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पीजीआई चंडीगढ़ में करोड़ों का घोटाला: आयुष्मान भारत योजना के बिल पर दवा का नाम लिखकर लगाई फर्जी मुहर
संवाद न्यूज एजेंसी, चंडीगढ़
Published by: चंडीगढ़ ब्यूरो
Updated Sun, 09 Mar 2025 09:55 AM IST
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सार
आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज का प्रावधान है। मरीजों को दवाइयां देने का कांट्रेक्ट पीजीआई ने अमृत फार्मेसी को दिया है। पीजीआई के डॉक्टर मरीज का उपचार कर दवाइयां लिखकर भेजते हैं।

चंडीगढ़ पीजीआई
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पीजीआई चंडीगढ़ में आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों के इलाज के नाम पर करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। आयुष्मान भारत के बिल पर दवा का नाम लिखकर फर्जी मुहर लगा करोड़ों की दवाइयां सस्ते रेट में बेचकर सरकार को करोड़ों का चुना लगाया गया।

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क्राइम ब्रांच के एसपी जसबीर सिंह के नेतृत्व में इंस्पेक्टर सतविंदर सिंह ने सहारनपुर से आरोपी बलराम को गिरफ्तार कर लाखों की दवाइयां बरामद की हैं। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में पीजीआई के बड़े अधिकारी भी नप सकते हैं। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है कि घोटाले और कौन-कौन लोग शामिल था। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में जल्द और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
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अमृत फार्मेसी के साथ है दवाइयों का कांट्रेक्ट
आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज का प्रावधान है। मरीजों को दवाइयां देने का कांट्रेक्ट पीजीआई ने अमृत फार्मेसी को दिया है। पीजीआई के डॉक्टर मरीज का उपचार कर दवाइयां लिखकर भेजते हैं। दवाइयां के बिल पास करवा अमृत फार्मेसी बिल पास करवा आयुष्मान विभाग से पैसे ले लेते हैं। सूत्रों ने बताया कि घोटाले में अमृत फार्मेसी के संचालक की भूमिका भी संदेह के घेरे में भी आ सकती है। बता दें कि इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर हो गई थी।
ऐसे हुआ था मामले का खुलासा
फरवरी में एक युवक अमृत फार्मेसी में पीजीआई के नाम पर आयुष्मान भारत के बिल पर दवा का नाम लिखकर फर्जी नर्सिंग मुहर लगाकर 60 हजार रुपये की दवाएं लेने गया। उसे दवा मिल गई, बिल भी पास हो गया। लेकिन बिल पर किसी और डिपार्टमेंट के डॉक्टर की मोहर लगी हुई थी। पीजीआई सुरक्षाकर्मियों ने युवक को पकड़ पीजीआई चौकी के हवाले कर दिया। उसके कब्जे से आठ मोहरें, आयुष्मान भारत के फर्जी बिल और एक इंडेंट बुक बरामद हुई। कांगड़ा निवासी आरोपी रमन ने पूछताछ में बताया कि वह किसी और शख्स के कहने पर यह काम करता था।
मरीजों का चुरा लेता था डेटा
सूत्रों ने बताया कि आरोपी बलराम आयुष्मान के तहत पीजीआई में इलाज करवाने आने वाले मरीजों का डेटा चुरा लेता था। जो मरीज इलाज के लिए कार्ड बनवाता था आरोपी डेटा के हिसाब से मरीजा का नाम लिखकर आयुष्मान विभाग की मुहर लगाकर सेम कॉपी फर्जी तैयार कर लेता था। आरोपी अमृत फार्मेसी से दवाइयां बिल की रकम आयुष्मान विभाग से ले लेता था।
फर्जी मोहरों के लिए सैंपल किसने दिए
पुलिस जांच कर रही है कि बिना पीजीआई स्टाफ की मिलीभगत से मरीजों का डेटा आखिर बलराम के पास कैसे पहुंच जाता था। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है कि उसने पीजीआई के अलग-अलग विभागों की 8 मोहरें आखिर कैसे बनवाई और कहां से बनवाई।
फर्जी मुहरों से डॉक्टर भी बेखबर
पीजीआई के डॉक्टरों को भी नहीं पता कि उनकी फर्जी मुहरें बनी हुई हैं। मुहरें फर्जी बिलों पर लगाकर महंगी दवाइयां लिखकर बाहर बेच दी जाती थीं। सूत्रों ने बताया कि मरीज के नाम के साथ कार्ड, सीआर नंबर की पूरी फाइल बनती है। मरीज के इलाज का रिकॉर्ड भी डॉक्टर के पास होता है। लेकिन यह रिकॉर्ड कंप्यूटर पर दर्ज की गई फाइल में नहीं होगा। फर्जी फाइल में यह रिकॉर्ड नहीं मिलेगा।
गायब थी इंडेंट बुक, नहीं दी शिकायत
सूत्रों ने बताया कि पीजीआई से इंंडेंट बुक गायब थी। यह इंटेंट बुक स्टोर डिपार्टमेंट से जारी की जाती है। लेकिन इंटेंट बुक गायब थी तो उसकी शिकायत संबंधित एचओडी और स्टोर इंचार्ज को नहीं दी गई। इंडेंट बुक कब से गायब थी यह भी अभी तक पता नहीं चल पाया है। दरअसल, इंडेंट बुक पर दवाएं लिखकर फर्जी मोहर लगाकर अमृत स्टोर से दवाइयां लेकर मार्केट में बेच दी जाती थीं।
सुलगते सवाल
- -पीजीआई से इंटेंट बुक गायब थी तो इसकी शिकायत पुलिस को क्यों नहीं की
- -फर्जी स्टैंप बनाने के लिए असली स्टैंप का सेंपल आरोपी तक कैसे पहुंचे
- -मरीजों का डेटा आखिर कौन देता था
- -आरोपी की पीजीआई चौकी पुलिस को इसकी भनक क्यों नहीं लगी
- -बिना पीजीआई स्टाफ के इतना बड़ा घोटाला कैसे हो सकता है
- पीजीआई में फर्जी मोहर का इस्तेमाल कर आयुष्मान योजना के तहत दवाइयों के नाम फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी से पूछताछ की जा रही है। -जसबीर सिंह, एसपी क्राइम