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Punjab Loksabha Election: राजनीतिक तौर पर सबसे प्रभावशाली है मालवा... यहां से की आठ सीटों पर सबकी नजर
सुरिंदर पाल, अमर उजाला, जालंधर (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Mon, 03 Jun 2024 11:31 AM IST
सार
पंजाब को प्रमुख तौर पर तीन क्षेत्रों मालवा, माझा और दोआबा में विभाजित किया जाता है। सतलुज नदी के दक्षिण वाले क्षेत्र को मालवा क्षेत्र कहा जाता है, दोआबा क्षेत्र ब्यास और सतुलज नदियों के बीच पड़ता है, जबकि माझा रावी और ब्यास नदियों के बीच पड़ता है।
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लुधियाना में मतदान के लिए लगी भीड़
- फोटो : फाइल
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विस्तार
लोकसभा चुनाव 2024 संपन्न हो चुके हैं। अब चार जून को आने वाले नतीजों का इंतजार है। पंजाब में सत्ता का केंद्र रहे मालवा पर फिर सबकी नजर है, जहां पर दोआबा से अधिक मतदान हुआ है।
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पंजाब में मालवा क्षेत्र को हमेशा सबसे बड़ा और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली क्षेत्र माना जाता है। खासकर विधानसभा चुनावों के दौरान अगर कोई पार्टी अधिकतम विधानसभा सीटें यहां हासिल कर लेती है, तो वह राज्य में आसानी से सरकार बना सकती है। पंजाब में विधानसभा चुनावों में आप मालवा से ही अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो गयी थी। मालवा से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह व प्रकाश सिंह बादल निकलकर सूबे की सत्ता संभाल चुके हैं।
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चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बठिंडा लोकसभा सीट, जिसमें बठिंडा, मनसा और मुक्तसर जिलों के नौ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जहां 67.97 फीसदी मतदान हुआ है। 2022 में मालवा के कई इलाकों तलवंडी साबो व बठिंडा में 84 फीसदी मतदान हुआ था, जो सत्ता के खिलाफ आप की आंधी थी और मालवा से 69 में से कांग्रेस व अकाली दल तीन सीट ही जीत पाया था। 2014 के चुनाव में बठिंडा में 77.16 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2019 में 74.16 फीसदी हुआ, यह भी राज्य में सबसे अधिक मतदान था।
2022 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले 2024 के लोकसभा चुनावों में 17 फीसदी वोट प्रतिशत गिरा है। जिसके सियासी पंडित कई मायने निकाल रहे हैं। पंजाब की कुल 13 में से मालवा क्षेत्र में लोकसभा की 8 सीटें आती हैं, जिनमें लुधियाना, बठिंडा, फिरोजपुर, फरीदकोट (एससी), फतेहगढ़ साहिब (एससी), पटियाला, आनंदपुर साहिब और संगरूर संसदीय क्षेत्र शामिल हैं। दो सीटें दोआबा क्षेत्र में आती हैं, जिनमें होशियारपुर (एससी) और जालंधर (एससी) संसदीय क्षेत्र शामिल हैं।
माझा क्षेत्र में तीन संसदीय सीटें गुरदासपुर, अमृतसर और खडूर साहिब शामिल हैं। पंजाब में चुनावी परचम लहराने के लिए मालवा क्षेत्र में जीत हासिल करना काफी जरूरी हो जाता है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पंजाब में आठ लोकसभा सीटें जीतीं थी। कांग्रेस ने मालवा क्षेत्र से लुधियाना, आनंदपुर साहिब, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब और फरीदकोट, माझा क्षेत्र में अमृतसर और खडूर साहिब लोकसभा सीटें जीती थी, जबकि दोआबा क्षेत्र में आने वाली जालंधर लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। तब 2019 में मालवा में 77 फीसदी के करीब मतदान हुआ था।
दोआबा में दलित आबादी का वर्चस्व
देश में सबसे अधिक दलित आबादी वाले दोआबा क्षेत्र में दो लोकसभा सीटें शामिल हैं। जालंधर और होशियारपुर दोनों का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से रविदासिया समुदाय द्वारा किया जाता है, जिसके बाद वाल्मीकि समाज के लोग आते हैं। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को अपने सीएम चेहरे के रूप में नामित किया था, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस दोआबा क्षेत्र की 23 विधानसभा सीटों में से केवल 10 सीटें हासिल करने में सफल रही, जिनमें चार आरक्षित सीटें शामिल थीं। 2014 और 2019 के आम चुनावों में, कांग्रेस और भाजपा ने दोआबा में एक-एक सीट जीती।
हालांकि, इस बार चूंकि शिअद और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए चुनावी समीकरण ज़मीनी स्तर पर बदलाव को प्रतिबिंबित कर सकते हैं। जबकि दोआबा में आठ आरक्षित विधानसभा क्षेत्र हैं, इसके शेष सामान्य विधानसभा क्षेत्रों में भी 20% से 30% तक महत्वपूर्ण दलित उपस्थिति है। यद्यपि राजनीतिक दल विभिन्न योजनाओं की घोषणा करके दलित समर्थन के लिए होड़ करते हैं, अक्सर दलित मतदाता पार्टी की बयानबाजी से स्वतंत्र होकर अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इस बार वोट प्रतिशत 60 फीसदी के आसपास रहा है।
हालांकि दोनों लोकसभा सीटों पर पीएम मोदी ने आकर रैली की है लेकिन वोट प्रतिशत मालवा के मुूकाबले कम हुआ है। सारी पार्टियां दावा ठोक रही हैं कि मतदान कम होने का फायदा उनके प्रत्याशी को मिलने जा रहा है। हालांकि कांग्रेस का दलित वोटरों में खासा जनाधार है।
माझा में पंथक वोटर हावी
माझा में हमेशा पंथक वोट फैसला करता है कि उनका सांसद कौन होगा। खंडूर साहिब सीट पर सबकी नजर है और वहां पर 57 फीसदी मतदान हुआ है। हालांकि इनके कई विधानसभा क्षेत्रों जीरा व पट्टी में 60 फीसदी वोट पोल हुआ है। पंथक वोट इस बार फिर से इस सीट का फैसला कर रहे हैं। निर्दलीय उम्मीदवार अमृतपाल सिंह खालसा कड़ी टक्कर दे रहे हैं। सुखबीर बादल के जीजा आदेश प्रताप कैरों पट्टी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधत्व करते हैं। मतदान से ठीक पहले कैरों को पार्टी से निकाला गया, जिसका फायदा अमृतपाल सिंह को मिल सकता है। हर प्रत्याशी इस सीट पर जीत का दावा कर रहा है। वहीं अमृतसर व गुरदासपुर सीट भी मालवा में आती है। अमृतसर में 56 फीसदी मतदान हुआ है और वहां पर भाजपा प्रत्याशी तरणजीत संधू जीत का दावा कर रहे हैं जबकि गुरजीत औजला मौजूदा सांसद अश्वस्त हैं कि वोट कम पोल होने से उनको फायदा मिल सकता है।