दिनों की अवधि समाप्त होने से पूर्व नहीं किया जा सकेगा।
90 दिनों की बाध्यता ने किया परेशान
कार्यालय ज्ञापन के मुताबिक, यदि अभिदाता की मृत्यु उस तारीख से नब्बे दिनों की अवधि समाप्त होने से पूर्व हो जाती है, जिस दिन से त्यागपत्र प्रभावी होता है, तो भुगतान उस व्यक्ति को किया जाएगा, जो पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा अधिसूचित विनियमों के अनुसार अधिवषिता पूर्व राष्ट्रीय पशन प्रणाली से अभिदाता की निकासी के मामले में यथास्वीकार्य, ऐसा भुगतान प्राप्त करने के योग्य हो। सरकारी कर्मचारी, सेवा से त्यागपत्र देने पर भी अपने विकल्प पर, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा अधिसूचित विनियमों के अनुसार गैर-सरकारी अभिदाता के रूप में, उसी स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या के साथ एनपीएस में अभिदाय करना जारी रख सकेगा।
सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध किया गया है कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत कवर किए गए केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की बाबत सरकारी सेवा से त्यागपत्र देने पर हकदारी से संबंधित उपरोक्त उपबंधों का, सख्ती से अनुपालन किया जाए। 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के अध्यक्ष डॉ. मंजीत पटेल ने सरकार से मांग की है कि त्यागपत्र देने के 90 दिनों के भीतर अगर एनपीएस कर्मी की मौत हो जाए तो उसे सेवाकाल में मृत्यु के आधार पर सभी लाभ मिलें। भारत सरकार ने एनपीएस के संबंध में एक क्लेरिफिकेशन जारी किया है। इसमें कहा गया है कि कोई भी एनपीएस कर्मचारी अगर रिटायरमेंट यानी 60 वर्ष की उम्र से पहले इस्तीफा देता है तो कर्मचारी पर एनपीएस प्री मैच्योर एग्जिट एंड विड्रोल एक्ट 2015 के अनुसार कुल कॉर्पस का 20% देने का प्रावधान है। शेष 80% की उस कर्मचारी को पेंशन के लिए एन्युटी खरीदनी पड़ती है।
इस प्रक्रिया को 90 दिनों के बाद ही कंप्लीट किया जाता है, क्योंकि 90 दिन के बाद ही इस्तीफा प्रभावी होता है। इस अवधि के दौरान अगर इस्तीफा देने वाले कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसके केस में बिना इंतजार किए इस प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाता है। पटेल के अनुसार, मार्च 2021 में भारत सरकार ने एनपीएस के संबंध में डेथ/डिसेबिलिटी से संबंधित एक बदलाव किया था। उसमें यह व्यवस्था की गई थी कि अगर सेवाकाल के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या फिर वह किसी कारण डिसएबल हो जाता है तो ऐसी स्थिति में उसके परिवार को कर्मचारी का पूरा अंशदान ब्याज सहित वापस कर दिया जाएगा। ओल्ड पेंशन के बराबर यानी अंतिम बेसिक सैलरी प्लस महंगाई भत्ते के 50% के बराबर परिवार को फैमिली पेंशन देंगे।
कर्मचारियों की ये है मांग
पटेल ने बताया, चूंकि किसी कर्मचारी का इस्तीफा 90 दिनों के बाद ही प्रभावी होता है। ऐसी स्थिति में अगर इस्तीफा देने के बाद 90 दिन के भीतर ही उस कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसकी मृत्यु को सेवाकाल में मृत्यु माना जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में 2021 एनपीएस (डेथ/डिसेबिलिटी) एमेंडमेंट एक्ट के तहत उसके परिवार को अंतिम बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते के 50% के बराबर फैमिली पेंशन देने का प्रावधान किया जाना चाहिए। साथ में कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित पूर्ण रूप से वापसी की जानी चाहिए। वजह, इस्तीफा देने के बाद 90 दिनों तक किसी भी कर्मचारी को इस्तीफा वापस लेने का अधिकार प्राप्त है। अतः इस दरमियान अगर उसकी मृत्यु होती है उसकी मृत्यु को सेवाकाल में मृत्यु के रूप में कंसीडर किया जाना चाहिए। पटेल ने कहा ऐसे केस में सरकार को परिवार के प्रति सहानुभूति दिखाने की जरूरत है न कि उसके साथ व्यवसाय करने की।