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Interview: हरियाणा डीजीपी की दो टूक-जंगलराज नहीं आने दूंगा, विभाग में जलेबियां तलने वालों का वक्त खत्म

कुलदीप शुक्ला, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Thu, 13 Nov 2025 01:13 PM IST
सार

विभाग में जातिगत विवादों के वाई पूरण कुमार के आरोपों पर भी करारा जवाब वह देते हैं कि हमारी सिर्फ एक जाति है... वह है खाकी। थार व बुलेट के विवादित बयान पर प्रतिक्रिया से लेकर विभाग के कामकाज को लेकर पुलिस मुख्यालय में ओपी सिंह से अमर उजाला के कुलदीप शुक्ला की विस्तृत बातचीत हुई।

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Haryana DGP OP Singh Interview will not allow jungle raj to come
हरियाणा के डीजीपी ओपी सिंह - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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हरियाणा के आईपीएस वाई पूरण कुमार की आत्महत्या के बाद छुट्टी पर भेजे गए हरियाणा पुलिस के महानिदेशक शुत्रजीत कपूर की जगह कार्यभार संभालने वाले ओपी सिंह के काम और बयान कुछ ही समय में खूब चर्चा में आ गए हैं। 

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अपराधियों को चेतावनी देने की बात हो या पुलिस कर्मियों को काम में दक्षता लाने की, ओपी सिंह बेबाक हैं। वह दो टूक कहते हैं कि विभाग में शिकायत निस्तारण के नाम पर जलेबियां तलने वालों का दौर खत्म, अब नतीजे जमीन पर दिखने चाहिए। गैंगस्टर, नशा तस्कर और साइबर ठग कायर और गद्दार हैं, अब कोई नहीं बचेगा।
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सवाल - आपने पुलिस विभाग में करंट ला दिया, क्या महसूस करते हैं?
जवाब -
सुरक्षा का स्तर पुलिस कर्मियों की अथक प्रयास व मेहनत का नतीजा है। पहले भी कोशिश होती रही है, आगे भी कोशिश लगातार जारी रहेगी। हम काम कर रहे हैं, यहीं जवानों की ऊर्जा है।

सवाल- आपके जनता दरबार में खूब पब्लिक आ रही है, क्या नीचे स्तर पर उनकी सुनवाई नहीं हो रही है?
जवाब-
शिकायत के नाम पर जलेबियां तली जा रही है। थाने में शिकायतकर्ता को मिलने वाला ड्यूटी अफसर अगर ट्रेंड नहीं है तो आपकी बात को अनसुना करेगा। उन्हें लगता है कि वह हर किसी को क्यों सुनें। एचएसओ या अधिकारी समझते हैं कि सीधे चलने वाले मुकदमे सुनने का समय नहीं है, अब छोटी-मोटी शिकायतों के चक्कर में कौन पड़ेगा। पब्लिक के लिए उसकी छोटी समस्या भी बड़ी है। इसलिए, वह यहां आते हैं और जो हमारे तक आ गया, वह एसपी के नीचे नहीं जाएगा। उस स्तर पर मामले के निस्तारण के लिए एक सप्ताह की अवधि तय की गई है।

सवाल- खेलों की पहचान रखने वाला हरियाणा गैंगलैंड बन गया है?
जवाब -
देखिए, शांति का इससे बड़ा इतिहास नहीं आया। आपराधिक रिकॉर्ड के आंकड़े देखेंगे तो यह साबित भी हो रहा है। हिंसा में मरने वालों की संख्या लगातार कम हो रही है। प्रेस, न्यायालय, मानवाधिकार... सब नजर लगाकर बैठे हैं कि पुलिस किसी के साथ धक्का तो नहीं कर रही है।

सवाल- हरियाणा पुलिस गैंगस्टरों के डिपोर्ट करने में क्या भूमिका निभा रही है?
जवाब -
विदेश में बैठे अपराधियों को डिपोर्ट करने की प्रक्रिया जारी है। उस पर टिप्पणी नहीं करूंगा।

सवाल - गैंगस्टर के नाम व उनकी फोटो मीडिया में प्रसारित करने पर पाबंदी क्यों लगाई जा रही है?
जवाब-
हम कौन कहने वाले होते हैं कि आपने क्या करें या न करें। इन अपराधियों को लगता है कि अखबारों में छपने से उनका नाम बढ़ जाएगा और वसूली बढ़ जाएगी, तो गलत सोच है। इनकी कोई नहीं नहीं सुनता है।

थार-बुलेट वाला बयान आउट ऑफ कंटेक्स्ट चलाया गया

सवाल- आपका ने बयान दिया कि थार-बुलेट पर बदमाश चलते हैं। इस पर विवाद हो रहा है। पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत ने भी आपसे सवाल पूछा है?
जवाब -
ऐसा है कि सोशल मीडिया के जमाने में सबसे बड़ा जोखिम है कि कोई भी आपकी फुटेज निकालकर आउट ऑफ कंटेक्स्ट (दूसरे संदर्भ में) चला देता है। गुरुग्राम में बात यह चली थी कि लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते है, हुड़दंग मचाते और आम लोग तंग होते है। मैंने पुलिस से कहा कि आप एक माइंडसेट बना मना लो कि जो गाड़ियां बदमाश व हुड़दंग मचाने वाले ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उनकी ज्यादा जांच करो। अक्सर लोग मिलने पर कहते हैं कि बुलेट के पटाखे से परेशान करते हैं, फिर यह तिल का ताड़ बन जाता है।

सवाल- हरियाणा पुलिस का लहजा व कामकाज सुधारने की योजना क्या है?
जवाब -
ज्यादातर पुलिसकर्मी बहुत अच्छे से बात करते हैं। मैंने इन्हें कहा कि इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी से जैसे बात करते हो, उसी तरह शिकायतकर्ता से बात करिए और जैसे डीजीपी को सम्मान देते हो उसी तरह महिला को सम्मान दीजिए। रात के समय हथियार बंद पुलिसकर्मियों से मर्यादा व संयम की अपेक्षा रहती है, यह भाव भी जगना चाहिए। कुछ लोग यह भूल जाते है कि वह पुलिस में हैं।

सवाल- अक्सर छोटे नशा तस्कर पकड़े जाते हैं लेकिन बड़े सरगना बच जाते हैं, कितना सही है?
जवाब-
आपकी बात तथ्यात्मक तौर पर गलत है। अभी भी बड़ी मात्रा में नशा तस्करी करने वाले 350 पकड़े गए हैं जिनकी दो साल से पहले जमानत नहीं होगी। 1200 से अधिक तस्कर बाहरी जिलों से दबोचकर ले आए हैं। पुलिस पूरी शक्ति से लगी है। यह स्पष्ट संदेश है कि हम इन्हें छोड़ने वाले नहीं है।

सवाल- हरियाणा में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है, कैसे रोकेंगे?
जवाब -
देखिए 100 रुपये की ठगी हुई है तो उनमें 46 रुपये रिकवर किए हैं। साइबर ठगी रोकने के लिए 70 कर्मियों को लगा रखा है ताकि समय पर शिकायत मिलने पर पैसे का ट्रांजेक्शन रोका जाए।

हमारी तो एक ही जाति है...खाकी

सवाल- वरिष्ठ आईपीएस वाई पूरण आत्महत्या प्रकरण से विभाग में जातिगत विवाद नहीं खड़ा हो गया?
जवाब -
ये सुनी- सुनाई बातें होती हैं, हमारी तो एक ही जाति है ...खाकी। यह कोई मुद्दा ही नहीं है। हमारे साथ इतने पुलिसकर्मी होते हैं। अब यही करने के लिए रह गए हैं? हमें तो कहीं नहीं दिखता है, जिनको दिखता है उनके अपने स्वार्थ हैं। यह 36 बिरादरी की फोर्स है, ये सेकुलर सिस्टम से ऑपरेट करते हैं।

सवाल- रोहतक में एएसआई संदीप लाठर की आत्महत्या का सच कब सामने आएगा?
जवाब-
एक तरफ चंडीगढ़ पुलिस और दूसरी ओर रोहतक पुलिस जांच कर रही है। जांच में कोई दखलंदाजी नहीं है।

सवाल- आपने क्राउड मैनजमेंट पर पांचवीं किताब लिखी है, क्या है इसमें?
जवाब-
एक समय था गांव का एक बड़ा व्यक्ति किसी को भी अनुशासित कर सकता था, अब परिवार को भी नहीं कर पाते है। अब नई स्थिति बनी है। बच्चे काफी इंटरेक्ट करते हैं। ऐसे में सरकारों की उनके प्रति क्या अप्रोच होनी चाहिए, सरकार कैसे डील करे। पुलिस का एक तरीका क्राउड होस्टिंग है। इसके तहत 15 दिन पर एक हजार आदमी इकट्ठा करके देखिए। जो क्राउड को मॉब बना सकते हैं, उन्हें नाथिए और जो क्राउड को क्राउड रखते हैं, उनसे आप संबंध रखिए।

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