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Loksabha Election: पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की पंजाब से अपील-प्रेम, शांति और भाईचारे को एक मौका दें
पीटीआई, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Thu, 30 May 2024 02:11 PM IST
सार
पंजाब में एक जून को अंतिम चरण में मतदान होना है। ऐसे में इन दिनों प्रदेश का सियासी पारा गरमाया हुआ है।
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पीएम मोदी के साथ पूर्व पीएम मनमोहन सिंह
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा चुनाव के लिए पंजाब के मतदाताओं से अपील की है कि वे प्रेम, शांति, भाईचारे और सद्भाव को एक मौका दें। उन्होंने इस बाबत एक चिट्ठी लिखी है।
पूर्व पीएम ने कहा कि केवल कांग्रेस ही विकासोन्मुख प्रगतिशील भविष्य सुनिश्चित कर सकती है, जहां लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की जाएगी। मनमोहन सिंह ने कहा कि पंजाबी विकास और समावेशी प्रगति के लिए वोट करें।
मोदी पर निशाना साधते हुए पूर्व पीएम ने कहा कि सार्वजनिक चर्चा की गरिमा और प्रधानमंत्री पद की गंभीरता को कम करने वाले नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं। मनमोहन सिंह ने लिखा कि मोदी सरकार ने किसानों को अपमानित किया।
अपने पत्र में पूर्व पीएम ने लिखा कि पिछले दस सालों में भाजपा सरकार ने पंजाब, पंजाबियों और पंजाबियत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 750 किसान, जिनमें से ज्यादातर पंजाब से थे, दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक लगातार इंतजार करते हुए शहीद हो गए। जैसे लाठियां और रबर की गोलियां पर्याप्त नहीं थीं, प्रधानमंत्री ने संसद के पटल पर किसानों को आंदोलनजीवी और परजीवी कहकर मौखिक रूप से हमला किया। उनकी एकमात्र मांग उनसे परामर्श के बिना उन पर थोपे गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की थी।
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पूर्व पीएम ने कहा कि केवल कांग्रेस ही विकासोन्मुख प्रगतिशील भविष्य सुनिश्चित कर सकती है, जहां लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की जाएगी। मनमोहन सिंह ने कहा कि पंजाबी विकास और समावेशी प्रगति के लिए वोट करें।
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मोदी पर निशाना साधते हुए पूर्व पीएम ने कहा कि सार्वजनिक चर्चा की गरिमा और प्रधानमंत्री पद की गंभीरता को कम करने वाले नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं। मनमोहन सिंह ने लिखा कि मोदी सरकार ने किसानों को अपमानित किया।
अपने पत्र में पूर्व पीएम ने लिखा कि पिछले दस सालों में भाजपा सरकार ने पंजाब, पंजाबियों और पंजाबियत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 750 किसान, जिनमें से ज्यादातर पंजाब से थे, दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक लगातार इंतजार करते हुए शहीद हो गए। जैसे लाठियां और रबर की गोलियां पर्याप्त नहीं थीं, प्रधानमंत्री ने संसद के पटल पर किसानों को आंदोलनजीवी और परजीवी कहकर मौखिक रूप से हमला किया। उनकी एकमात्र मांग उनसे परामर्श के बिना उन पर थोपे गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की थी।