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हाईकोर्ट का आदेश: चाहे सरकारी दफ्तर रात-दिन खुले रहें, समग्र योजना तय समय में ही पूरी करें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Thu, 25 Dec 2025 11:25 AM IST
सार
हाईकोर्ट को बताया गया कि जब तक हाईकोर्ट या उसकी समिति की ओर से कार्य का दायरा अंतिम रूप से निर्धारित नहीं किया जाता तब तक टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती।
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट परिसर की समग्र विकास योजना के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही सरकारी दफ्तर दिन-रात खोलने पड़ें लेकिन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान प्रशासन ने हाईकोर्ट के समक्ष दो अहम बिंदु रखे जिनमें पहला प्रक्रियात्मक और दूसरा वित्तीय बताया गया जो समय-सीमा को प्रभावित कर सकते हैं। हाईकोर्ट को बताया गया कि जब तक हाईकोर्ट या उसकी समिति की ओर से कार्य का दायरा अंतिम रूप से निर्धारित नहीं किया जाता तब तक टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार यदि शुल्क 50 लाख रुपये तक रहता है तो सिंगल-सोर्स सेलेक्शन के जरिए कंसल्टेंट की नियुक्ति संभव है लेकिन यदि राशि इससे अधिक हुई तो यूटी प्रशासन को टेंडर प्रक्रिया अपनानी ही पड़ेगी।
हाईकोर्ट ने कहा कि टेंडर प्रक्रिया के तहत कार्य पूरा करना बेहतर रहेगा लेकिन प्रशासन की ओर से बताया जा रहा समय बेहद अधिक है। इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि जब एक ही कंसल्टेंट मौजूद है तो आखिर क्यों प्रशासन टेंडर प्रक्रिया अपनाने पर तुला है। इस पर प्रशासन ने कहा कि फीस की राशि असल विवाद का विषय है जो 50 लाख से अधिक होने की स्थिति में प्रशासन के लिए मुसीबत बन सकती है। बार एसोसिएशन ने कहा कि क्योंकि वर्तमान में केवल एक ही योग्य कंसल्टेंट है और प्रशासन बाद में कह देगा कि एक ही आवेदन आने के कारण दोबारा टेंडर जारी करना होगा। प्रशासन ने विश्वास दिलाया कि ऐसा नहीं किया जाएगा और यदि एक ही आवेदक हुआ तो उसे ही टेंडर जारी कर दिया जाएगा।
इस दौरान प्रशासन ने बताया कि टेंडर फाइनल करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है और इसमें हाईकोर्ट का प्रतिनिधि होना जरूरी है। इस पर बार एसोसिएशन ने कहा कि 2014 में बनाई गई कमेटी में हाईकोर्ट के तीन सिटिंग जज थे, वर्तमान स्थिति में भी ऐसा किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि अभी ऐसा करना सही नहीं होगा वरना कुछ भी गलत होने की स्थिति में सारा दोष प्रशासन हाईकोर्ट पर मढ़ देगा। कोर्ट ने कहा कि संबंधित रजिस्ट्रार का नाम इस कमेटी के लिए प्रस्तावित किया जा सकता है।
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सुनवाई के दौरान प्रशासन ने हाईकोर्ट के समक्ष दो अहम बिंदु रखे जिनमें पहला प्रक्रियात्मक और दूसरा वित्तीय बताया गया जो समय-सीमा को प्रभावित कर सकते हैं। हाईकोर्ट को बताया गया कि जब तक हाईकोर्ट या उसकी समिति की ओर से कार्य का दायरा अंतिम रूप से निर्धारित नहीं किया जाता तब तक टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार यदि शुल्क 50 लाख रुपये तक रहता है तो सिंगल-सोर्स सेलेक्शन के जरिए कंसल्टेंट की नियुक्ति संभव है लेकिन यदि राशि इससे अधिक हुई तो यूटी प्रशासन को टेंडर प्रक्रिया अपनानी ही पड़ेगी।
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हाईकोर्ट ने कहा कि टेंडर प्रक्रिया के तहत कार्य पूरा करना बेहतर रहेगा लेकिन प्रशासन की ओर से बताया जा रहा समय बेहद अधिक है। इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि जब एक ही कंसल्टेंट मौजूद है तो आखिर क्यों प्रशासन टेंडर प्रक्रिया अपनाने पर तुला है। इस पर प्रशासन ने कहा कि फीस की राशि असल विवाद का विषय है जो 50 लाख से अधिक होने की स्थिति में प्रशासन के लिए मुसीबत बन सकती है। बार एसोसिएशन ने कहा कि क्योंकि वर्तमान में केवल एक ही योग्य कंसल्टेंट है और प्रशासन बाद में कह देगा कि एक ही आवेदन आने के कारण दोबारा टेंडर जारी करना होगा। प्रशासन ने विश्वास दिलाया कि ऐसा नहीं किया जाएगा और यदि एक ही आवेदक हुआ तो उसे ही टेंडर जारी कर दिया जाएगा।
इस दौरान प्रशासन ने बताया कि टेंडर फाइनल करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है और इसमें हाईकोर्ट का प्रतिनिधि होना जरूरी है। इस पर बार एसोसिएशन ने कहा कि 2014 में बनाई गई कमेटी में हाईकोर्ट के तीन सिटिंग जज थे, वर्तमान स्थिति में भी ऐसा किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि अभी ऐसा करना सही नहीं होगा वरना कुछ भी गलत होने की स्थिति में सारा दोष प्रशासन हाईकोर्ट पर मढ़ देगा। कोर्ट ने कहा कि संबंधित रजिस्ट्रार का नाम इस कमेटी के लिए प्रस्तावित किया जा सकता है।