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गंदा है पर धंधा है ये: राशन की तरह 'सिस्टम' से बिकता है चिट्टा, बेचने वालों की हकीकत जान रह जाएंगे दंग

संदीप खत्री, संवाद, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Thu, 15 May 2025 08:36 AM IST
सार

कहने को चंडीगढ़ पुलिस को भले ही नशे के ऐसे खुले सौदागरों की जानकारी भले न हो, लेकिन हकीकत में शहर में नशा खुलेआम बेचा जा रहा है। अमर उजाला की पड़ताल में सच सामने आया है। धड़ल्ले से बिक रही नशे की खेपों से चंडीगढ़ पुलिस की पूरी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

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Amar Ujala Exclusive news on Drugs in chandigarh
चंडीगढ़ में नशे का धंधा - फोटो : संवाद
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विस्तार
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चंडीगढ़ में खुलेआम नशे का धंधा चल रहा है। कहने को तो पुलिस की नजरों में सब कुछ चोरी से होता है लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। शहर के अलग अलग हिस्सों में नशे के धंधेबाज अपने एक विशेष कोर्डवर्ड (सिस्टम) और तय व्यवस्था के मुताबिक चरस अफीम और हेरोइन जैसे नशे को खुलेआम बेचते हैं। 
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शहर के ऐसे ही नशे के धंधे को अमर उजाला ने एक्सपोज किया। इसके लिए हमने एक महीने तक मेहनत की। खुद ग्राहक बने। फिर हमने वो कोर्ड वर्ड सीखा जिसकी बदौलत शहर में नशा बिकता है। बहुत ही रिस्क पर इन नशा बेचने वालों के घरों पर पहुंचे। जैसा अंदेशा था वैसा ही हुआ। नशा भी मिला और धमकी भी मिली। इस पूरे मामले में सबसे गंभीर बात ये है कि शहर मे नशे का कारोबार महिलाओं के जिम्मे है। चंडीगढ़ में बिक रहे नशे की खेप पर अमर उजाला की बड़ी पड़ताल की पहली किश्त।

सेक्टर 56 में है बड़ा गढ़

शहर का एक इलाका है सेक्टर 56। इसी इलाके में कई ऐसे घर हैं जहां से शहर के लोगों को नशे की सप्लाई होती है। अमर उजाला ने जब चंडीगढ़ में बिकने वाले नशे के कारोबार को एक्सपोज करने की तैयारी की तो हमे पता चला कि सेक्टर 39 थाने में आने वाले सेक्टर 56 नशा सप्लाई करने वालों को बडा गढ़ है। अमर उजाला उस गढ़ में पहुंच चुका था। वहां पहुंचने पर कुछ लोगों का झुंड मिला। इन लोगों से हमने पूछा कि यहां पर सामान कहां मिलेगा।

सामान शब्द सुनकर इन लड़कों ने कुछ भी नहीं बताया। हम आगे बढ़े। एक पुलिस बीट बॉक्स दिखा। उसके आगे ही स्पोट्स कांपलेक्स था। स्कूल के पास एक कार खड़ी थी। उसमें कुछ लोग बैठे थे। हमारी गाड़ी जब उसके पास पहुंची तो वो थोड़ा सकपका गए। हमारी टीम ने उनसे सीधे पूछा कि यहां पर सामान कहां मिलेगा। हमने उनको बताया कि हम पंजाब के दूर दराज के जिलों से आए हैं। बहुत मुश्किल से उन लोगों ने हमें एक घर का पता दिया। कहा कि नीचे एक धोबी की दुकान है। उसी घर की ऊपरी मंजिल पर आपको सामान मिल जाएगा। लेकिन हिदायत यह भी दी कि संभलकर जाना, जिंदगी से बढ़कर कुछ नहीं है।



हमने अपनी गाड़ी स्पोट्स कांपलेक्स के किनारे लगाई। मुंह पर मास्क बांधा और चल पड़े ऊपरी मंजिल की और। छोटा सा घर, संकरी सीढि़यां। ऊपर पहुंचते ही दरवाजा बंद मिला। दो तीन बार जब दरवाजा खटखटकाया तो अंदर से बाहर कौन है यह पूछे जाने की आवाज आई। हमारी टीम ने उनको कोर्ड वर्ड (सिस्टम) में सामान बताया तो दरवाजा खुल गया। सामने एक 55 साल की महिला दिखी। उसने सबसे पहले पूछा यहां क्यों आए हो। हमारी टीम ने कोर्ड वर्ड में बात की। उस महिला ने पूछा कि क्या चाहिए। हमने जब चिट्टे की बात की तो उस महिला ने कहा कितना सामान चाहिए। सिर्फ एक पुड़िया लेने की बात कहकर उसने पैसे की सौदेबाजी शुरू कर दी। हमने उस महिला को बताया कि हम पंजाब से आए हैं और सबसे छोटी पुड़िया की मांग की। उससे पूछा कि उसमें कितनी हेरोइन होगी। महिला ने बताया कि आधा ग्राम ही सबसे छोटी पुड़िया है और उसकी कीमत ढाई हजार रुपये है।

ऑनलाइन पेमेंट पर भड़की

बात आगे बढ़ी और उसने पैसे की डिमांड की। हमने पूछा कि गूगल पे कर दें तो वह भड़क गई। उसने अनाप शनाप बोलते हुए धमकी देनी शुरू कर दी। खैर मामले को समझते हुए उसको कैश दिया। महिला ने आधा ग्राम हेरोइन देकर कुछ सख्त हिदायतें और धमकी देते हुए जाने को बोला। इससे पहले वह महिला सीढि़यों के सामने बने कमरे में गई और डिब्बे से लिफाफा निकालकर लाई। जिसमें छोटे छोटे फॉयल पेपर में लपेटी हुई पुड़िया थी। इसमें से ही एक पुड़िया निकालते हुए उसने हमें दी। इस दौरान जब हम उसके कमरे में इधर उधर नजर डालने लगे तो उसने डांटते हुए चुपचाप खड़े रहने को कहा और हिदायत दी कि ज्यादा ताक झांक मत करो। खैर हमें तो चंडीगढ़ में खुलेआम बिक रहे नशे के सौदागरों को एक्सपोज करना था इसलिए चुप चाप खड़े रहे। उक्त महिला ने कहा कि तुम पहली बार आए हो लेकिन तुमको कोडवर्ड पता था तुम्हें इसलिए सामान मिल गया। लेकिन यहां पर रूकना मत। सीधे यहां से चले जाना। अगर रूके तो अंजाम ठीक नहीं होगा। 

हमारी टीम नीचे उतरी और अपनी कार पर पहुंच गए। चूंकि जानकारी हमारे पास थी कि इसी इलाके में कई और जगहों से भी नशे का कारोबार चलता है। यहां से उतरकर एक और ठिकाने पर बढ़े। इस बार नशे की दुकान पुलिस बीट बॉक्स के बिल्कुल सामने वाले घर पर थी। हमने अपनी कार बीट बाॅक्स के बगल में लगाई। पहले से की गई तहकीकत में नशे के इस कारोबारी का पता चल चुका था। यह घर भी सेक्टर 56 की कॉलोनी का ही था। इस बार मंजिल ऊपर की जगह पर ग्राउंड फ्लोर पर थी। दरवाजे पर दस्तक देते ही एक महिला बाहर आई। महिला की उम्र करीब 45 वर्ष की थी। बोली बताईए किससे मिलना है। हमने उससे हेरोइन की डिमांड की। वह महिला सकपकाए बगैर बोली कितना पैसा है हमने उससे पहले की तरह ही आधा ग्राम हेरोइन मांगी। यहां पर हेरोइन की कीमत पिछली वाली जगह से कम थी। इस महिला ने आधा ग्राम से भी कम के लिए 1200 रुपये मांगे। हमने 1200 रुपये दिए और महिला ने पुड़िया में हेरोइन देकर दरवाजा बंद कर दिया।

एक महीने तक ऐसे की पड़ताल

शहर में लगातार नशे की ब्रिकी की शिकायतें सामने आ रही थी। लगातार आ रही शिकायतों पर जब यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर यह नशा चंडीगढ़ में बिकता कहां है। शुरुआत में सही ठिकाने नहीं पता चले। इक्का दुक्का मिले भी तो सड़कों पर नशे को देने की बात की गई, लेकिन इससे हमारा नशे के सौदागरों का एक्सपोज करने का मकसद हल नहीं हो रहा था। फिर हमने ऐसे सड़क पर नशा देने का वायदा करने वाले लड़के से सेक्टर 56 की कॉलोनी में नशे के सौदागरों के होने की जानकारी मिली। लड़का पंजाब विश्वविद्यालय के पीछे मिला था। हमने करीब एक हफ्ते तक उसको फाॅलो किया, लेकिन वह नशा कहां से लाता है यह नहीं पता चला। एक दिन वह सेक्टर 56 के स्पोट्स कांपलेक्स के पास पहुंचा तो हमारी टीम को अहसास हुआ कि इसी के आसपास नशे के सौदागरों का ठिकाना है।

दिल्ली और बाॅर्डर वाले ड्रग्स का रेट भी पूछा

महिला तस्करों ने चिट्टा देते समय यह भी पूछा कि सामान दिल्ली का चाहिए या फिर बॉर्डर का। महिलाओं ने दिल्ली से आने वाले हेरोइन का रेट 3500 और बॉर्डर से आने वाले चिट्टे का रेट 5 से 6 हजार बताया।
 
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