शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा शहादत दिवस: देशभक्ति का जुनून ऐसा कि पीयू के पूरे पेपर में लिख आए थे जय भारत
कारगिल युद्ध के नायक कहलाने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा ने न सिर्फ दुश्मनों के दांत खट्टे किए, बल्कि अपने साहस और बलिदान से देश के हर नागरिक का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।
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जय भारत...जय भारत...यही वो शब्द थे, जो शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा ने पंजाब यूनिवर्सिटी के एमए इंग्लिश की परीक्षा में जवाब की जगह लिखे थे। देशभक्ति उनके रग-रग में बस चुकी थी।
सात जुलाई को उनके शहीदी दिवस पर अमर उजाला ने उनके पिता जीएल बत्रा से खास बातचीत की है, जिसमें उन्होंने कई बातें बताईं, जो आज तक न कहीं पढ़ी गईं और लिखी गई हैं।
कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता ने बताया कि पहले उनकी दो बेटियां हुई। एक बेटी का नाम सीमा बत्रा सेठ, जो मंडी में रहती हैं। दूसरी बेटी का नाम नूतन बत्रा मलिक है, जो अब दिल्ली में टीचर हैं। परिवार के लोगों की इच्छा थी कि बेटा भी हो। भगवान ने जुड़वां बेटे दे दिए। दोनों का नाम लव और कुश रखा गया, क्योंकि मां कमल कांता बत्रा बहुत ही ज्यादा धार्मिक थीं और भगवान राम में काफी आस्था रखती थी। दोनों बच्चों को कई साल तक लव और कुश ही पुकारा गया लेकिन जब उनका स्कूल में दाखिला हुआ तो एक बेटे का नाम विक्रम बत्रा और दूसरे का नाम विशाल बत्रा रखा गया।
पालमपुर के केंद्रीय विद्यालय से पढ़े
विक्रम की शुरुआती पढ़ाई पालमपुर के केंद्रीय विद्यालय में हुई। उनके व्यक्तित्व में अनुशासन, ऊर्जा और नेतृत्व कौशल बचपन से ही झलकते थे। स्कूल में कराटे हो, टेबल टेनिस या वाद-विवाद प्रतियोगिताएं, हर में आगे रहते थे। आगे की पढ़ाई के लिए 1993 व 94 में चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में दाखिला लिया। यहीं एनसीसी ज्वाइन की और देशभक्ति की चिंगारी शोला बन उठी। 1996 में ग्रेजुएशन पूरी की और बाद में पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए इन इंग्लिश में दाखिला लिया लेकिन इसे पूरा नहीं कर पाए, क्योंकि इससे पहले ही उनका सेना में सिलेक्शन हो गया था।
हॉस्टल पाने के लिए पीयू में लिया था दाखिला, की सीडीएस की तैयारी
जीएल बत्रा ने बताया कि विक्रम ने पीयू से एमए इंग्लिश करने की इच्छा जताई। उन्होंने भी कहा कि ऐसा क्यों कर रहे हो, क्योंकि उन्होंने डीएवी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की थी। हालांकि वह नहीं माने और उन्होंने दाखिला लिया। साथ ही हॉस्टल के लिए आवेदन कर दिया। उन्हें पीयू के एक नंबर हॉस्टल में कमरा मिला। हॉस्टल इसलिए लेना चाहते थे कि वहां से सीडीएस की तैयारी करना चाहते थे। यही वो महिला मित्र से भी मिले थे। सीडीएस में परीक्षा अच्छे रैंक से पास की और कमीशन मिल गया। इस बीच पहले साल के पेपर आ गए। उन्होंने परिजनों को कहा कि वह पेपर नहीं देंगे। पिता ने कहा कि फीस भरी है, एक साल पढ़ाई की है तो पेपर देना चाहिए। वह पेपर देने तो गए लेकिन देशभक्ति में वह इतना रम गए थे कि पूरे पेपर में जय भारत...जय भारत लिख आए।
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आज भी संजो कर रखी है विक्रम की बाइक, कोट और शॉल
बत्रा के परिवार ने आज भी विक्रम की बाइक यामाहा आरएक्स100 को संभाल कर रखा हुआ है। हिमाचल नंबर की बाइक अब बहुत कम सड़कों पर निकलती है लेकिन आज भी परिवार के दिल में गहराई से बसी है। यही बाइक कभी कारगिल युद्ध के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा की जान हुआ करती थी। वो इससे चंडीगढ़ की सड़कों पर घूमते थे और कॉलेज-यूनिवर्सिटी जाते थे। आज भी जब उनके पिता जीएल बत्रा इस बाइक को देखते हैं तो वे अतीत की गलियों में लौट जाते हैं। कहा कि इस बाइक को अब कोई नहीं चलाता, लेकिन उसे बेचने का ख्याल कभी नहीं आया। ये बाइक विक्रम की याद दिलाती है। विक्रम द्वारा लाया गया कोट, मां के लिए लाए गए शॉल, सब आज भी उस वीर बेटे की निशानियों की तरह सहेज कर रखे गए हैं।
या तो तिरंगा लहराकर आऊंगा, या तिरंगे में लिपटकर
जीएल बत्रा याद करते हैं कि युद्ध से कुछ दिन पहले विक्रम घर आए थे। एक शाम दोस्त अमित ने उसे कहा कि संभल कर रहना। जवाब मिला कि या तो तिरंगा लहराकर आऊंगा, या तिरंगे में लिपटकर और जैसा उन्होंने कहा, वैसा ही किया। प्वाइंट 5140 पर तिरंगा लहराया और प्वाइंट 4875 पर शहादत दी। विक्रम की शहादत के बाद परिवार ने पालमपुर में एक संग्रहालय बनवाया है, जहां उनके पत्र, तस्वीरें और युद्ध से जुड़ी स्मृतियां सजी हैं। इन दिनों उस संग्रहालय की रिनोवेशन चल रही है।
पिता की इच्छा- बेटे के नाम पर हो स्मारक
जीएल बत्रा ने कहा कि उनकी दिल की इच्छा है कि बेटे विक्रम के नाम पर शहर में कोई स्मारक या किसी चीज का नामकरण किया जाए। बेटे ने चंडीगढ़ का नाम दुनिया में प्रसिद्ध किया है। जब-जब विक्रम का जिक्र आता है तो चंडीगढ़ का नाम गर्व से लिया जाता है। ऐसे में चंडीगढ़ प्रशासन को उनके सम्मान में कुछ करना चाहिए। स्वयंसेवी संस्था वर्ल्ड हिमाचली आर्गेनाईजेशन ने प्रशासक गुलाबचंद कटारिया से हाल ही में यह आग्रह किया है। इस पर प्रशासक ने भी अधिकारियों के साथ चर्चा करने का आश्वासन दिया है।