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PGI चंडीगढ़ की रिसर्च: घुटनों के मरीजों का दर्द होगा कम... पीजीआई ने ढूंढा घुटने घिसने से बचाने का नया तरीका
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चडीगढ़
Published by: चंडीगढ़ ब्यूरो
Updated Sun, 07 Sep 2025 11:14 AM IST
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सार
पीजीआई चंडीगढ़ के फिजिकल एंड रिहैबिलिटेशन मेडिसिन विभाग ने जूतों में लेटरल-वेज ऑर्थोटिक इनसोल और शॉक-एब्जॉर्बिंग सोल का इस्तेमाल कर घुटनों के मरीजों का दर्द कम करने के साथ घिसने से बचाने का नया तरीका ढूंढा है।

चंडीगढ़ पीजीआई
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पीजीआई चंडीगढ़ के फिजिकल एंड रिहैबिलिटेशन मेडिसिन विभाग ने जूतों में लेटरल-वेज ऑर्थोटिक इनसोल और शॉक-एब्जॉर्बिंग सोल का इस्तेमाल कर घुटनों के मरीजों का दर्द कम करने के साथ घिसने से बचाने का नया तरीका ढूंढा है। शोध में शामिल मरीजों के घुटनों की स्थिति को देखने के लिए जूते में बदलाव करने से पहले और उसके एक महीने बाद एक्सरे किया गया। इसमें मरीजों ने दर्द से राहत बताई और एक्सरे रिपोर्ट में घुटनों के घिसने की प्रक्रिया भी कम हुई। यह शोध इंडियन जरनल ऑफ फिजियोथेरेपी एंड रिहैबिलिटेशन जरनल में प्रकाशित हुआ है।

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फिजिकल एंड रिहैबिलिटेशन मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रो. सौम्या सक्सेना ने बताया कि घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस वाले मरीजों में गेट एनालिसिस किया गया। उनके फुट वियर में कुछ बदलाव किए गए। गठिया के मरीजों में इससे पहले शोध में फुटवियर मॉडिफिकेशन से चाल में सुधार की सफलता मिल चुकी है। इस शोध से यह जानने का प्रयास किया गया कि चाल में सुधार के अलावा घुटनों पर प्रभाव पड़ रहा है या नहीं। इसके लिए उन मरीजों में फुटवियर मॉडिफिकेशन से पहले और उसके एक महीने बाद एक्स-रे का आकलन किया गया। इसमें सामने आया कि ऐसे मरीजों के घुटने के बीच वाले स्थान में लगातार घिसाव होने से जॉइंट स्पेस बढ़ता जाता है और स्थिति खराब होती जाती है लेकिन इन जूतों से इस प्रक्रिया में भी कमी देखने को मिली।
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ऐसे किया विश्लेषण
सभी रोगियों के जूतों की एड़ी और तलवे के पीछे वाले भाग पर रबर का एक 1/2 इंच का टुकड़ा लगाया गया। घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस के सभी रोगियों को क्वाड्रिसेप्स और हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों के लिए प्रोटोकॉल के अनुसार घर पर ही व्यायाम करने की सलाह दी गई। जैसे-सीधे पैर उठाना, छोटे पैर एक्सटेंशन (घुटने), 30 बार दोहराना, शुरुआत में प्रतिरोध के लिए आधा किलो वजन के साथ और धीरे-धीरे हर 3 हफ्ते में आधा किलो वजन बढ़ाकर 1.5 किलो तक (बी/एल), प्रत्येक में 10 सेकंड का होल्डिंग समय शामिल था। परीक्षण शुरू होने से पहले भ्रम को कम करने के लिए किसी भी दवा के प्रभाव को खत्म करने के लिए एक सप्ताह के लिए टैबलेट एसीक्लोफेनाक 100 मिलीग्राम दिन में दो बार दिया गया था। बाद में आवश्यकतानुसार अधिकतम एक टैबलेट दिया गया था। जूते में लेटरल वेजिंग इनसोल पहनने के एक महीने बाद पुनर्मूल्यांकन किया गया था। जूते में लेटरल वेज पहनकर 20 मीटर चलने का परीक्षण (एक महीने बाद) किया गया था। विज़ुअल एनालॉग स्केल (वीएएस) पर (20 मीटर चलने के बाद) दर्द मापा गया। बॉडी कंपोज़िशन एनालाइज़र उपकरण द्वारा रोगियों की ऊंचाई, वज़न और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की गणना की गई।
मरीजों को ये थी परेशानी
शोध में शामिल ओए घुटने वाले 40 रोगियों में से 27 महिलाएं और 13 पुरुष थे। उनकी औसत आयु 35 से 75 वर्ष के बीच थी। अधिकांश रोगी (17/40) अधिक वजन वाले थे जिनका बीएमआई 25 से 30 किग्रा/वर्ग मीटर के बीच था। 40 में से 10 मोटे थे और 13/40 का बीएमआई <25 किग्रा/वर्ग मीटर था। सभी रोगियों को चलने पर घुटनों में पुराना दर्द होता था, विशेष रूप से लंबे समय तक खड़े रहने और सीढ़ियां चढ़ने के बाद, जो आमतौर पर आराम और दर्दनाशक दवाओं से कम हो जाता था।
मरीजों को मिली राहत
सभी रोगियों को समान मात्रा में वेजिंग दी गई। इससे गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त जोड़ों की तुलना में कम क्षतिग्रस्त जोड़ों वाले रोगियों में ज्यादा सुधार पाया गया। उनकी चाल बेहतर हुई, दर्द कम हुआ और घुटनों के बीच घिसाव भी कम हुआ।