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17 वर्षीय मुस्लिम लड़की ने की शादी: हाईकोर्ट ने कहा- इस्लाम में यौन परिपक्वता ही विवाह के लिए सही उम्र, नवदंपती को दी जाए सुरक्षा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Sun, 26 Dec 2021 10:45 AM IST
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सार
मामले में दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत लड़की विवाह के लिए स्वतंत्र है। मुस्लिम धर्म के अनुसार विवाह के लिए यौन परिपक्वता सही आयु होती है।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हिंदू लड़के के संग विवाह करने वाली 17 वर्षीय मुसलमान लड़की की सुरक्षा से जुड़ी याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि लड़की यौन परिपक्वता पा चुकी है। ऐसे में वह पसंद के साथी के साथ विवाह करने के लिए स्वतंत्र है। हाईकोर्ट ने मालेरकोटला के एसएसपी को दंपती को सुरक्षा मुहैया करवाने का आदेश दिया है।

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याचिका दाखिल करते हुए जोड़े ने हाईकोर्ट को बताया कि लड़की की आयु 17 वर्ष है और लड़के की आयु 33 वर्ष। दोनों ने परिवार वालों के खिलाफ जाकर विवाह किया है और उनकी जान को खतरा है। याची ने कहा कि मुस्लिम धर्म के अनुसार यौन परिपक्वता पाने के बाद लड़का और लड़की दोनों को ही विवाह के लिए पात्र माना जाता है। ऐसे में उन्हें सुरक्षा दी जाए।
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हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि प्रिंसिपल्स ऑफ मोहमडन लॉ के तहत 15 साल की लड़की यौन परिपक्वता पाने के बाद विवाह के लिए योग्य मानी जाती है। इस मामले में लड़की 17 वर्ष की है। लड़की ने घरवालों के खिलाफ जाकर विवाह किया है, केवल इस वजह से उसके सांविधानिक अधिकारों से उसे वंचित नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने याचिका को मंजूर करते हुए अब मालेरकोटला के एसएसपी को आदेश दिया है कि वह दंपती की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाएं।