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पीजीआई चंडीगढ़ में करोड़ों का घोटाला: कई बड़े अधिकारियों पर गिरेगी गाज; क्राइम ब्रांच की रडार में बड़ी मछलियां

संदीप खत्री, चंडीगढ़ Published by: चंडीगढ़ ब्यूरो Updated Sun, 06 Apr 2025 12:57 PM IST
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सार

आयुष्मान और हिम केयर योजना के तहत मरीजों की दवा के नाम पर करोड़ों के घोटाले मामले में पीजीआई चंडीगढ़ के बड़े अधिकारी भी रडार में हैं। जिम्मेदार अधिकारियों पर कभी भी गाज गिर सकती है। 

Responsible officials of PGI may be punished Crime Branch sought answers
चंडीगढ़ पीजीआई - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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पीजीआई में आयुष्मान और हिम केयर योजना के तहत मरीजों की दवा के नाम पर करोड़ों के घोटाले के मामले में पीजीआई के जिम्मेदार अधिकारी नप सकते हैं। क्राइम ब्रांच ने पीजीआई को नोटिस भेज कर आयुष्मान और हिम केयर का पूरा रिकॉर्ड मांगा है। साथ ही पीजीआई से जवाब मांगा है कि इन दोनों विभाग में हो रहे फर्जीवाड़े पर कब-कब कितनी शिकायतें आईं और क्या कार्रवाई की गई। यह भी पूछा है कि कैसे आयुष्मान और हिम केयर योजना के तहत मरीजों को दवाई दी जाती थी। कैसे पीजीआई यह सुनिश्चित करेगा कि इन योजनाओं के तहत सिर्फ लाभार्थी को ही दवाई मिलती थी। इसका रिकॉर्ड पीजीआई कैसे वेरिफाई करता था।

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सूत्रों के अनुसार आयुष्मान और हिम केयर के रिकॉर्ड से मिलीभगत कर घोटाला करने वालों के चेहरे से पर्दा उठ सकता है। रिकॉर्ड के आधार पर क्राइम ब्रांच अगली कार्रवाई करेगी। रिकॉर्ड से खुलासा होगा कि अगर आयुष्मान और हिम केयर में फर्जीवाडे़ की शिकायतें आई थीं तो उस पर पीजीआई प्रशासन ने कार्रवाई क्यों नहीं की। स्वास्थ्य मंत्रालय भी इस पर पीजीआई से जवाब मांग चुका है। क्राइम ब्रांच की कार्रवाई के बाद पीजीआई ने कुंभकर्णी नींद से जागकर इंटरनल जांच शुरू कर दी है। पीजीआई से इंडेंट बुक भी गायब हो चुकी थी जिसकी पुलिस को भी जानकारी नहीं दी गई।
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खुद एसपी क्राइम ब्रांच जसबीर सिंह कर रहे जांच
खुद एसपी क्राइम ब्रांच जसबीर सिंह इस मामले की जांच कर रहे हैं। रिकॉर्ड आने के बाद क्राइम ब्रांच इस मामले में बड़ी करवाई कर सकती है। लेकिन देखने वाली बात यह भी होगी कि लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ पीजीआई क्या कार्रवाई करेगा या फिर फर्जीवाड़े में मिलीभगत पाने वालों पर क्या एक्शन लिया जाएगा।

बड़ी मछलियां फंस सकती हैं जाल में
आयुष्मान और हिम केयर योजना में करोड़ों के फर्जीवाड़े का खुलासा होने बाद अभी तक किसी भी बड़े अधिकारी का नाम सामने नहीं आया है। यह खुलासा भी नहीं हुआ कि आखिर किसकी मिलीभगत से फर्जीवाड़ा चल रहा था। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या करोड़ों का घोटाला किसी बड़े अधिकारी की मिलीभगत के बिना पीजीआई में सरेआम होना संभव है? सूत्रों का कहना है कि क्राइम ब्रांच को पीजीआई की ओर से रिकॉर्ड मिलने का इंतजार है। किसी भी अधिकारी की मिलीभगत या लापरवाही पाई गई तो कार्रवाई निश्चित है। करोड़ों के फर्जीवाड़ा के खुलासे के बाद पीजीआई ने आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों कि दवा देने की व्यवस्था बदल दी थी। आयुष्मान और हिमकेयर की दवाई अमृत फार्मेसी से अब ऑनलाइन ही मिलेगी।

ऐसे होता था फर्जीवाड़ा
दरअसल जो मरीज इलाज के लिए कार्ड बनवाता था आरोपी डेटा के हिसाब से मरीजों का नाम लिखकर आयुष्मान विभाग की मुहर लगाकर सेम कॉपी फर्जी तैयार कर लेता था। इसके बाद उस कार्ड पर लाखों की दवाइयां लेकर सस्ते रेट में बेच देता था। कपिल दो हजार रुपये में एक मरीज का डेटा बलराम को बेचता था।

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