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मालेरकोटलाः मंदिर और मस्जिद की सांझी दीवार, 73 साल बाद मिली मेडिकल कॉलेज की सौगात
सुरिंदर पाल, जालंधर
Published by: खुशबू गोयल
Updated Wed, 15 Jul 2020 10:10 AM IST
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सार
- मेडिकल कॉलेज खुलने से बहुअल्पसंख्यक क्षेत्र का कायाकल्प होगा
- मालेरकोटला में 31 फीसदी आबादी निरक्षरता की शिकार है
- छह मेडिकल कॉलेज मालवा में, दोआबा में सिर्फ एक है

प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : Social media
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विस्तार
पंजाब की बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी वाले शहर मालेरकोटला में मेडिकल कॉलेज खुल जाने से इलाके का कायाकल्प हो सकता है। यह इलाका निरक्षरता का शिकार है और करीब 31 फीसदी आबादी अशिक्षित है। ऐसे में मालेरकोटला में मेडिकल कॉलेज का खुलना खास महत्व रखता है, क्योंकि मालेरकोटला के लोगों ने बंटवारे के वक्त भारत में ही बसने की ठानी थी। यह उन लोगों के लिए आजादी के 73 साल बाद एक सौगात होगी, जिन्होंने भारत पाक बंटवारे के बाद मुस्लिम होने के बावजूद पाकिस्तान जाने से मना कर दिया था।
मालवा की चांदी, दोआबा पिछड़ा...
मालवा में छह मेडिकल कॉलेज के अलावा बाबा फरीद मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी है और मालेरकोटला में कॉलेज खुलने से सातवां मेडिकल कॉलेज मालवा में तैयार हो जाएगा। जबकि दोआबा में सिर्फ एक मेडिकल कॉलेज जालंधर में पिम्स है। होशियारपुर में केंद्रीय राज्यमंत्री सोमप्रकाश ने एम्स को पास करवा लिया है, इसके बाद दोआबा में दो मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे।
हिंदू मुस्लिम के प्यार का प्रतीक है मालेरकोटला
1947 में बंटवारे के वक्त जब सरहद के दोनों ओर का पंजाब हिंसा की आग में जल रहा था और कत्ल-ए-आम का मंजर था, उस दौरान एक इलाका ऐसा था, जो हिंसा के साए से दूर था। क्योंकि यहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय में काफी प्यार है। इसलिए आजादी के दौरान हुए कत्लेआम का मालेरकोटला पर कोई असर नहीं पड़ा। हिंदू खुद मुस्लिम समुदाय के लोगों के आगे दीवार बनकर खड़े हो गए थे।
आज भी मालेरकोटला में मंदिर और मस्जिद की एक दीवार सांझी है, जो भाईचारे की प्रतीक है। भाईचारे की एक मिसाल यह भी है कि भगवान हनुमान के मंदिर के बाहर एक मुस्लिम प्रसाद बेचता है। यहां हिंदू इफ्तार के लिए शरबत तैयार करते हैं और मुस्लिम समुदाय के लोग हिंदुओं के त्योहारों में पूरे उत्साह से शरीक होते हैं।

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मालवा की चांदी, दोआबा पिछड़ा...
मालवा में छह मेडिकल कॉलेज के अलावा बाबा फरीद मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी है और मालेरकोटला में कॉलेज खुलने से सातवां मेडिकल कॉलेज मालवा में तैयार हो जाएगा। जबकि दोआबा में सिर्फ एक मेडिकल कॉलेज जालंधर में पिम्स है। होशियारपुर में केंद्रीय राज्यमंत्री सोमप्रकाश ने एम्स को पास करवा लिया है, इसके बाद दोआबा में दो मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे।
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हिंदू मुस्लिम के प्यार का प्रतीक है मालेरकोटला
1947 में बंटवारे के वक्त जब सरहद के दोनों ओर का पंजाब हिंसा की आग में जल रहा था और कत्ल-ए-आम का मंजर था, उस दौरान एक इलाका ऐसा था, जो हिंसा के साए से दूर था। क्योंकि यहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय में काफी प्यार है। इसलिए आजादी के दौरान हुए कत्लेआम का मालेरकोटला पर कोई असर नहीं पड़ा। हिंदू खुद मुस्लिम समुदाय के लोगों के आगे दीवार बनकर खड़े हो गए थे।
आज भी मालेरकोटला में मंदिर और मस्जिद की एक दीवार सांझी है, जो भाईचारे की प्रतीक है। भाईचारे की एक मिसाल यह भी है कि भगवान हनुमान के मंदिर के बाहर एक मुस्लिम प्रसाद बेचता है। यहां हिंदू इफ्तार के लिए शरबत तैयार करते हैं और मुस्लिम समुदाय के लोग हिंदुओं के त्योहारों में पूरे उत्साह से शरीक होते हैं।
मंदिर मस्जिद की सांझी दीवार
मालेरकोटला में सोमसंस कॉलोनी हिंदू मुस्लिम भाईचारे के प्यार की प्रतीक है। यहां मंदिर और मस्जिद की नौ इंच की दीवार सांझी है। मस्जिद पुरानी है, लेकिन मंदिर नया। जब मंदिर बनाया गया तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मिठाई बांटी थी। मंदिर के निर्माण के लिए बिजली पानी की व्यवस्था भी मस्जिद से की गई थी।
आजादी के बाद से नजरअंदाज रहा मालेरकोटला
मालेरकोटला आजादी के बाद से नजरअंदाज होता रहा है। लुधियाना से 43 किलोमीटर दूर बसे मालेरकोटला में कभी नवाबों का वर्चस्व कायम था। लेकिन आजादी के बाद तरक्की और विकास की रेस में मालेरकोटला पिछड़ गया। 73 साल बाद मालेरकोटला सिर्फ तहसील ही बन पाया है और संगरूर जिले का हिस्सा। 1,35,424 आबादी वाले मालेरकोटला में 68.5 फीसदी मुस्लिम आबादी है।
मालेरकोटला की तरफ किसी सरकार ने खास ध्यान नहीं दिया। औसतन 31 फीसदी आबादी आज भी निरक्षरता की शिकार है। महिलाओं की संख्या अधिक है, महिलाएं करीब 36 फीसदी निरक्षरता की शिकार हैं। लेकिन मेडिकल कॉलेज के आने से काफी बदलाव होने की उम्मीद जताई जा रही है। जबकि पंजाब में 26 फीसदी ही निरक्षरता है। इससे तस्वीर साफ है कि शिक्षा के लिहाज से मालेरकोटला काफी पिछड़ा रहा है।
वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होने देते मालेरकोटला के वोटर
शिक्षा में बेशक मालेरकोटला पिछड़ा हो, लेकिन मतदान को लेकर लोग सजग हैं। वह राजनीतिक लोगों की बातों में नहीं आते और न ही वोटों का ध्रुवीकरण होने देते हैं। मालेरकोटला में आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान दो बार लगातार जीतकर आते रहे हैं। मालेरकोटला के लोग जात पात से हटकर वोट देना पसंद करते हैं।
आजादी के बाद से नजरअंदाज रहा मालेरकोटला
मालेरकोटला आजादी के बाद से नजरअंदाज होता रहा है। लुधियाना से 43 किलोमीटर दूर बसे मालेरकोटला में कभी नवाबों का वर्चस्व कायम था। लेकिन आजादी के बाद तरक्की और विकास की रेस में मालेरकोटला पिछड़ गया। 73 साल बाद मालेरकोटला सिर्फ तहसील ही बन पाया है और संगरूर जिले का हिस्सा। 1,35,424 आबादी वाले मालेरकोटला में 68.5 फीसदी मुस्लिम आबादी है।
मालेरकोटला की तरफ किसी सरकार ने खास ध्यान नहीं दिया। औसतन 31 फीसदी आबादी आज भी निरक्षरता की शिकार है। महिलाओं की संख्या अधिक है, महिलाएं करीब 36 फीसदी निरक्षरता की शिकार हैं। लेकिन मेडिकल कॉलेज के आने से काफी बदलाव होने की उम्मीद जताई जा रही है। जबकि पंजाब में 26 फीसदी ही निरक्षरता है। इससे तस्वीर साफ है कि शिक्षा के लिहाज से मालेरकोटला काफी पिछड़ा रहा है।
वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होने देते मालेरकोटला के वोटर
शिक्षा में बेशक मालेरकोटला पिछड़ा हो, लेकिन मतदान को लेकर लोग सजग हैं। वह राजनीतिक लोगों की बातों में नहीं आते और न ही वोटों का ध्रुवीकरण होने देते हैं। मालेरकोटला में आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान दो बार लगातार जीतकर आते रहे हैं। मालेरकोटला के लोग जात पात से हटकर वोट देना पसंद करते हैं।
पंजाब में मौजूदा मेडिकल कॉलेज...
1- गुरु राम दास मेडिकल कॉलेज अमृतसर
2- सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर
3- पिम्स जालंधर
4- डीएमसी लुधियाना
5- सीएमसी लुधियाना
6-सरकारी मेडिकल कॉलेज पटियाला
7- गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज फरीदकोट
8- एम्स बठिंडा
9-आदेश यूनिवर्सिटी बठिंडा
बंद हुए मेडिकल कॉलेज...
1- चिंतपूर्णी मेडिकल कॉलेज पठानकोट
2- ज्ञान सागर मेडिकल कॉलेज बनूड़
नए बनने जा रहे कॉलेज...
1- सरकारी अस्पताल व मोहाली मेडिकल कॉलेज
2- एम्स होशियारपुर
3- मलेरकोटला मेडिकल कॉलेज
2- सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर
3- पिम्स जालंधर
4- डीएमसी लुधियाना
5- सीएमसी लुधियाना
6-सरकारी मेडिकल कॉलेज पटियाला
7- गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज फरीदकोट
8- एम्स बठिंडा
9-आदेश यूनिवर्सिटी बठिंडा
बंद हुए मेडिकल कॉलेज...
1- चिंतपूर्णी मेडिकल कॉलेज पठानकोट
2- ज्ञान सागर मेडिकल कॉलेज बनूड़
नए बनने जा रहे कॉलेज...
1- सरकारी अस्पताल व मोहाली मेडिकल कॉलेज
2- एम्स होशियारपुर
3- मलेरकोटला मेडिकल कॉलेज