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बिलासपुर: एक बार फिर एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें आने से मचा हड़कंप, यात्रियों में दहशत, रेलवे ने दी ये सफाई
अमर उजाला नेटवर्क, बिलासपुर
Published by: अमन कोशले
Updated Thu, 06 Nov 2025 03:10 PM IST
सार
बिलासपुर रेल मंडल में एक बार फिर रेलवे प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, कोटमी सोनार और जयरामनगर स्टेशन के बीच एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें एक साथ नजर आने से हड़कंप मच गया।
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एक बार फिर एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें आने से मचा हड़कंप
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेल मंडल में एक बार फिर रेलवे प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, कोटमी सोनार और जयरामनगर स्टेशन के बीच एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें एक साथ नजर आने से हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि एक यात्री ट्रेन के आगे और पीछे दो मालगाड़ियाँ थीं। यह देखकर कुछ यात्री घबरा गए और ट्रेन से उतरकर भागते हुए नजर आए।
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे। यात्रियों में यह चर्चा फैल गई कि कहीं यह किसी बड़ी लापरवाही का संकेत तो नहीं है। हालांकि इस पूरे मामले पर बिलासपुर मंडल के सीनियर डीसीएम अनुराग कुमार सिंह ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि यह कोई लापरवाही नहीं, बल्कि ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम की एक तकनीकी प्रक्रिया है।
उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर रेलवे की नेग्लिजेन्स को लेकर भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है। वास्तव में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली के तहत लगभग 90 मीटर की निश्चित दूरी पर ट्रेनों को एक ही ट्रैक पर लाया जा सकता है। यह पूरी तरह तकनीकी रूप से सुरक्षित और नियंत्रित प्रक्रिया है। रेलवे अधिकारी ने यह भी कहा कि यात्रियों की सुरक्षा रेलवे की पहली प्राथमिकता है। ऐसी घटनाओं को लेकर लोगों में जागरूकता जरूरी है ताकि बिना वजह दहशत का माहौल न बने।
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इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे। यात्रियों में यह चर्चा फैल गई कि कहीं यह किसी बड़ी लापरवाही का संकेत तो नहीं है। हालांकि इस पूरे मामले पर बिलासपुर मंडल के सीनियर डीसीएम अनुराग कुमार सिंह ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि यह कोई लापरवाही नहीं, बल्कि ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम की एक तकनीकी प्रक्रिया है।
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उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर रेलवे की नेग्लिजेन्स को लेकर भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है। वास्तव में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली के तहत लगभग 90 मीटर की निश्चित दूरी पर ट्रेनों को एक ही ट्रैक पर लाया जा सकता है। यह पूरी तरह तकनीकी रूप से सुरक्षित और नियंत्रित प्रक्रिया है। रेलवे अधिकारी ने यह भी कहा कि यात्रियों की सुरक्षा रेलवे की पहली प्राथमिकता है। ऐसी घटनाओं को लेकर लोगों में जागरूकता जरूरी है ताकि बिना वजह दहशत का माहौल न बने।