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चंडीगढ़ में 308 दिन में बदली सियासत: सड़क से छठ पूजा तक भाजपा ने लिखी ऐसी पटकथा, पलट गई पूनम-सुमन की राजनीति

वीणा तिवारी, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Thu, 25 Dec 2025 10:19 AM IST
सार

चंडीगढ़ में मेयर चुनाव से बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ। आम आदमी पार्टी की पार्षद सुमन और पूनम भाजपा में शामिल हो गई हैं। 

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Chandigarh politics changed in 308 days BJP Mayor election
आप की दो पार्षद भाजपा में शामिल - फोटो : संवाद
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विस्तार
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चंडीगढ़ मेयर पद के लिए हाथ उठाकर चुनाव कराने के एलान के साथ ही चंडीगढ़ नगर निगम की राजनीति में जोड़तोड़ के कयास तेज हो गए थे। बुधवार को आम आदमी पार्टी की पार्षद सुमन शर्मा और पूनम के भाजपा में शामिल होते ही इन कयासों पर औपचारिक मुहर लग गई। 

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यह घटनाक्रम केवल दो पार्षदों का दल-बदल नहीं बल्कि महीनों से चली आ रही एक सुनियोजित राजनीतिक रणनीति का परिणाम माना जा रहा है जिसमें विकास कार्य, धार्मिक आयोजन और सदन की भूमिका सब कुछ शामिल रहा।

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पार्षद पूनम सबसे ज्यादा चर्चा में 

पूनम का मामला सबसे ज्यादा चर्चा में है। 19 फरवरी 2024 को वह दो अन्य पार्षदों के साथ आप छोड़कर भाजपा में गई थीं लेकिन 9 मार्च 2024 को यह कहकर फिर से आप में लौट आईं कि उन्हें गुमराह किया गया था। अब महज 308 दिन में उन्होंने दूसरी बार दल बदला और इसे घर वापसी बताया। सियासी हलकों में माना जा रहा है कि यह फैसला अचानक नहीं था। इसकी पटकथा सितंबर से ही लिखी जाने लगी थी। जब पूरे शहर में खराब सड़कों को लेकर हंगामा था और आप-कांग्रेस गठबंधन सदन में मेयर को घेर रहा था, उसी दौरान सबसे पहले पूनम के वार्ड में सड़क निर्माण का काम शुरू कराया गया। नवंबर की सदन बैठक में जहां विपक्ष हमलावर था, वहीं पूनम ने सड़क बनवाने के लिए मेयर हरप्रीत कौर बबला का खुले तौर पर धन्यवाद कर दिया।

पार्षद सुमन के वार्ड में हुई छठ पूजा

इसी तरह सुमन शर्मा के मामले में छठ पूजा का आयोजन अहम कड़ी बनकर सामने आया। भाजपा पार्षदों ने जब सदन में उनके वार्ड में आयोजन पर सवाल उठाए तो मेयर ने इसे धार्मिक कार्यक्रम बताते हुए सुमन का समर्थन किया और कहा कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। अगली बार से एजेंडा लाने की बात कहकर उन्होंने सुमन से धन्यवाद भी स्वीकार किया। इस बीच आयोजन में परिवार सहित पहुंचे कमिश्नर अमित कुमार पर सवाल उठे तो उन्होंने इसे निजी फैसला बताया। अब इन्हीं घटनाओं को भाजपा ज्वाइनिंग से जोड़कर देखा जा रहा है।

मनोनीत पार्षद के लिए बनी गले की हड्डी

इस दल-बदल से मनोनीत पार्षद गीता चौहान की भूमिका भी उलझन में आ गई है। इंदिरा कॉलोनी की रहने वाली गीता और वहीं की पार्षद सुमन शर्मा के बीच पहले से तीखा टकराव रहा है। बीपीएल कार्ड से लेकर सामुदायिक केंद्र और आरडब्ल्यूए तक के मामलों में दोनों आमने-सामने रही हैं। नवंबर की बैठक में तो धक्कामुक्की तक की नौबत आ गई थी। अब सवाल यह है कि पार्टी लाइन में दोनों एक-दूसरे का विरोध करेंगी या समर्थन देंगी।

गृहमंत्री के दौरे के बीच सियासी संदेश

सूत्रों के मुताबिक, आज का दिन जानबूझकर चुना गया। पिछली बार मेयर चुनाव में वोट क्रॉसिंग विवाद और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से भाजपा की छवि को जो नुकसान हुआ था, उसकी भरपाई के लिए गृहमंत्री अमित शाह के पंचकूला दौरे के बीच यह संदेश देना जरूरी था कि पार्टी ने नगर निगम में अपना संख्या बल मजबूत कर लिया है।

संख्या बल ही मेयर पद की दावेदारी, इसलिए कंवर सबसे सक्रिय

मेयर पद की दावेदारी अब पूरी तरह संख्या बल पर टिक गई है। यही वजह है कि भाजपा में कंवरजीत राणा सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आए। अन्य दलों के पार्षदों से लगातार संपर्क, बंद कमरे की चर्चाएं और राजनीतिक जोड़तोड़ इसी रणनीति का हिस्सा रही हैं। पूनम और सुमन की ज्वाइनिंग की तस्वीरों में उनका सबसे आगे होना भी इसी दावेदारी की ओर इशारा करता है।

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