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Sports Day: हालात से लड़कर पंचकूला के नरेंद्र ने जीता मैदान, भाला फेंक में कमाया नाम

आदेश चौधरी, संवाद न्यूज एजेंसी, पंचकूला Published by: निवेदिता वर्मा Updated Wed, 30 Aug 2023 10:10 AM IST
सार

हिम्मत और जज्बे से 2012 में नरेंद्र ने पैरालिंपिक गेम्स के भाला फेंक में छठा रैंक हासिल किया। इस उपलब्धि के लिए उनको 11 लाख रुपये का नकद इनाम मिला था। इसके बाद नरेंद्र ने अपने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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Success Story of javelin thrower Narendra
खिलाड़ी नरेंद्र - फोटो : फाइल
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विस्तार
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सामान्य हालातों में कोई भी मुकाम हासिल करना आसान होता है, मगर जब परिस्थितियां विपरीत हों और सभी रास्ते बंद हों तो मैदान जीतना बड़ी उपलब्धि होती है। खेल विभाग में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात नरेंद्र की कहानी भी ऐसी ही है। विपरीत हालात वे जुनून और लगन से हर बार आगे बढ़ते चले गए। 
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2005 की एक दुर्घटना में नरेंद्र के माता-पिता की मौत हो गई। आर्थिक तंगी के चलते नरेंद्र को खेल के क्षेत्र में सफल होने का सपना अधूरा सा लगने लगा था। उस समय नरेंदर के दोस्त जयबीर और ऋषि पाल ने उसकी मदद की। कॅरिअर बनाने के लिए उसे पंचकूला के सेक्टर-3 के ताऊ देवीलाल स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में भेजा। पहले उन्होंने दौड़ में कॅरियर बनाना शुरू किया, लेकिन चोट लगने के बाद भाला थ्रो में आगे बढ़ने लगे। 
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हिम्मत और जज्बे से 2012 में नरेंद्र ने पैरालिंपिक गेम्स के भाला फेंक में छठा रैंक हासिल किया। इस उपलब्धि के लिए उनको 11 लाख रुपये का नकद इनाम मिला था। इसके बाद नरेंद्र ने अपने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। नरेंद्र ने बताया कि खेल विभाग में पहले 2015 में बतौर कोच ज्वाइन किया था। पिछले साल खेल में बेहतर उपलब्धि के आधार पर खेल विभाग में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात किया।

हर बार दी हालात को मात
तीन साल बाद 2008 में नरेंद्र ने राज्य स्तर पर 100 और 200 मीटर की दौड़ में हिस्सा लेना शुरू किया। एक साल से कम समय में वे नेशनल स्तर तक पहुंच गए। 2009 में बेंगलुरू में आयोजित राष्ट्रीय वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके बाद 2010 में चीन में आयोजित एशियन गेम्स में हिस्सा लिया। 2011 में बेंगलुरू में आयोजित 11वें सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल किया। 

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इसी दौरान चोट लगने के बाद कमर में दर्द बढ़ने के कारण डाक्टरों ने दौड़ने से मना कर दिया। नरेंद्र को ऐसा लगा कि उनका सपना दूसरी बार टूट गया। लेकिन फिर उनका हौसला काम आया और उन्होंने अपने आपको भाला फेंक में आजमाया और एथलेटिक्स कोच नसीम अहमद से ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी। एक साल की कठिन मेहनत के बाद जनवरी 2012 में कुवैत में आयोजित कुवैत एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। इसके साथ ही पैरा ओलंपिक के लिए टिकट कटा लिया।

उपलब्धियां
एक से तीन फरवरी 2014 में बेंगलुरू में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप के सीनियर कैटेगरी में स्वर्ण पदक
29 से 31 जनवरी 2013 को जयपुर में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप के सीनियर कैटेगरी में स्वर्ण पदक
29 से 9 सितंबर को 2012 में आयोजित पैरा ओलंपिक में छठा स्थान
 
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