{"_id":"5f2c874ff50f4a6d271f5ced","slug":"akal-takht-s-lieutenants-did-not-go-to-ayodhya-under-pressure-from-hardliners","type":"story","status":"publish","title_hn":"कट्टरपंथियों के दबाव में अयोध्या नहीं गए अकाल तख्त के जत्थेदार","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
कट्टरपंथियों के दबाव में अयोध्या नहीं गए अकाल तख्त के जत्थेदार
अमृतसर, अशोक नीर
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 07 Aug 2020 04:12 AM IST
विज्ञापन
ज्ञानी हरप्रीत सिंह
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के भूमिपूजन में सिखों की मौजूदगी तो थी लेकिन सिखों के प्रमुख जत्थेदार नहीं पहुंचे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सिख धर्म की सर्वोच्च पीठ श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह सहित अन्य तख्तों के जत्थेदारों को न्योता भेजा था। लेकिन कट्टरपंथियों के दबाव में ये लोग वहां नहीं गए।
Trending Videos
हालांकि पीएम मोदी ने श्री अमृतसर साहिब व पटना साहिब का जिक्र कर सिख धर्म के दो सर्वोच्च धार्मिक स्थानों को इस पावन अनुष्ठान से जोड़ा। अमृतसर में सिख धर्म का धार्मिक केंद्र हरमंदिर साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब है।
विज्ञापन
विज्ञापन
दूसरी तरफ तख्त श्री पटना साहिब, जहां गोबिंद सिंह जी ने अवतार लिया था। प्रधानमंत्री ने सिखों के दोनों केंद्रीय बिंदुओं को राममय बताया। वहीं कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह ने भी गोबिंद रामायण लिखी है। गोबिंद सिंह द्वारा रचित दशम ग्रंथ में राम अवतार व कृष्ण अवतार के दो अध्याय हैं।
जत्थेदारों की गैरहाजिरी, प्रदेश में नए समीकरण के संकेत
प्रदेश भाजपा 2015 से शिअद के साथ गठजोड़ खत्म करना चाहती है। जत्थेदारों का कार्यक्रम में शामिल न होना संकेत है कि शिअद पंथक विचारधारा की तरफ अग्रसर हो रहा है।
एसजीपीसी चुनाव में अकाली दल (बादल) का पंथक वोट वापस लौटा तो लोकसभा चुनाव में नए समीकरण पैदा होंगे। जत्थेदारों की नियुक्ति शिअद (बादल) की अगुवाई वाली एसजीपीसी करती है।