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लिवर को रखना है फिट तो ढोल से बचें, करें भंगड़ा; डॉक्टर ने बताया कितनी हो पुरुष और महिला की कमर, ऐसे मापें वजन

माई सिटी रिपोर्टर, चंडीगढ़ Published by: Vikas Kumar Updated Sat, 06 Apr 2024 09:37 PM IST
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सार

डॉ. सहज राठी और डॉ. निपुण वर्मा ने बताया कि सही वजन की जानकारी लेने के लिए हमें अपने हाइट में शामिल सेंटीमीटर में से 100 घटा दें, जो भी संख्या प्राप्त होती है वही आपके लिए परफेक्ट वजन है। 

If you want to avoid fatty liver then stay away from Dhol do Bhangra
फैटी लिवर से बचना है तो ढोल से रहें दूर, करें भंगड़ा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अगर आपको अपने लिवर को फिट रखना है तो ढोल से बचें और खूब भंगड़ा करें। ढोल का मतलब- डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ओबेसिटी और लिपिड है। इन बीमारियों से मिलकर बने शब्द ढोल को लिवर के लिए सबसे खतरनाक माना गया है। वहीं, भंगड़ा का मतलब- बिहेवियर, हैप्पीनेस, एक्टिविटी, न्यूट्रिशन, एटीट्यूड को अपने जीवन में समाहित करें क्योंकि इन शब्दों में ही लिवर की सेहत का राज छिपा है। ये बातें पीजीआई हेपेटोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. अजय दुसेजा ने शनिवार को एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर में आयोजित कार्यक्रम जनता के साथ पीजीआई का हाथ में कहीं। इस दौरान विभाग के अन्य विशेषज्ञों ने कार्यक्रम में शामिल लिवर के मरीजों के साथ पैरामेडिकल स्टाफ व सामान्य लोगों को लिवर की बीमारियों, इलाज की तकनीक व बचाव के उपाय से जुड़ी जानकारी विस्तार से दी।

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प्रो. अजय दुसेजा ने बताया कि तकनीक का इतना विकास हो चुका है कि लिवर के ज्यादातर मरीजों को बायोप्सी करने की भी जरूरत नहीं पड़ रही। ब्लड टेस्ट व अन्य जांचों से हम लिवर की वास्तविक स्थिति का पता लगा सकते हैं। वहीं, कुछ मामलों में लिवर में सुई डालकर उसकी जांच की जा सकती है। उन्होंने बताया कि लिवर के लिए मोटापा सबसे ज्यादा खतरनाक है।

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सेंटर ओबेसिटी ज्यादा
प्रो. अजय दुसेजा ने बताया कि भारत में सेंटर ओबेसिटी वाले लोगों की संख्या ज्यादा है, यानी उनके शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में पेट पर ज्यादा मोटापा होता है। इससे पेट बाहर निकल आता है। यह स्थिति बेहद गंभीर है क्योंकि पेट पर आई ज्यादा चर्बी लिवर के साथ हृदय को भी डैमेज कर सकती है। उन्होंने बताया कि इससे बचाव के लिए पुरुषों को 36 और महिलाओं को 32 सेंटीमीटर कमर रखने की सलाह दी जाती है।

एक बार में नहीं धीरे-धीरे वजन करें कम
कार्यक्रम में मौजूद डॉ. अर्का डे और डॉ. सुनील तनेजा ने बताया कि मोटापा कम करने के लिए कई लोग इतना ज्यादा परेशान हो जाते हैं कि उनकी स्थिति खराब हो जाती है। यह बात ठीक से समझना होगा कि एक बार में वजन कम करने के बजाय धीरे-धीरे उसे नियंत्रित करने का प्रयास करें। 

डॉ. सहज राठी और डॉ. निपुण वर्मा ने बताया कि सही वजन की जानकारी लेने के लिए हमें अपने हाइट में शामिल सेंटीमीटर में से 100 घटा दें, जो भी संख्या प्राप्त होती है वही आपके लिए परफेक्ट वजन है। उन्होंने बताया कि खानपान और रहन-सहन में संतुलन स्थापित कर मोटापे की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। 

कार्यक्रम में मौजूद आहार विज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ. नैंसी ने बताया कि वजन को नियंत्रित करने के लिए खुराक कम करने के साथ कैलोरी बर्न करने की जरूरत ज्यादा होती है। ऐसा करने पर शरीर के साथ लिवर में जमा फैट भी बाहर निकलता है। उन्होंने बताया कि वजन कम करने के लिए लोगों को 24 घंटे की डाइट में से 30 प्रतिशत आहार कम करने की सलाह दी जाती है।

बच्चों में बढ़ रहा मर्ज
प्रो. अजय दुसेजा ने बताया कि चिंता की बात यह है कि बच्चों में लिवर से जुड़ी बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इसे गंभीरता से लेते हुए इंडियन नेशनल एसोसिएशन आफ लिवर ने रोटरी इंटरनेशनल के साथ मिलकर विशेष अभियान रोको शुरू किया है। इसके अंतर्गत स्कूलों में बच्चों के वजन की जांच कराई जा रही है। इसमें देखा जा रहा है कि कितने बच्चे सामान्य से ज्यादा वजन वाले मिल रहे हैं। इस अभियान के दूसरे चरण में सामान्य से ज्यादा वजन वाले बच्चों की लिवर संबंधी बीमारियों से बचाव पर बात की जाएगी।

इससे खराब हो रहा लिवर
लिवर कई वजहों से खराब होता है। वायरल हेपेटाइटिस, सिरोसिस, ज्यादा शराब, ज्यादा तली-भुनी और मसालेदार खाना प्रमुख कारणों में शामिल हैं।

लिवर का महत्व
लिवर का कार्य विभिन्न चयापचय करना, प्रोटीन को संश्लेषित करना और पाचन के लिए आवश्यक जैव रासायनिक बनाना है।

फैटी लिवर आप भी जान लें
जब लिवर में चर्बी जमा होती है तो ऐसी स्थिति को फैटी लिवर कहा जाता है। जिस तरह मोटे होने पर हमारे शरीर के बाकी हिस्सों पर चर्बी जमा होती है, ठीक उसी तरह लिवर में भी चर्बी जमा होती है। लिवर में एकत्रित हुआ फैट उसके नॉर्मल सेल्स को खत्म करना शुरू कर देता है। इसका असर यह होता है कि लिवर बीमार होने लगता है। इसकी वजह से भविष्य में हेपेटाइटिस, सिरोसिस, फाइब्रोसिस और कैंसर जैसी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।

इन लक्षण पर करें गौर
पीलिया, भूख न लगना, पेट के अंदर पानी भर जाना आदि फैटी लिवर के लक्षण हैं। फैटी लिवर के एडवांस स्टेज में पहुंच जाने पर मरीज के दिमाग पर भी असर पड़ने लगता है, उसका दिमाग काम नहीं करता है, मरीज अपना होश खोने लगता है। उसे खून की उल्टियां होने लगती हैं। ये सारे लक्षण फैटी लिवर के ही होते हैं।

इसका रखे ध्यान
- अपने वजन को कंट्रोल करें। रोजाना कम से कम 45 मिनट की एक्सरसाइज करें। बैलेंस और हेल्दी डाइट लें। कम मात्रा में चीनी लें। साफ पानी पीएं। ब्लैक कॉफी और ग्रीन टी पी सकते हैं। हैपेटाइटिस बी का टीका लगवाएं।
- प्रतिदिन 45 मिनट तेज टहलें। अगर टहलते हुए आप मोबाइल पर बात कर पा रहे हैं तो टहलने की प्रक्रिया सही नहीं है। क्योंकि जितनी रफ्तार में टहलना चाहिए, उस रफ्तार में लोग फोन पर बात नहीं कर सकते।
- अगर घुटने में दर्द हो और आप टहलने में असमर्थ हैं तो शारीरिक श्रम वाला व्यायाम करें। इससे भी कैलोरी बर्न होती है।
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