एक दिवाली ऐसी भी: कहीं कुष्ठ आश्रम में जरूरतमंदों के साथ मनाई खुशियां, कहीं अस्पताल में जगमगाई रोशनी
शहर की सरकारी इमारतें रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगा रही हैं लेकिन खास बात यह है कि ये लाइटें सौर ऊर्जा से पैदा बिजली से चल रही हैं। नगर निगम, सचिवालय और अन्य सरकारी भवन सूरज की किरणों से पैदा हुई बिजली से रोशन हो रहे हैं।

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चंडीगढ़ में आज दिवाली की धूम है। ज्यादातर लोग अपने घरों को रोशनी से सजा रहे थे तब सेक्टर-40 निवासी समाजसेवी जेके बेदी ने दिवाली की शुरुआत मानवता की सेवा से की।

उन्होंने अपनी पत्नी और भाई के साथ सेक्टर-47 स्थित कुष्ठ आश्रम में जाकर वहां रह रहे 50 परिवारों को गर्म कपड़े, बिस्किट, टूथपेस्ट, टूथब्रश और अन्य जरूरी सामान वितरित किए।
बेदी ने कहा कि हर कोई अपने घर में दिवाली मनाता है लेकिन असली खुशी तो तब है जब किसी और के घर में भी रोशनी पहुंचाई जाए। बेदी ने बताया कि उन्होंने पहले आश्रम में जाकर यह जाना कि वहां रह रहे परिवारों को किन चीजों की सबसे ज्यादा जरूरत है। जब उन्हें पता चला कि लोगों के पास सर्दी से बचाव के लिए गर्म कपड़े और बिस्तर नहीं हैं, तो उन्होंने 50 डबल बेड कंबल और जुराबें वितरित कीं। इसके साथ ही सभी परिवारों को टूथपेस्ट, टूथब्रश और बड़ा बिस्किट पैकेट भी दिया गया।

सेवा करने से आत्मिक खुशी मिलती है
बेदी ने कहा कि समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद करना ही उनका जीवन उद्देश्य है। मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि जो विद्यार्थी या परिवार जरूरतमंद हैं, उनकी यथासंभव सहायता की जाए। इस सेवा से आत्मिक संतोष और खुशी दोनों मिलती है। उन्होंने यह भी बताया कि अब वे कुष्ठ आश्रम के मंदिर के जीर्णोद्धार का काम भी करवाएंगे ताकि वहां के लोग अच्छे वातावरण में पूजा-पाठ कर सकें। बेदी ने कहा कि दिवाली केवल अपने घरों में दीप जलाने का त्योहार नहीं बल्कि दूसरों के जीवन में भी रोशनी भरने का अवसर है। उन्होंने कहा कि अगर हर व्यक्ति अपनी खुशी का थोड़ा हिस्सा किसी जरूरतमंद के साथ बांटे तो समाज में कोई अंधेरा न रहे।
डॉक्टर, नर्स और मरीज अस्पताल में ही मनाएंगे दिवाली
त्योहारों की रौनक इस बार अस्पताल के वार्डों तक पहुंची है। जीएमएसएच-16 में दिवाली से एक दिन पहले खास तैयारियां की गईं। अस्पताल प्रशासन, नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर्स ने मिलकर मरीजों के साथ एक दिवाली ऐसी भी थीम पर उम्मीद और सकारात्मकता की ज्योति जलाने का निर्णय लिया है। वार्डों, लैब और आईसीयू की दीवारों को फूलों की माला और रंग-बिरंगी लड़ियों से सजाया जा रहा है। नर्सिंग स्टाफ ने मरीजों के बच्चों के साथ मिलकर रंगोली बनाने की प्रतियोगिता रखी है, वहीं स्टाफ रूम और गलियारों में दीयों की पंक्तियां रोशनी बिखेरेंगी। हर वार्ड में एक होप एंड हील कोना बनाया जा रहा है जहां मरीज और उनके परिजन दीया जलाकर स्वास्थ्य की कामना करेंगे।
डॉक्टरों ने बताया कि यह पहल केवल सजावट नहीं बल्कि थेरेप्यूटिक माहौल तैयार करने का प्रयास है। त्योहार की सकारात्मकता मरीजों के मनोबल को बढ़ाती है और स्वस्थ होने की प्रक्रिया को तेज करती है। अस्पताल प्रबंधन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि त्योहार के दिन इमरजेंसी सेवाएं बिना किसी रुकावट के चलें। सभी जरूरी दवाइयों, आपात उपकरणों और स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गई है। दिवाली की शाम को अस्पताल के मुख्य द्वार पर सामूहिक दीप जलाकर उम्मीद की लौ जलाई जाएगी जिसमें मरीजों, डॉक्टरों और कर्मचारियों की भागीदारी रहेगी। अस्पताल में कोई आतिशबाजी नहीं होगी लेकिन हर दिल में रोशनी और हर वार्ड में मुस्कान जरूर होगी।
सौर ऊर्जा से जगमगाया चंडीगढ़
शहर की सरकारी इमारतें रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगा रही हैं लेकिन खास बात यह है कि ये लाइटें सौर ऊर्जा से पैदा बिजली से चल रही हैं। नगर निगम, सचिवालय और अन्य सरकारी भवन सूरज की किरणों से पैदा हुई बिजली से रोशन हो रहे हैं। इस तरह इस बार की दिवाली ग्रीन एनर्जी दिवाली बन गई है।
नगर निगम, चंडीगढ़ सचिवालय, पुलिस हेडक्वार्टर, शिक्षण संस्थान, अस्पताल और अन्य सरकारी इमारतों को आकर्षक रोशनी से सजाया गया है। इन सभी सजावटी लाइटों को सौर ऊर्जा से पैदा हुई बिजली से ही चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य न केवल त्योहार को पर्यावरण अनुकूल बनाना है बल्कि लोगों को नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व का संदेश देना भी है। अधिकारियों के अनुसार शहर की 6624 सरकारी इमारतों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं जिनकी कुल स्थापित क्षमता 18.1 मेगावाट पीक है।
इन पैनलों से हर साल करीब 23.5 मिलियन यूनिट बिजली पैदा हो रही है जिससे सरकार को करोड़ों की बचत हो रही है। इस ऊर्जा से न केवल इन इमारतों की नियमित जरूरतें पूरी होती हैं बल्कि त्योहारों के अवसरों पर की जाने वाली रोशनी भी अब सूरज की ऊर्जा से चलती है। पर्यावरण विभाग के निदेशक सौरभ कुमार ने कहा कि सौर ऊर्जा का उपयोग कर हम न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं बल्कि नागरिकों को यह संदेश भी दे रहे हैं कि स्वच्छ ऊर्जा ही भविष्य की जरूरत है।
11 साल में 15 गुना बढ़ी क्षमता
क्रेस्ट की ओर से बीते एक दशक में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए गए हैं। इसका असर यह हुआ है कि शहर में रिन्यूएबल एनर्जी (आरई) से बिजली उत्पादन की क्षमता में 11 साल में करीब 15 गुना इजाफा दर्ज किया गया है। 2014-15 में जहां शहर की सोलर बिजली उत्पादन क्षमता मात्र 5.31 मेगावॉट थी, वहीं 2024-25 तक यह बढ़कर 78.85 मेगावॉट तक पहुंच चुकी है। अब तक 270.26 मिलियन यूनिट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हुआ है जिससे अनुमानित 1.86 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है। बता दें कि हाल ही में केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने चंडीगढ़ को उन 34 शहरों की सूची में शामिल किया है जिन्हें वर्ष 2030 तक सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा।