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CG: कुख्यात माओवादी कमांडर किशन की पत्नी ने किया सरेंडर; जानें कौन है एक करोड़ की इनामी महिला नक्सली सुजाता

अमर उजाला ब्यूरो, जगदलपुर/सुकमा Published by: ललित कुमार सिंह Updated Sat, 13 Sep 2025 11:45 AM IST
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सार

Maoist commander Kishanji wife female Naxalite Sujata surrender : नक्सली संगठन को फिर एक बार बड़ा झटका लगा है।

CG: Maoist commander Kishanji wife female Naxalite Sujata surrender in Telangana, There was one crore reward
ग्रॉफिक्स: अमर उजाला डिजिटल - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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विस्तार
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Maoist commander Kishanji wife female Naxalite Sujata surrender: नक्सली संगठन को फिर एक बार बड़ा झटका लगा है। कुख्यात नक्सली कमांडर किशनजी की पत्नी सुजाता ने तेलंगाना में आत्मसमर्पण किया है। सुजाता पर कई राज्यों की सरकार ने एक करोड़ रुपये का इनाम रखा था। उसके सरेंडर को सुरक्षा एजेंसियां नक्सल मोर्चे पर बड़ी कामयाबी मान रही हैं। 
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बताया जाता है कि सुजाता नक्सली संगठन के सेंट्रल कमेटी की मेंबर है। वह नक्सलियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो इंचार्ज के साथ ही जनताना सरकार की भी इंचार्ज रह चुकी है। लंबे समय से छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में कई नक्सली वारदातों में सक्रिय रही है। उनके नाम पर कई बड़ी नक्सली वारदातें दर्ज हैं।
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'चंदन तस्कर 'वीरप्पन की तरह बस्तर के जंगल में करती थी एक क्षत्रप राज 
इतना ही नहीं उसकी तुलना 'चंदन तस्कर' वीरप्पन से की जाती थी। एक समय में वो वीरप्पन की तरह बस्तर के जंगल में एक क्षत्रप राज किया करती थी। कम उम्र में ही सुजाता ने हिंसा का रास्ता अख्तियार कर लिया था।

खूंखार नक्सली हिड़मा को दे चुकी है ट्रेनिंग
इतना ही नहीं माना जाता है कि वह खूंखार नक्सली हिड़मा को ट्रेनिंग दे चुकी है। उसने हिड़मा को बंदूक और दूसरे हथियार चलाना सिखाया था। सुरक्षा बलों की लिस्ट में वो टॉप रैंक की महिला नक्सली मानी जाती है। कई साल तक बस्तर में सक्रिय रहकर कई बड़ी नक्सली वारदातों को अंजाम दे चुकी है। बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिले में कई वारदातों में वह शामिल थी। वह काफी पढ़ी लिखी है। बांगला के अलावा उसे हिंदी, अंग्रेजी,उड़िया,तेलुगु, गोंडी और हल्बी बोली भी आती है। पति की मौत के बाद वह छत्तीसगढ़ के बस्तर आ गई थी। वर्ष 2007 में एर्राबोर में सीआरपीएफ और जिला पुलिस के जवानों पर हमला हुआ था। इस हमले में 20 से ज्यादा जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। माना जाता है कि इस हमले में भी उसका हाथ था।

इन नामों से भी जानी जाती है कुख्यात नक्सली सुजाता 
62 वर्षीय इस खूंखार महिला नक्सली को सुजाता उर्फ पोथुला पद्मावती उर्फ कल्पना उर्फ म्यनाक्का के नाम से भी जाना जाता है। वह तेलंगाना राज्य के जोगुलम्बा गडवाल जिले के गट्टू मंडल के पेंचिकलपाडु गांव की निवासी है। वह कृषक परिवार से है। उसके पिता का नाम थिम्मा रेड्डी है।






गिरफ्तारी की खबर का किया था खंडन
सूत्रों के मुताबिक, 17 अक्टूबर 2024 को सुजाता को तेलंगाना से गिरफ्तार करने की खबर सामने आई थी पर यह खबर अफवाह साबित हुई थी। क्योंकि खुद सुजाता ने ही इसका खंडन करते हुए कहा था कि उसकी गिरफ्तारी की खबर अफवाह है। कहा गया था कि वह इलाज कराने के लिये बस्तर से तेलंगाना गई थी, जहां पर उसे तेलंगाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

नक्सली संगठन में 'आयरन लेडी' के नाम से है मशहूर
नक्सली संगठन में 'आयरन लेडी' के नाम से मशहूर सुजाता की पहचान नक्सली आंदोलन के कुख्यात माओवादी किशनजी की पत्नी के रूप में होती है। नक्सली कमांडर किशनजी की पश्चिम बंगाल में हुई मुठभेड़ में मौत हुई थी। इसके बाद सुजाता बस्तर और तेलंगाना में रहकर नक्सली संगठन में और अधिक सक्रिय हो गई थी।

सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि सुजाता के आत्मसमर्पण से नक्सलियों का संगठन कमजोर होगा। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना पुलिस को लंबे समय से सुजाता की तलाश थी। 

CG: Maoist commander Kishanji wife female Naxalite Sujata surrender in Telangana, There was one crore reward
वर्तमान में ऐसी दिखती थी सुजाता - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
बस्तर संभाग के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि माओवादी संगठन की वरिष्ठतम नेताओं में से एक होने के नाते उसका ये निर्णय हाल के समय में माओवादी में गहराते आत्मविश्वास संकट को दर्शाता है। यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम बस्तर पुलिस द्वारा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, आसूचना एजेंसियों और अंतर्राज्यीय सीमा क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा इकाइयों के साथ बेहतर समन्वय में चलाए गए लगातार और आक्रामक अभियानों का प्रत्यक्ष परिणाम है। इन संयुक्त प्रयासों ने माओवादी ढांचों को गहरी चोट पहुँचाई है और उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में उनके कमांड तंत्र को बाधित किया है। हाल के महीनों में,छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर रेंज एवं अन्य क्षेत्रों के नक्सल प्रभावित इलाकों में माओवादियों को लगातार भारी नुकसान उठाना पड़ा है, जिनमें कई वरिष्ठ नेताओं का निष्प्रभावी होना, बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटकों की बरामदगी तथा उनके पुराने ठिकानों में अनेक ठिकानों का ध्वस्तीकरण शामिल है। इन सतत अभियानों ने माओवादियों के फिर से एकजुट होने और विस्तार करने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी है, जिससे उनके शीर्ष नेतृत्व का भी संगठन के भविष्य पर विश्वास डगमगा रहा है। 





बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि सुजाता का आत्मसमर्पण, बस्तर में लागू की जा रही मजबूत और बहुआयामी माओवादी विरोधी रणनीति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। सक्रिय पुलिसिंग प्रयासों के साथ-साथ सरकार का विकास और कल्याण पर विशेष ध्यान, माओवादियों के प्रभाव को कमजोर करने और उनके जनाधार को खत्म करने में निर्णायक रहा है। प्रतिबंधित एवं निषिद्ध भाकपा (माओवादी) संगठन की वरिष्ठ केंद्रीय समिति सदस्य सुजाता, दंडकारण्य विशेष ज़ोनल समिति के दक्षिण उप-ज़ोनल ब्यूरो की प्रभारी थी। उसके ऊपर 40 लाख रुपये का इनाम घोषित था और बस्तर रेंज के विभिन्न जिलों में दर्ज 72 से अधिक मामलों में वह शामिल थी।

बस्तर आईजी ने सुजाता के मुख्यधारा में लौटने और शांति, गरिमा तथा आशा के मार्ग को अपनाने के इस महत्वपूर्ण निर्णय का स्वागत करते हुए प्रतिबंधित संगठन के शेष कैडर और नेताओं से अपील की है कि वे हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो जायें, ताकि बस्तर में एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य का निर्माण हो सके।




11 सिंतबर को मारा गया था एक करोड़ रुपये का इनामी नक्सली कमांडर बालकृष्ण
इससे पहले छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में 111 सितंबर को फोर्स और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक करोड़ रुपये का इनामी नक्सली कमांडर मनोज मोडेम उर्फ बालकृष्ण उर्फ भास्कर मारा गया था। मैनपुर के जंगल में हुए एनकाउंटर में नक्सली कमांडर मनोज और 25 लाख रुपये के इनामी नक्सली प्रमोद समेत कुल 10 नक्सलियों को सुरक्षा बल ने ढेर कर दिया। रायपुर संभाग के आईजी अमरेश मिश्रा और गरियाबंद जिले के एसपी निखिल राखेचा ने इस मुठभेड़ की पुष्टि की है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, मैनपुर के जंगलों में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर गरियाबंद ई-30, एसटीएफ और सीआरपीएफ की कोबरा टीम मौके पर पहुंची, जहां फोर्स और नक्सलियों के बीच जमकर मुठभेड़ हुई। इसमें कुल 10 नक्सलियों को फोर्स ने मार गिराया। वहीं कई नक्सली जंगल और पहाड़ों की आड़ लेकर मौके से फरार हो गये। मुठभेड़ स्थल से भारी मात्रा में हथियार बरामद किये गये हैं। इनमें सात आटोमेटिक हथियार शामिल हैं। घटना स्थल से एके-47 राइफल बरामद किया गया है, जिसे खूंखार नक्सली बालकृष्ण अपने पास रखता था। वहीं कई नक्सल सामग्री भी बरामद की गई है। 




बताया जाता है कि 58 वर्षीय कमांडर मनोज मोडेम उर्फ बालकृष्ण उर्फ भास्कर तेलांगना का रहने वाला था और वह 35 वर्ष छत्तीसगढ़ और ओडिशा नक्सल एरिया में सक्रिय था। वह नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। पुलिस काफी समय से उसकी तलाश कर रही थी। वह नक्सल एनकाउंटर से भयभीत होकर गरियाबंद के रास्ते ओडिशा भागने की की तैयारी में था।

नक्सली कमांडर मनोज को छत्तीसगढ़ और ओडिशा पुलिस ने 2025 की शुरुआत में टारगेट पर रखी थी। वह केकेबीएन डिवीजन का नेतृत्व करता था। वह हमेशा एके-47 राइफल के साथ चलता था। उसे नक्सल संगठन की विस्तार रणनीति का कुशल जानकार और बड़े हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था। 

डेढ़ साल में 500 नक्सली ढेर
इससे पहले हुई मुठभेड़ में नक्सलियों का बड़ा कमांडर यानी सेनापति बसवराजू मारा गया था। पिछले डेढ़ साल में लगभग 500 नक्सली मारे गये हैं। वहीं 20 वर्षों में 1500 से ज्यादा नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है। तीन हजार से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 से पहले छत्तीसगढ़ समेत देश को नक्सलमुक्त करने का संकल्प लिया है। उनके इस संकल्प के साथ ही छत्तीसगढ़ में नक्लसल अभियान जोरों हैं। 

 
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