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काम की बात: अगर आपके साथ हुआ है इमिग्रेशन फ्रॉड... तो उपभोक्ता आयोग में करें शिकायत, छह माह में मिलेगा न्याय

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: चंडीगढ़ ब्यूरो Updated Sat, 02 Nov 2024 04:16 AM IST
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सार

उपभोक्ता आयोग में आने वाले कुल मामलों में से केवल करीब 2 प्रतिशत मामले ही इमिग्रेशन फ्रॉड के आ रहे हैं। लोग अभी केवल पुलिस में एफआईआर दर्ज कर देते हैं, उन मामलों में न्याय मिलने में आमतौर पर 3 से 5 साल लग जाते हैं।

If you are a victim of immigration fraud, complain to the consumer commission
फ्रॉड केस - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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अगर कोई व्यक्ति इमिग्रेशन फ्रॉड का शिकार है तो वह उपभोक्ता आयोग में शिकायत दे सकता है। यहां उन्हें लगभग 6 महीनों में ही न्याय मिल सकता है लेकिन इस बारे में लोग अंजाम हैं। 
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उपभोक्ता आयोग में आने वाले कुल मामलों में से केवल करीब 2 प्रतिशत मामले ही इमिग्रेशन फ्रॉड के आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक उपभोक्ता आयोग में अंतिम मामला इमिग्रेशन फ्रॉड का 7 अक्तूबर 2024 को फाइल किया गया। लोग अभी केवल पुलिस में एफआईआर दर्ज कर देते हैं, उन मामलों में न्याय मिलने में आमतौर पर 3 से 5 साल लग जाते हैं।
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उपभोक्ता आयोग में केस फाइल से पहले इन बातों का रखें ध्यान 

  • उपभोक्ता आयोग में व्यक्ति ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से केस फाइल कर सकता है। इसके लिए विभाग की ऑनलाइन साइट https://edaakhil.nic.in/ पर जा सकते हैं।
  • उपभोक्ता आयोग में व्यक्ति खुद का केस लड़ सकता है, जिसके लिए बस उनके पास उचित समय और अपने केस के संबंध में थोड़ी जानकारी होना ही जरूरी है। लोगों को वकीलों के पास जाकर धक्के खाने की जरूरत नहीं है।
  • कई व्यक्ति इमिग्रेशन फ्रॉड का शिकार होने के बाद संबंधित थाना पुलिस में शिकायत दे देते हैं और बाद में पुलिस कार्यवाही का इंतजार करते रहते हैं, जिसमें काफी समय भी लग जाता है। यह बात महत्वपूर्ण है कि पुलिस में शिकायत देने के बाद भी उपभोक्ता आयोग में शिकायत दे सकते हैं।

उपभोक्ता इन बातों के लिए रहें जागरूक

उपभोक्ता इस बात से जागरूक रहें कि कोई भी लेनदेन कैश में कर रहे हैं तो उसकी रसीद जरूर लें या फिर ऑनलाइन बैंक या चेक के माध्यम से ही भुगतान करें ताकि उसका प्रमाण भी रहे। इसे उपभोक्ता सबूत के रूप में आयोग को दिखा सकता है। जिस पर दूसरी पार्टी को नोटिस जारी होता है। सेवा में कोताही व गलत व्यापारिक गतिविधियों में शामिल होने का दोष साबित होने पर रकम ब्याज के साथ वापस देने के आदेश दिया जाता है।
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