सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Chandigarh ›   Chandigarh air quality deteriorates on Diwali AQI reaches 240 green crackers allowed only two hours today

दिवाली पर चंडीगढ़ की हवा खराब: 240 तक पहुंचा AQI, आज सिर्फ दो घंटे ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Mon, 20 Oct 2025 08:14 AM IST
विज्ञापन
सार

पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार दिवाली से पहले बाजारों में बढ़ती भीड़ और वाहनों की आवाजाही प्रदूषण का बड़ा कारण है। सेक्टर 17 और 22 की मार्केटों में भारी मात्रा में लोग पहुंच रहे हैं, जिससे धूल, धुआं और वाहनों से निकलने वाले धुएं ने हवा को प्रदूषित कर दिया है। त्योहार की रात और उसके बाद हालात और बिगड़ सकते हैं। 

Chandigarh air quality deteriorates on Diwali AQI reaches 240 green crackers allowed only two hours today
चंडीगढ़ में वायु प्रदूषण - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

दिवाली से पहले ही चंडीगढ़ की हवा में घुलने वाले प्रदूषण का असर दिखने लगा है। रविवार को दोपहर डेढ़ बजे सेक्टर-22 के आसपास का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 240 तक पहुंच गया, जो खराब श्रेणी में आता है। बाजारों में बढ़ती भीड़ और वाहनों की लगातार आवाजाही ने हालात खराब कर दिए हैं, जबकि सेक्टर-25 और 53 जैसे इलाकों में एक्यूआई 100 से नीचे रहा।

Trending Videos


यूटी प्रशासन ने दिवाली पर प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। शहर में लोग सिर्फ ग्रीन पटाखे ही जला सकेंगे, वो भी रात 8 बजे से रात 10 बजे के बीच ही। इसके लिए प्रशासन ने खास दिशानिर्देश जारी किए हैं और सभी थाना प्रभारियों को सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं। रात 10 बजे के बाद पटाखे जलाने वालों पर कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन


चंडीगढ़ में सेक्टर 25, सेक्टर 22 और सेक्टर 53 में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगे हैं। इनमें से सेक्टर 22 का स्टेशन शहर के बीचोंबीच स्थित है, इसलिए यहां के प्रदूषण के स्तर को शहर का स्तर माना जाता है। रविवार को जहां सेक्टर 25 और 53 में एक्यूआई संतोषजनक रहा, वहीं सेक्टर 22 में हवा सबसे अधिक प्रदूषित दर्ज की गई। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, सेक्टर-22 के आसपास भीड़ और वाहनों की बढ़ती आवाजाही के कारण प्रदूषण तेजी से बढ़ने लगा।

सुबह 11.30 बजे सेक्टर-22 का एक्यूआई बढ़कर 173 पहुंच गया, जबकि बाकी दोनों सेक्टरों में स्थिति लगभग समान रही। दोपहर 1 बजे तक सेक्टर-22 में हवा और खराब हो गई और एक्यूआई 231 तक पहुंच गया। इसके एक घंटे बाद यानी दोपहर 2 बजे यह 240 तक जा पहुंचा, जो खराब श्रेणी में आता है। दूसरी ओर, सेक्टर-25 और सेक्टर-53 में एक्यूआई 73 और 63 के आसपास स्थिर रहा। शाम ढलते ही प्रदूषण का स्तर कुछ कम हुआ और साढ़े चार बजे सेक्टर-22 का एक्यूआई 157 दर्ज किया गया, लेकिन देर शाम साढ़े छह बजे यह फिर से बढ़कर 228 हो गया। आंकड़े साफ दिखाते हैं कि सेक्टर-22 और उसके आसपास का इलाका दिवाली से पहले ही प्रदूषण की मार झेल रहा है।

खराब श्रेणी की हवा से स्वास्थ्य पर कई दुष्प्रभाव

एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में खराब श्रेणी की हवा से स्वास्थ्य पर कई दुष्प्रभाव होते हैं। बच्चों, बुजुर्गों और सांस या हृदय के मरीजों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है। आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में परेशानी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में सुबह-शाम खुली हवा में व्यायाम से बचें, मास्क पहनें और घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।

क्या है एक्यूआई

एक्यूआई एक मापदंड है जो वायु में उपस्थित प्रमुख प्रदूषकों जैसे पीएम2.5, पीएम10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन और कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर दर्शाता है। एक्यूआई का स्तर 0 से 50 के बीच होने पर हवा को अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब, और 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है।

नीरी-सीएसआईआर सर्टिफाइड ग्रीन पटाखे ही जलाने की हिदायत

पारंपरिक पटाखों से निकला धुआं और हानिकारक कण त्योहार के बाद वायु प्रदूषण को बढ़ा देते हैं इसलिए ही ग्रीन पटाखों को अनुमति दी गई है। दिवाली पर रात 8 बजे से लेकर 10 बजे तक और गुरु पर्व के मौके पर सुबह 4 बजे से लेकर 5 बजे और फिर रात में 9 बजे से लेकर 10 बजे के बीच ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति देने का फैसला लिया गया है। प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि ग्रीन पटाखे हवा में कम जहरीले कण छोड़ते हैं, जिससे सांस संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है। ग्रीन पटाखों पर 'ग्रीन' और 'ई' मार्किंग होती है, जिससे इन्हें पहचाना जा सकता है।

दिखने में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं ग्रीन पटाखे

ग्रीन पटाखे राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) की खोज हैं और ये आवाज से लेकर दिखने तक में पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं। इनको जलाने पर प्रदूषण काफी कम होता है। ये सामान्य पटाखों की तुलना में 40 से 50 फीसदी तक कम हानिकारक गैस पैदा करते हैं, क्योंकि इनमें एल्युमिनियम, बेरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का प्रयोग नहीं किया जाता है। ग्रीन पटाखों में खतरनाक रसायनों की मात्रा भी काफी कम होती है। कीमत की बात करें तो यह परंपरागत पटाखों की तुलना में थोड़े महंगे होते हैं।

पटाखा प्रतिबंध पर प्रशासन का फैसला हर साल अलग-अलग

बीते कुछ साल में दिवाली पर प्रशासन का फैसला अलग-अलग रहा है। वर्ष 2017 में प्रशासन ने तीन दिन के लिए पटाखों की बिक्री और जलाने पर प्रतिबंध हटाया था। इसमें दशहरा, दीपावली और गुरु पर्व पर शाम से 6.30 से 9.30 बजे तक पटाखे चलाने की अनुमति दी गई थी। वर्ष 2018 और 2019 में प्रशासन ने रात 8 से 10 बजे तक पटाखे चलाने की अनुमति दी थी, जबकि वर्ष 2020 और 2021 में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद फिर दो घंटे पटाखे जलाने की मंजूरी दी जाने लगी।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed