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Chandigarh: नई कार खरीदी... खूब घुमाई, कोर्ट ने सिखाया सबक... अब जाना होगा जेल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Thu, 13 Nov 2025 03:02 PM IST
सार
एक व्यक्ति ने नई कार खरीदी। नई कार में शख्स खूब घुमा भी, लेकिन उसने कार की किस्त ही नहीं दी। फाइनेंस कंपनी ने उसके खिलाफ चंडीगढ़ कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई। कोर्ट ने आरोपी को जेल की सजा सुनाई है।
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Chandigarh district court
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
नई कार खरीदने का सपना हर शख्स का होता है। नया वाहन खरीदने के बाद नियमों के अनुसार वाहन को फाइनेंस किए जाने पर खरीदार को हर माह लोन की किस्त का भुगतान संबंधित फाइनेंस कंपनी या संबंधित बैंक को करना होता है। समय पर किस्त का भुगतान न करना महंगा पड़ सकता है।
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ऐसा ही एक मामला चंडीगढ़ जिला अदालत में सामने आया है जहां नई कार खरीदने के बाद ग्राहक ने लोन की किस्तों का भुगतान ही नहीं किया और अदालत ने आरोपी को चेक बाउंस केस में दोषी करार देते हुए उसे जेल की सजा सुनाई है।
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अदालत ने दोषी रत्तन पाल को 10 महीने कैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा लोन की राशि 5 लाख 26 हजार रुपये फाइनेंस कंपनी को लौटाने का आदेश भी दिया है। दोषी रत्तन पाल के खिलाफ श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी ने दिसंबर 2019 में जिला अदालत में चेक बाउंस का केस दायर किया था।
श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड की तरफ से केस लड़ने वाले एडवोकेट राजेश के राय ने बताया कि फाइनेंस कंपनी ने चंडीगढ़ निवासी रत्तन पाल के खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत के अनुसार कंपनी का ऑफिस चंडीगढ़ के सेक्टर-34ए में स्थित है। कंपनी वाहन वित्त (व्हीकल लोन) का कार्य करती है। रत्तन पाल ने नई कार खरीदने के लिए उक्त कंपनी वित्तीय सहायता मांगी थी, जिसे कंपनी ने ब्याज और अन्य शर्तों के साथ स्वीकृत किया। आरोपी ने 30 अक्तूबर 2019 को श्रीराम फाइनेंस कंपनी से 5,26,200 रुपये का कार लोन करवाया था। आरोपी ने कंपनी को भारतीय ओवरसीज बैंक का चेक दिया था। लेकिन जब कंपनी ने 1 नवंबर 2019 आरोपी द्वारा दिए गए चेक को बैंक में लगाया तो वह बाउंस हो गया। इसके बाद कंपनी ने आरोपी को 15 नवंबर 2019 को कानूनी नोटिस भेजा और 15 दिनों के भीतर भुगतान करने को कहा, लेकिन आरोपी ने भुगतान नहीं किया।
इसके बाद कंपनी ने अदालत में शिकायत दर्ज कराई। शिकायतकर्ता कंपनी के वकील राजेश के राय ने कोर्ट में दलील दी कि आरोपी रत्तन पाल ने कार नंबर सीएच-04-सी-4318 पर लोन लिया था और उसे ब्याज और शुल्क सहित वापस करने का समझौता किया था। आरोपी तरफ से दिया गया चेक बाउंस हो गया और कंपनी ने उसके खिलाफ जिला अदालत में शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद अदालत में आरोपी के खिलाफ केस चला और अब अदालत ने सबूतों के आधार पर रत्तन पाल को दोषी मानते हुए 10 माह की सजा और 5 लाख 26 हजार रुपये लौटाने का आदेश दिया है।