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Khelo India Youth Games: गरीबी के बीच खेलो इंडिया यूथ गेम्स में चमक बिखेर रहे खिलाड़ी

संजीव पंगोत्रा, संवाद न्यूज एजेंसी, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Fri, 10 Jun 2022 03:48 PM IST
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सार

खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आयोजन पंचकूला और चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में किया जा रहा है। चंडीगढ़ को फुटबॉल और आर्चरी के खेलों की मेजबानी मिली है। यहां पर फुटबॉल टूर्नामेंट हो रहा है। देश के कई राज्यों से खिलाड़ी अपनी अपनी टीमों के साथ इन मुकाबलों में हिस्सा लेते हुए अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं। 

Stories of Players from poor background playing in khelo india youth games
फुटबॉल खिलाड़ी एस प्रिया और महालक्ष्मी। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी।
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विस्तार
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खेलो इंडिया यूथ गेम्स ने उन परिवारों के बच्चों को बड़ा मंच दिया हैं जिनके पास न पक्का मकान है, न पक्की नौकरी और न ही बेहतर खानपान। पारिवारिक मुश्किल और गरीबी के बीच ये खिलाड़ी अपना मुकाम बनाने में जुटे हुए हैं। इनका एकमात्र उद्देश्य भविष्य में भारतीय टीम में जगह बनाते हुए अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है। 

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पिता मजदूर, बेटा पंजाब फुटबॉल टीम का कप्तान  

18 वर्षीय राजबीर सिंह राणा पंजाब फुटबॉल टीम के कप्तान हैं। अटारी गांव के रहने राजबीर सिंह्र के पिता मजदूरी करते हैं। वे आसपास के गांवों के खेतों और बागों में दिहाड़ी का काम करते हैं। राजबीर ने बताया कि पिता की दिहाड़ी से घर में दो वक्त की रोटी चलती थी। गांव में पास लड़के फुटबॉल खेलते थे। मैं भी कभी कभी खेल लेता था। पास की अकादमी के कोच ने खेलते हुए देखा तो रुड़का कलां अकादमी में डाल दिया। इसके बाद से अब फुटबॉल टीम की कप्तानी कर रहे हैं। राजबीर सिंह ने कहा कि भविष्य में भारतीय टीम का कप्तान बनकर परिवार का सहारा बनना चाहते हैं। 

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हरमनदीप सिंह उतारना चाहते हैं पिता का कर्जा 

18 वर्षीय हरमनदीप सिंह पंजाब फुटबॉल टीम में सेंटर हॉफ पोजीशन पर खेलते हैं। अमृतसर के पास चाचोंवाली गांव के रहने वाले हरमनदीप सिंह के पिता गांव में ही करियाना की दुकान पर काम करते हैं। हरमनदीप ने बताया कि वह खुद गांव के पास कपड़े की दुकान पर काम करते थे। दुकान से जब भी समय मिलता था तो पास ही ग्राउंड में फुटबॉल खेलने लग जाते थे। कुछ महीनों बाद पंजाब राउंड ग्लास फुटबॉल अकादमी ने टैलेंट हंट प्रोग्राम रखा था, जिसमें उन्होंने हिस्सा लिया और उन्होंने अकादमी में ट्रेनिंग देनी शुरू की। उन्होंने बताया कि परिवार का खर्चा चलाने के लिए पिता ने कर्जा लिया हुआ है। इस खेल के जरिए पिता का कर्जा उतरना है। 

महालक्ष्मी का परिवार झोपड़ी में रहता है, बनाना चाहती हैं मकान 

18 वर्ष की महालक्ष्मी तमिलनाडु के विल्लीपुरम की रहने वाली हैं। खेलों इंडिया यूथ गेम्स में तमिलनाडु की महिला टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता दर्जी हैं। रहने के लिए झोपड़ी है। महालक्ष्मी ने कहा कि गांव के पास फुटबॉल अकादमी थी। वहां के बच्चों को खेलते देख खुद भी फुटबॉल खेलने लगी। इसके बाद सेतु फुटबॉल क्लब ने चांस दिया और आज इस मुकाम तक पहुंची। उन्होंने बताया कि उनकी जिंदगी का सपना है कि  इस खेल के जरिए परिवार का खर्चा उठाकर रहने लायक मकान बना लूं। 

चाय की दुकान से सफर शुरू हुआ सफर तमिलनाडु की टीम तक पहुंचा 

18 वर्ष की एस. समामयु प्रिया तमिलनाडु के पास गांव की रहने वाली हैं। इनके पिता की छोटी सी चाय की दुकान है। जब भी  समय मिलता था पिता के साथ चाय की दुकान पर मदद करती थी। स्पोर्ट्स डवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ तमिलनाडु की ओर से जिन बच्चों को खेलों में रुचि होती थी उन्हें हॉस्टल और खाने की व्यवस्था होती थी। फुटबॉल के खेल में रुचि को देखते हुए उन्हें हॉस्टल में रहने को मिला। अब वह तमिलनाडु टीम से खेल रही हैं। इनका कहना है भविष्य में स्कॉलरशिप की इच्छा रखने वाली समामयु प्रिया इस खेल के जरिए नौकरी पाना चाहती हैं, ताकि परिवार की आर्थिक मदद कर सके। 

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