सख्ती का असर: हरियाणा के 15 जिलों में बढ़ने लगी लाडो, पिछले साल की तुलना में आठ अंक की बढ़ोतरी
2024 में जन्म के समय हरियाणा में लिंगानुपात 916 से गिरकर 910 पहुंच गया था। जो पिछले आठ साल में सबसे कम दर्ज किया गया था।
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गिरते लिंगानुपात को बचाने के लिए हरियाणा सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों का असर दिखने लगा है। राज्य में लाडो की संख्या बढ़ने लगी है।
राज्य के 15 जिलों के जन्म के समय लिंगानुपात में वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि दो शहरों का लिंगानुपात न बढ़ा और न ही कम हुआ, जबकि पांच शहरों में फिलहाल कोई प्रगति नहीं दिखाई दे रही है।
हरियाणा सरकार के मुताबिक जनवरी से लेकर अक्तूबर 2025 तक यानी दस महीने में एक हजार लड़कों पर 913 लड़कियां दर्ज की गई हैं। पिछले साल इसी अवधि में लिंगानुपात 905 दर्ज किया गया था। पूरे आठ अंक का सुधार दर्ज किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि आगामी दो महीने भी इसी तरह की गति रही तो पिछले साल के मुकाबले इस बार सुधार देखने को मिल सकता है। 2024 में लिंगानुपात गिरने पर हरियाणा सरकार की मुहिम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को बड़ा झटका लगा। सरकार ने इसे गंभीरता से लिया और स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में एक विशेष टास्क फोर्स गठित कर सख्त कार्रवाई शुरू की। जिन जिलों में फिलहाल सुधार नहीं है, वहां राज्य सरकार का विशेष फोकस है। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने बताया कि अभी और मेहनत करने की जरूरत है, ताकि यह सुधार बना रहे और इसमें कोई गिरावट न आए। हमने सुधार के जो लक्ष्य तय किए थे, उन्हें पूरा करने के लिए पूरी टीम जुटी हुई है।
इन जिलों में सुधरा लिंगानुपात
जिन जिलों में सुधार दिखने लगा है, उनमें पंचकूला, पानीपत, फतेहाबाद, गुरुग्राम, रोहतक, कैथल, कुरुक्षेत्र, जींद, रेवाड़ी, भिवानी, फरीदाबाद, करनाल, महेंद्रगढ़, नूंह, यमुनानगर शामिल हैं। वहीं, पलवल, चरखी दादरी, सिरसा, सोनीपत, झज्जर में ज्यादा प्रगति नहीं हुई। हिसार व अंबाला का लिंगानुपात अभी पिछले साल के बराबर है।
हरियाणा सरकार की ओर से ये उठाए गए कदम
1. विभिन्न विभागों की विशेष टास्क फोर्स गठित की गई, जो हर हफ्ते समीक्षा करती है।
2. सिविल सर्जन और एसएमओ की जिम्मेदारी तय की गई। लापरवाही पर पांच सिविल सर्जन से सवाल जवाब किया गया जबकि आधा दर्जन एसएमओ चार्जशीट किए गए।
3. हर सिविल सर्जन को छापे मारने के लक्ष्य तय किए गए। हफ्ते में दो छापे मारने का टारगेट दिया गया।
4. गर्भपात की गोलियों की अवैध बिक्री को रोका गया। हरियाणा रिटेल और होलसेल पर पाबंदी लगाई गई। जनवरी की शुरुआत में करीब 30 हजार गोलियों की खपत थी, जो अक्तूबर में आकर 150 के करीब पहुंची
5. अवैध एमटीपी क्लीनिक को बंद किया गया। जनवरी की शुरुआत में करीब 1500 क्लीनिक थे, जिनकी अब संख्या करीब हजार के पास है।
6. उन गर्भवती महिलाओं की निगरानी की गई, जिनकी पहले से एक या दो लड़कियां थीं। इनकी निगरानी के लिए एएनएम और आंगनवाड़ी वर्कर को रखा गया। लापरवाही पर 200 से ज्यादा आंगनवाड़ी पर कार्रवाई की गई।
12 हफ्ते के अधिक गर्भपात मामले में 57 एफआईआर
हरियाणा अवैध गर्भपात के मामलों पर रोक लगाने के लिए 12 सप्ताह से अधिक गर्भपात के मामलों की रिवर्स ट्रैकिंग की। इसमें 824 मामले ट्रेस किए गए, जिनमें 57 एफआईआर दर्ज की गई। 38 निजी अस्पताल व केंद्रों को नोटिस दिया गया। 20 मामलों की जांच पुलिस कर रही है। वहीं, 222 सहेली व 34 एएनएम, पांच एसएमओ व सात एमओ को नोटिस दिया जा चुका है।
चार सीएमओ को कारण बताओ नोटिस
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री आरती सिंह राव के निर्देशानुसार राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) की साप्ताहिक बैठक की अध्यक्षता स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक डॉ. वीरेंद्र यादव की ने की। बैठक में बताया गया कि चरखी दादरी के गोपी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एसएमओ को खराब लिंगानुपात के लिए आरोप पत्र जारी किया गया है। इसके अलावा, नारायणगढ़, मुलाना और चौरमस्तपुर के प्रभारी एसएमओ और पलवल, चरखी दादरी, सिरसा और सोनीपत के सीएमओ को इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। बैठक में बताया गया कि फतेहाबाद, गुरुग्राम, पंचकूला, पानीपत और रेवाड़ी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जबकि सिरसा, सोनीपत और चरखी दादरी में गिरावट देखी गई है।