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PGI के डॉक्टरों ने रचा इतिहास: रोबोटिक सर्जरी से कराई थी नसबंदी, 43 साल का व्यक्ति फिर बन सकता है पिता
संवाद न्यूज एजेंसी, चंडीगढ़
Published by: चंडीगढ़ ब्यूरो
Updated Fri, 11 Jul 2025 11:16 AM IST
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सार
रोबोटिक तकनीक का सहारा लेकर एक अनोखी सफल सर्जरी करके पीजीआई के डॉक्टरों ने इतिहास रच दिया है। देश में पहली बार एक 43 साल के व्यक्ति की रोबोटिक वेसोवासोस्टॉमी सर्जरी की गई है।

चंडीगढ़ पीजीआई
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
रोबोटिक तकनीक का सहारा लेकर एक अनोखी सफल सर्जरी करके पीजीआई के डॉक्टरों ने इतिहास रच दिया है। देश में पहली बार एक 43 साल के व्यक्ति की रोबोटिक वेसोवासोस्टॉमी सर्जरी की गई है। यह सर्जरी करवाने के बाद पहले से नसबंदी करवा चुका व्यक्ति दोबारा से पिता बनने के योग्य हो जाता है। कुछ साल पहले एक व्यक्ति ने सर्जरी से नसबंदी करवा ली थी। लेकिन अब वह दोबारा से संतान की चाहत में नसबंदी को हटवाना चाहता था। ऐसे में पीजीआई के डॉक्टरों ने रोबोटिक वेसोवासोस्टॉमी सर्जरी के माध्यम से उसका ऑपरेशन करके दोबारा से पिता बनने योग्य बना दिया है।
डॉक्टरों की टीम ने इस ऑपरेशन के बाद मरीज को अगले ही दिन अस्पताल से छुट्टी भी दे दी है। वह पूरी तरह से फिट है। अब वह दोबारा से पिता बन सकता है। इसमें रोबोट सिस्टम की मदद से नसबंदी के दौरान कट चुकी नसों को दोबारा जोड़ा गया है। इसमें बाल से भी पतले टांके लगाए गए हैं। इसके लिए बहुत ही ज्यादा पतली सूई और महीन धागे का इस्तेमाल किया गया है। डॉक्टरों का दावा है कि इस रोबोटिक सर्जरी की व्यवस्था के बाद गलती की संभावना बहुत कम हो जाती है।
मरीज को जल्द राहत मिलती है
इस सर्जरी को लीड करने वाले प्रोफेसर डॉक्टर आदित्य शर्मा का कहना है कि रोबोटिक तकनीक के कारण अब यह सर्जरी बहुत सरल और सुरक्षित है। इसमें डॉक्टर बहुत सटीक तरीके से नसों को जोड़ते हैं। इससे मरीज को जल्दी राहत मिलती है। वहीं, प्रोफेसर डॉक्टर रवि मोहन ने कहा कि रोबोट का इस्तेमाल अब सिर्फ कैंसर जैसी बीमारियों में नहीं, बल्कि पुरुषों की संतान संबंधी समस्याओं में भी किया जा सकता है। इसमें डॉक्टर आदित्य प्रकाश शर्मा, डॉ. गिरधर बोरा और प्रोफेसर रवि मोहन ने मिलकर ऑपरेशन किया है।
क्या है रोबोटिक वेसोवासोस्टॉमी सर्जरी
रोबोट असिस्टेड वासोवासोस्टॉमी एक आधुनिक तकनीक है, इसमें नसबंदी के बाद पुरुष को फिर से संतान प्राप्ति में सक्षम बनाने के लिए बंद हुई नलियों को वापस जोड़कर ठीक किया जाता है। इसमें माइक्रो स्कोप की जगह रोबोट की मदद से बहुत बारीकी से शुक्राणु ले जाने वाली नलियों को जोड़ा जाता है। यह तकनीक सटीकता बढ़ाती है और सफल परिणामों की संभावना बढ़ जाती है।

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डॉक्टरों की टीम ने इस ऑपरेशन के बाद मरीज को अगले ही दिन अस्पताल से छुट्टी भी दे दी है। वह पूरी तरह से फिट है। अब वह दोबारा से पिता बन सकता है। इसमें रोबोट सिस्टम की मदद से नसबंदी के दौरान कट चुकी नसों को दोबारा जोड़ा गया है। इसमें बाल से भी पतले टांके लगाए गए हैं। इसके लिए बहुत ही ज्यादा पतली सूई और महीन धागे का इस्तेमाल किया गया है। डॉक्टरों का दावा है कि इस रोबोटिक सर्जरी की व्यवस्था के बाद गलती की संभावना बहुत कम हो जाती है।
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मरीज को जल्द राहत मिलती है
इस सर्जरी को लीड करने वाले प्रोफेसर डॉक्टर आदित्य शर्मा का कहना है कि रोबोटिक तकनीक के कारण अब यह सर्जरी बहुत सरल और सुरक्षित है। इसमें डॉक्टर बहुत सटीक तरीके से नसों को जोड़ते हैं। इससे मरीज को जल्दी राहत मिलती है। वहीं, प्रोफेसर डॉक्टर रवि मोहन ने कहा कि रोबोट का इस्तेमाल अब सिर्फ कैंसर जैसी बीमारियों में नहीं, बल्कि पुरुषों की संतान संबंधी समस्याओं में भी किया जा सकता है। इसमें डॉक्टर आदित्य प्रकाश शर्मा, डॉ. गिरधर बोरा और प्रोफेसर रवि मोहन ने मिलकर ऑपरेशन किया है।
क्या है रोबोटिक वेसोवासोस्टॉमी सर्जरी
रोबोट असिस्टेड वासोवासोस्टॉमी एक आधुनिक तकनीक है, इसमें नसबंदी के बाद पुरुष को फिर से संतान प्राप्ति में सक्षम बनाने के लिए बंद हुई नलियों को वापस जोड़कर ठीक किया जाता है। इसमें माइक्रो स्कोप की जगह रोबोट की मदद से बहुत बारीकी से शुक्राणु ले जाने वाली नलियों को जोड़ा जाता है। यह तकनीक सटीकता बढ़ाती है और सफल परिणामों की संभावना बढ़ जाती है।