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Highcourt: पार्ट टाइम बीटेक करने वालों को हाईकोर्ट का झटका, कहा-नियुक्ति व पदोन्नति के लिए वैध नहीं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Sun, 22 Jan 2023 08:49 AM IST
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सार
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पार्ट टाइम बीटेक को नियमित बीटेक के बराबर नहीं माना जा सकता। साथ ही हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि बीटेक जैसा तकनीकी कोर्स एआईसीटीई की मंजूरी के बिना नहीं करवाया जा सकता।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
- फोटो : File Photo
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विस्तार
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने चौधरी छोटू राम यूनिवर्सिटी से पार्ट टाइम बीटेक को नियुक्ति वह पदोन्नति के लिए अमान्य करार देते हुए इस कोर्स को करने वाले लोगों को बड़ा झटका दिया है। नियमित बीटेक करने वाले जूनियर इंजीनियरों ने पार्ट टाइम बीटेक करने वाले जूनियर इंजीनियरों की पदोन्नति को चुनौती दी थी।

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नियमित बीटेक करने वाले जूनियर इंजीनियरों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया था कि एसडीओ के तौर पर पदोन्नति के लिए ऐसे लोगों का चयन किया जा रहा है जिन्होंने पार्ट टाइम बीटेक की है। याचिका में बताया गया कि चौधरी छोटू राम यूनिवर्सिटी के पास पार्ट टाइम बीटेक कराने के लिए एआईसीटीई की मंजूरी ही नहीं है। बिना मंजूरी के कराए जा रहे इस कोर्स को वैध नहीं माना जा सकता। याचिका पर हरियाणा सरकार व यूनिवर्सिटी ने कहा कि यूनिवर्सिटी एक स्वायत्त संस्थान है और इसे पार्ट टाइम बीटेक करवाने के लिए मंजूरी की जरूरत नहीं है।
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सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए यूनिवर्सिटी व सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पार्ट टाइम बीटेक को नियमित बीटेक के बराबर नहीं माना जा सकता। साथ ही हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि बीटेक जैसा तकनीकी कोर्स एआईसीटीई की मंजूरी के बिना नहीं करवाया जा सकता। एआईसीटीई तकनीकी कोर्स के लिए नियम कायदे तय करने वाली एक्सपर्ट बॉडी है। कोर्स के लिए यूनिवर्सिटी के पास मंजूरी नहीं थी ऐसे में यह कोर्स नियुक्ति व पदोन्नति के लिए वैध नहीं है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि मानव दिमाग की क्षमता सीमित होती है और पांच दिन कार्य करने के बाद बचे हुए दो दिन में इतनी पेचिदा कोर्स को करना बेहद मुश्किल है। इसी लिए एआईसीटीई ने पार्ट टाइम बीटेक की अनुमति नहीं दी थी।