{"_id":"640577e15d45e1484704aeaa","slug":"holika-dahan-today-in-chandigarh-mohali-know-puja-vidhi-2023-03-06","type":"story","status":"publish","title_hn":"Chandigarh: चंडीगढ़-मोहाली में आज होगा होलिका दहन, जानें पूजन विधि, सात और आठ मार्च को उड़ेगा रंग","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Chandigarh: चंडीगढ़-मोहाली में आज होगा होलिका दहन, जानें पूजन विधि, सात और आठ मार्च को उड़ेगा रंग
संवाद न्यूज एजेंसी, चंडीगढ़/मोहाली
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Mon, 06 Mar 2023 10:49 AM IST
सार
सात मार्च को पूर्णिमा प्रदोष काल से व्याप्त नहीं है इसलिए भद्रा-मुख छोड़कर 6 मार्च को शाम 6 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 55 मिनट तक प्रदोष काल में, पूर्णिमा तिथि में ही होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत है।
विज्ञापन
Holika Dahan
- फोटो : फाइल
विज्ञापन
विस्तार
चंडीगढ़ और मोहाली में आज होलिका दहन किया जाएगा। श्री देवालय पूजक परिषद के संरक्षक व सेक्टर 28 के खेड़ा शिव मंदिर के प्रमुख पुजारी आचार्य ईश्वर चंद्र शास्त्री ने कहा कि होली पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में जलाई जाती है। शास्त्रों में वर्णित है कि यदि पूर्णिमा दो दिन आ जाए अथवा दूसरे दिन प्रदोष काल से व्याप्त न हो रही हो तो पहले दिन ही भद्रा-मुख को छोड़कर होलिका दहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 6 मार्च को पूर्णिमा तिथि शाम 4 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी। यह सात मार्च को सूर्यास्त से पहले सायं 6 बजकर 10 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि सात मार्च को पूर्णिमा प्रदोष काल से व्याप्त नहीं है इसलिए भद्रा-मुख छोड़कर 6 मार्च को शाम 6 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 55 मिनट तक प्रदोष काल में, पूर्णिमा तिथि में ही होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत है। जिस दिन श्री सत्यनारायण व्रत होता है, उसी दिन होलिका दहन किया जाता है। सत्यनारायण व्रत भी इस बार 6 मार्च को ही है इसलिए भी होलिका दहन 6 मार्च को ही करना शास्त्र सम्मत है।
ऐसे करें होलिका दहन
सेक्टर 18 के श्री राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी डॉ. लाल बहादुर दुबे ने बताया कि होलिका दहन के लिए सूखी लकड़ियां, टहनियां, घास पत्ते व गोबर के उपले लगाए जाते हैं। होलिका जलाने से पहले सफेद धागा या मौली से 3 या 7 बार लपेटना चाहिए। पवित्र जल की धारा लगाएं, कुमकुम व फूलों का छिड़काव कर पूजा करें। पके अनाज की बालियां डालें, गुड़ या अन्य मिठाई से पूजन करना चाहिए।
एक सूखा नारियल (खोपा) लें। इसमें पांच लौंग, पांच इलायची, पांच छुआरे, थोड़ी शक्कर व घी मिलाकर भर लें, फिर इसे जलती हुई होली में डालें। होलिका जलने के बाद इसकी परिक्रमा करें। ऐसा करने से नकारात्मकता का विनाश होता है और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
दो दिन खेलें रंग
मुख्य पुजारी और केन्द्रीय पुजारी परिषद मोहाली के संस्थापक पं. सुंदरलाल बिजल्वान ने बताया कि वृंदावन जैसी जगहों पर होली एक महीने तक चलती है इसलिए 7 और 8 तारीख मार्च में रंग खेलने में कोई हर्ज नहीं है। दोनों दिन रंग खेला जा सकता है।
Trending Videos
उन्होंने कहा कि सात मार्च को पूर्णिमा प्रदोष काल से व्याप्त नहीं है इसलिए भद्रा-मुख छोड़कर 6 मार्च को शाम 6 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 55 मिनट तक प्रदोष काल में, पूर्णिमा तिथि में ही होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत है। जिस दिन श्री सत्यनारायण व्रत होता है, उसी दिन होलिका दहन किया जाता है। सत्यनारायण व्रत भी इस बार 6 मार्च को ही है इसलिए भी होलिका दहन 6 मार्च को ही करना शास्त्र सम्मत है।
विज्ञापन
विज्ञापन
ऐसे करें होलिका दहन
सेक्टर 18 के श्री राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी डॉ. लाल बहादुर दुबे ने बताया कि होलिका दहन के लिए सूखी लकड़ियां, टहनियां, घास पत्ते व गोबर के उपले लगाए जाते हैं। होलिका जलाने से पहले सफेद धागा या मौली से 3 या 7 बार लपेटना चाहिए। पवित्र जल की धारा लगाएं, कुमकुम व फूलों का छिड़काव कर पूजा करें। पके अनाज की बालियां डालें, गुड़ या अन्य मिठाई से पूजन करना चाहिए।
एक सूखा नारियल (खोपा) लें। इसमें पांच लौंग, पांच इलायची, पांच छुआरे, थोड़ी शक्कर व घी मिलाकर भर लें, फिर इसे जलती हुई होली में डालें। होलिका जलने के बाद इसकी परिक्रमा करें। ऐसा करने से नकारात्मकता का विनाश होता है और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
दो दिन खेलें रंग
मुख्य पुजारी और केन्द्रीय पुजारी परिषद मोहाली के संस्थापक पं. सुंदरलाल बिजल्वान ने बताया कि वृंदावन जैसी जगहों पर होली एक महीने तक चलती है इसलिए 7 और 8 तारीख मार्च में रंग खेलने में कोई हर्ज नहीं है। दोनों दिन रंग खेला जा सकता है।