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Patanjali: नागपुर में शुरू होगा 'पतंजलि मेगा फूड एंड हर्बल पार्क', 1500 करोड़ रुपये के निवेश की है योजना
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Published by: मार्केटिंग डेस्क
Updated Thu, 06 Mar 2025 08:33 PM IST
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सार
भारत की औद्योगिक प्रगति और कृषि उत्पादों के वैश्विक विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, पतंजलि नागपुर के मिहान क्षेत्र में अपना मेगा फूड एंड हर्बल पार्क शुरू करने जा रहा है। यह अत्याधुनिक संयंत्र न केवल किसानों को उनके फलों और सब्जियों का बेहतरीन मूल्य दिलाने में सहायक होगा, बल्कि देश में प्राकृतिक और शुद्ध उत्पादों की मांग को भी पूरा करेगा। आइए इस प्लांट की खासियत के बारे में जानें।

नागपुर स्थित पतंजलि मेगा फूड एंड हर्बल पार्क
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भारत की औद्योगिक प्रगति और कृषि उत्पादों के वैश्विक विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, पतंजलि नागपुर के मिहान क्षेत्र में अपना मेगा फूड एंड हर्बल पार्क शुरू करने जा रहा है। यह अत्याधुनिक संयंत्र न केवल किसानों को उनके फलों और सब्जियों का बेहतरीन मूल्य दिलाने में सहायक होगा, बल्कि देश में प्राकृतिक और शुद्ध उत्पादों की मांग को भी पूरा करेगा। नागपुर के मिहान (नागपुर में मल्टी-मॉडल इंटरनेशनल कार्गो हब और एयरपोर्ट) क्षेत्र में पतंजलि मेगा फूड एंड हर्बल पार्क में परिचालन 9 मार्च, 2025 से शुरू होना है। मिहान में फूड प्रोसेसिंग यूनिट के लिए भूमि पूजन का कार्य सितम्बर 2016 में शुरू किया गया था।
ऑरेंज सिटी के नाम से प्रसिद्ध नागपुर में बन रहा 100% प्राकृतिक जूस
पतंजलिक के नागपुर प्लांट में सिटरस और ट्रॉपिकल फल व सब्जियों को प्रोसेस करके जूस, जूस कन्संट्रेट, पल्प, पेस्ट व प्यूरी का उत्पादन होगा। नागपुर पूरे विश्व में ऑरेंज सिटी के नाम से प्रसिद्ध है, यहां सिटरस फ्रूट्स जैसे संतरा, कीनू, मौसम्मी, नींबू इत्यादि की बहुलता है। इसे देखते हुए पतंजलि ने सिटरस प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया है। इस सिटरस प्रोसेसिंग प्लांट में प्रतिदिन 800 टन फ्रूट प्रोसेस करके फ्रोजन जूस कन्संट्रेट बना सकते हैं। यह जूस 100 प्रतिशत प्राकृतिक है और इसमें किसी भी प्रकार के प्रिजर्वेटिव या शुगर का प्रयोग नहीं किया जाता।
पतंजलि के नागपुर प्लांट में होगा फलों का प्रसंस्करण
इसके साथ-साथ इस संयंत्र में ट्रापिकल फ्रूट्स का भी प्रसंस्करण किया जाता है जिसमें आंवला प्रतिदिन 600 टन, आम प्रतिदिन 400 टन, अमरूद प्रतिदिन 200 टन, पपीता प्रतिदिन 200 टन, सेव प्रतिदिन 200 टन, अनार प्रतिदिन 200 टन, स्ट्रॉबेरी प्रतिदिन 200 टन, प्लम प्रतिदिन 200 टन, नाशपाती प्रतिदिन 200 टन, टमाटर प्रतिदिन 400 टन, लौकी प्रतिदिन 400 टन, करेला प्रतिदिन 400 टन, गाजर 160 टन, एलोविरा 100 टन प्रतिदिन टन प्रोसेस करके वैश्विक विनिर्देश के अनुसार जूस, जूस कन्संट्रेट, पल्प, पेस्ट व प्यूरी का उत्पादन किया जा सकता है। फलों से सीधे प्रोसेसिंग की प्रक्रिया को प्राइमरी प्रोसेसिंग कहते हैं। दूसरे चरण में रीटेल पैकिंग की प्रक्रिया को सेकेंडरी प्रोसेसिंग कहते हैं। इसके लिए नागपुर फैक्ट्री में टैट्रा पैक यूनिट भी स्थापित की जाएगी। पतंजलि लोगों को आरोग्य प्रदान करती है। उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए टैट्रा पैक एसेप्टिक पैकेजिंग में किसी भी तरह का प्रिजर्वेटिव या शुगर का प्रयोग नहीं होगा।
कोई भी बाय प्रोडक्ट नहीं होगा वेस्ट
पतंजलि के इस प्लांट की एक और खासियत होगी यहां किसी भी बाय प्रोडक्ट को वेस्ट नहीं जाने दिया जाता। उदाहरण के लिए, संतरे से जूस निकालने के बाद इसके छिलके का पूरा प्रयोग जाता है। इसके छिलके में एक कोल्ड प्रेस तेल (CPO) होता है जिसकी बाजार में काफी मांग है। इसके अलावा नागपुर ऑरेंज बर्फी में रॉ-मैटिरियल के रूप में प्रयोग होने वाला प्रीमियम पल्प भी पतंजलि संतरे से निकाल रहे हैं इसके साथ ही ऑयल बेस्ड अरोमा और वाटर बेस्ड अरोमा एसेंस भी निकाला जा रहा है। कॉस्मेटिक और अन्य वैल्यू प्रोडक्ट्स बनाने के लिए संतरे के छिलके का पाऊडर इस्तेमाल में लाया जाता है। इसके लिए संतरे के छिलके को ड्राइ करके पाऊडर बनाने का भी काम यहां होता है। इस प्लांट में ऐसा कोई भी बाय प्रोडक्ट नहीं है जिसे रिकवर न किया जा रहा हो। इसके अतिरिक्त यहां आटा मिल भी स्थापित की गई है जिसमें प्रतिदिन 100 टन गेहूं को प्रोसेस कर पतंजलि के जालना, आंध्रा व तेलंगाना आदि बिस्कुट यूनिट में सप्लाई किया जाता है। इसके लिए पतंजलि गेहूं सीधा किसानों से लेता है। मांग अधिक होने पर सीधे ट्रेडर या एफसीआई से सम्पर्क किया जाता है। पहले चरण में अभी यहां सिटरस फ्रूट्स और टैट्रा पैक का कमर्शियल मैनुफैक्चरिंग प्लांट शुरू किया जा रहा है। यहां अब तक तक 1000 टन मौसम्मी प्रोसेस किया जा चुका है।
रोजगार सृजन और निवेश के लिए है ये प्लान
पतंजलि के नागपुर प्लांट ने प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से लगभग 500 लोगों को रोजगार दिया है। जैसे-जैसे प्लांट में काम बढ़ेगा वैसे-वैसे रोजगार की संख्या भी बढ़ेगी। जल्द ही यह प्लांट 10 हजार लोगों को रोजगार प्रदान करने में सक्षम होगा। नागपुर प्लांट से लगभग 1000 करोड़ रुपये के टर्नओवर का अनुमान है। इस प्लांट में अब तक लगभग 700 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। इस पूरी योजना पर लगभग 1500 करोड़ निवेश का निवेश करने की तैयारी है। इस प्लांट के स्थापित होने से यहां बुनियादी ढांचे का भी विकास होगा।

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ऑरेंज सिटी के नाम से प्रसिद्ध नागपुर में बन रहा 100% प्राकृतिक जूस
पतंजलिक के नागपुर प्लांट में सिटरस और ट्रॉपिकल फल व सब्जियों को प्रोसेस करके जूस, जूस कन्संट्रेट, पल्प, पेस्ट व प्यूरी का उत्पादन होगा। नागपुर पूरे विश्व में ऑरेंज सिटी के नाम से प्रसिद्ध है, यहां सिटरस फ्रूट्स जैसे संतरा, कीनू, मौसम्मी, नींबू इत्यादि की बहुलता है। इसे देखते हुए पतंजलि ने सिटरस प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया है। इस सिटरस प्रोसेसिंग प्लांट में प्रतिदिन 800 टन फ्रूट प्रोसेस करके फ्रोजन जूस कन्संट्रेट बना सकते हैं। यह जूस 100 प्रतिशत प्राकृतिक है और इसमें किसी भी प्रकार के प्रिजर्वेटिव या शुगर का प्रयोग नहीं किया जाता।
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पतंजलि के नागपुर प्लांट में होगा फलों का प्रसंस्करण
इसके साथ-साथ इस संयंत्र में ट्रापिकल फ्रूट्स का भी प्रसंस्करण किया जाता है जिसमें आंवला प्रतिदिन 600 टन, आम प्रतिदिन 400 टन, अमरूद प्रतिदिन 200 टन, पपीता प्रतिदिन 200 टन, सेव प्रतिदिन 200 टन, अनार प्रतिदिन 200 टन, स्ट्रॉबेरी प्रतिदिन 200 टन, प्लम प्रतिदिन 200 टन, नाशपाती प्रतिदिन 200 टन, टमाटर प्रतिदिन 400 टन, लौकी प्रतिदिन 400 टन, करेला प्रतिदिन 400 टन, गाजर 160 टन, एलोविरा 100 टन प्रतिदिन टन प्रोसेस करके वैश्विक विनिर्देश के अनुसार जूस, जूस कन्संट्रेट, पल्प, पेस्ट व प्यूरी का उत्पादन किया जा सकता है। फलों से सीधे प्रोसेसिंग की प्रक्रिया को प्राइमरी प्रोसेसिंग कहते हैं। दूसरे चरण में रीटेल पैकिंग की प्रक्रिया को सेकेंडरी प्रोसेसिंग कहते हैं। इसके लिए नागपुर फैक्ट्री में टैट्रा पैक यूनिट भी स्थापित की जाएगी। पतंजलि लोगों को आरोग्य प्रदान करती है। उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए टैट्रा पैक एसेप्टिक पैकेजिंग में किसी भी तरह का प्रिजर्वेटिव या शुगर का प्रयोग नहीं होगा।
कोई भी बाय प्रोडक्ट नहीं होगा वेस्ट
पतंजलि के इस प्लांट की एक और खासियत होगी यहां किसी भी बाय प्रोडक्ट को वेस्ट नहीं जाने दिया जाता। उदाहरण के लिए, संतरे से जूस निकालने के बाद इसके छिलके का पूरा प्रयोग जाता है। इसके छिलके में एक कोल्ड प्रेस तेल (CPO) होता है जिसकी बाजार में काफी मांग है। इसके अलावा नागपुर ऑरेंज बर्फी में रॉ-मैटिरियल के रूप में प्रयोग होने वाला प्रीमियम पल्प भी पतंजलि संतरे से निकाल रहे हैं इसके साथ ही ऑयल बेस्ड अरोमा और वाटर बेस्ड अरोमा एसेंस भी निकाला जा रहा है। कॉस्मेटिक और अन्य वैल्यू प्रोडक्ट्स बनाने के लिए संतरे के छिलके का पाऊडर इस्तेमाल में लाया जाता है। इसके लिए संतरे के छिलके को ड्राइ करके पाऊडर बनाने का भी काम यहां होता है। इस प्लांट में ऐसा कोई भी बाय प्रोडक्ट नहीं है जिसे रिकवर न किया जा रहा हो। इसके अतिरिक्त यहां आटा मिल भी स्थापित की गई है जिसमें प्रतिदिन 100 टन गेहूं को प्रोसेस कर पतंजलि के जालना, आंध्रा व तेलंगाना आदि बिस्कुट यूनिट में सप्लाई किया जाता है। इसके लिए पतंजलि गेहूं सीधा किसानों से लेता है। मांग अधिक होने पर सीधे ट्रेडर या एफसीआई से सम्पर्क किया जाता है। पहले चरण में अभी यहां सिटरस फ्रूट्स और टैट्रा पैक का कमर्शियल मैनुफैक्चरिंग प्लांट शुरू किया जा रहा है। यहां अब तक तक 1000 टन मौसम्मी प्रोसेस किया जा चुका है।
रोजगार सृजन और निवेश के लिए है ये प्लान
पतंजलि के नागपुर प्लांट ने प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से लगभग 500 लोगों को रोजगार दिया है। जैसे-जैसे प्लांट में काम बढ़ेगा वैसे-वैसे रोजगार की संख्या भी बढ़ेगी। जल्द ही यह प्लांट 10 हजार लोगों को रोजगार प्रदान करने में सक्षम होगा। नागपुर प्लांट से लगभग 1000 करोड़ रुपये के टर्नओवर का अनुमान है। इस प्लांट में अब तक लगभग 700 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। इस पूरी योजना पर लगभग 1500 करोड़ निवेश का निवेश करने की तैयारी है। इस प्लांट के स्थापित होने से यहां बुनियादी ढांचे का भी विकास होगा।