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अब पवन ऊर्जा से भी रोशन होगा चंडीगढ़: 40 मेगावाट विंड एनर्जी खरीदेगा प्रशासन, साैर ऊर्जा पर कम होगी निर्भरता

रिशु राज सिंह, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: चंडीगढ़ ब्यूरो Updated Sat, 12 Jul 2025 02:03 AM IST
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सार

सौर ऊर्जा के मामले में चंडीगढ़ देश में नंबर-1 है। सौर पर निर्भरता को कम करने के लिए पवन ऊर्जा की ओर रुख किया गया है। इसी कड़ी में चंडीगढ़ रिन्यूएबल एनर्जी एंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसाइटी (क्रेस्ट) ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के माध्यम से 40 मेगावाट पीक पवन ऊर्जा खरीदने की योजना बनाई है।

Now Chandigarh will be illuminated by solar as well as wind energy, decision to buy 40 MW wind energy
पवन ऊर्जा उत्पादन - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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चंडीगढ़ प्रशासन ने नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए पहली बार पवन ऊर्जा (विंड एनर्जी) खरीदने की तैयारी कर ली है। इसके तहत क्रेस्ट ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) के माध्यम से 40 मेगावाट पवन ऊर्जा खरीदने की योजना बनाई है। अभी शहर की लगभग 70-75 फीसदी ऊर्जा जरूरतें नवीकरणीय स्रोतों से पूरी हो रही हैं, जिसे प्रशासन 2030 तक 100 फीसदी तक ले जाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है।
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सौर ऊर्जा के मामले में चंडीगढ़ देश में नंबर-1 है। सौर पर निर्भरता को कम करने के लिए पवन ऊर्जा की ओर रुख किया गया है। इसी कड़ी में चंडीगढ़ रिन्यूएबल एनर्जी एंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसाइटी (क्रेस्ट) ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के माध्यम से 40 मेगावाट पीक पवन ऊर्जा खरीदने की योजना बनाई है। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत सरकार ने सभी राज्य व यूटी को यह टारगेट दिया है कि नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में सौर ऊर्जा के अलावा अन्य ऊर्जा को भी अपनाना है। 
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रिन्यूएबल परर्चेज ऑब्लीगेशन (आरपीओ) वर्ष 2023 में पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी 0.81 फीसदी निर्धारित थी, जो 2030 तक बढ़ाकर 6.94 फीसदी कर दी गई है। यानि सभी राज्य व यूटी को 2030 तक 6.94 फीसदी ऊर्जा, पवन ऊर्जा से प्राप्त करनी है। इसी दिशा में पहल करते हुए चंडीगढ़ ने 40 मेगावाट पवन ऊर्जा खरीदने की योजना बनाई है। इसके लिए क्रेस्ट एक प्लेटफॉर्म का काम करेगा और यूटी प्रशासन का पावर विभाग व सीपीडीएल इस खरीद की जिम्मेदारी को निभाएंगे।

एसईसीआई के साथ पावर सेल एग्रीमेंट होगा

क्रेस्ट द्वारा प्रस्तावित योजना के अनुसार 2030 तक एसईसीआई के जरिए पवन ऊर्जा परियोजनाओं से 40 मेगावाट पीक बिजली खरीदी जाएगी। इसके लिए पावर सेल एग्रीमेंट (पीएसए) किया जाएगा। पवन ऊर्जा की यह आपूर्ति सीधे ग्रिड से जोड़ी जाएगी, जिससे शहर की कुल विद्युत खपत में ग्रीन एनर्जी का अनुपात और बढ़ेगा। अब तक चंडीगढ़ मुख्य रूप से सौर ऊर्जा के जरिए नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन पर जोर देता रहा है। छतों पर सोलर पैनल लगाने की दिशा में शहर देशभर में मिसाल बना है लेकिन अब प्रशासन ने पवन ऊर्जा की खरीद को शामिल कर ऊर्जा स्रोतों का दायरा बढ़ा दिया है।

कार्बन उत्सर्जन को मापने के लिए होगी बेसलाइन स्टडी

यूटी प्रशासन ने हाल ही में स्टेट एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज फॉर चंडीगढ़ 2.0 (एसएपीसीसीसी) को लागू किया है। इसके अंतर्गत योजना की निगरानी और असर को मापने के लिए मॉनिटरिंग, मूल्यांकन और रिपोर्टिंग (एमईआर) सिस्टम तैयार किया गया है। साथ ही एक जलवायु परिवर्तन केंद्र (सीसीसी) स्थापित करने का प्रस्ताव है, जो विभागों के बीच तालमेल बनाएगा, आंकड़ों को संभालेगा और जानकारी साझा करेगा। कार्बन उत्सर्जन को मापने के लिए एक बेसलाइन स्टडी भी की जाएगी।

2050 तक शहर में तापमान में तेजी से बढ़ोतरी

एसएपीसीसीसी में बताया गया है कि 2050 तक शहर में तापमान में तेजी से बढ़ोतरी और भारी बारिश की घटनाएं बढ़ सकती हैं, जिससे गर्मी के थपेड़ों और शहरी बाढ़ जैसी समस्याएं बढ़ेंगी। इससे निपटने के लिए कई कदम उठाने की योजना है। जैसे मॉडल सोलर सिटी के रूप में 100 फीसदी सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना, इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ाना, ग्रीन बिल्डिंग्स को बढ़ावा देना, वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करना आदि। शुक्रवार को यूटी सचिवालय में स्टेट एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज फॉर चंडीगढ़ (एसएपीसीसीसी) 2.0 को लागू करने के लिए बनाई गई राज्य स्तरीय स्टीयरिंग समिति (एसएलएससी) ने बैठक कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा भी की और इन्हें कैसे लागू किया जा सकता है इसकी योजना बनाई गई।

क्या है आरपीओ?

रिन्यूएबल परर्चेज ऑब्लीगेशन (आरपीओ) के तहत सभी राज्य व यूटी और विद्युत वितरण कंपनियों (डिसकॉम्स) को अपनी कुल बिजली खपत का एक निर्धारित हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से खरीदना जरूरी होता है। इसमें सौर और गैर-सौर दोनों श्रेणियों को शामिल किया जाता है। चंडीगढ़ प्रशासन इसी दिशा में पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाकर आरपीओ लक्ष्यों को पूरा करने की तैयारी में है।
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