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Hidma: एक करोड़ का इनामी खूंखार नक्सली माड़वी हिड़मा ढेर; मुठभेड़ में उसकी पत्नी राजे भी मारी गई, जानें कौन था

अमर उजाला ब्यूरो, रायपुर Published by: ललित कुमार सिंह Updated Tue, 18 Nov 2025 12:54 PM IST
सार

Naxalite Encounter, Mandvi Hidma killed: छत्तीसगढ़ से नक्सल मुठभेड़ की बड़ी खबर सामने आ रही है। 

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CG: Naxalite Hidma killed in police naxalite encounter, His wife Raje was also reportedly killed in encounter
ग्रॉफिक्स: अमर उजाला डिजिटल - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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Naxalite Encounter, Mandvi Hidma killed: छत्तीसगढ़ से नक्सल मुठभेड़ की बड़ी खबर सामने आ रही है। मंगलवार की सुबह छह से सात बजे के करीब छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा पर हुई मुठभेड़ में बस्तर संभाग के एक करोड़ रुपये से ज्यादा के इनामी खूंखार नक्सली माड़वी हिड़मा समेत कुल छह नक्सली ढेर हो गये। आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मारेदुमिल्ली के पास सुबह-सुबह यह मुठभेड़ हुई। इसमें बस्तर क्षेत्र में आतंक का पर्याय रहे हिड़मा और उसकी पत्नी राजे उर्फ रजक्का मारे गये। 
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बताया जाता है कि मंगलवार की सुबह छह से सात बजे के करीब आंध्र प्रदेश के एएसआर जिले के रामपचोदवरम उप-मंडल के मारेदुमिल्ली के पास हुई मुठभेड़ में हिड़मा समेत छह माओवादी मारे गए। मौके से दो एके 47,  एक रिवॉल्वर, एक पिस्तौल बरामद किये गये हैं। जो एके-47 मिला है, वह माना जा रहा है कि हिड़मा का है। क्योंकि वह हमेशा कई लेयर में एके-47 से लैश रहता था। 






कौन है खूंखार नक्सली माड़वी हिड़मा?
बस्तर में नक्सल आतंक का पर्याय बन चुके कुख्यात नक्सली माड़वी हिड़मा को संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा जैसे कई और नामों से भी जाना जाता था। सुकमा उसका गढ़ था। वह माओवादी संगठन के केंद्रीय कमेटी का मेंबर था। बस्तर  में होने वाली सभी नक्सल गतिविधियों पर उसका नियंत्रण रहता था। वह वर्ष 1990 में नक्सलियों के संगठन से जुड़ा। पिछले कई साल से सुरक्षा एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी थी। छत्तीसगढ़ में कई नक्सली हमलों को अंजाम देने वाले इस दुर्दांत नक्सली का जन्म सुकमा जिले के पूवर्ती गांव में हुआ था। यह गांव दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच स्थित है। कहा जाता है कि इस गांव में पहुंचना मुश्किल है। इसके बाद भी फोर्स के हौसले को सलाम है, जो कठिन डगर के बावजूद उसके गढ़ में पहुंची। 







कई बड़े नक्सली हमले का है मास्टरमाइंड है हिड़मा
कद-काठी में छोटे से दिखने वाले हिडमा का नक्सली संगठन में बड़ा नाम है। बताया जाता है कि उसके नेतृत्व काबिलियत के बल पर ही उसे 13 साल की उम्र में नक्सलियों की टॉप सेंट्रल कमेटी का सदस्य बना दिया गया। उसकी परवरिश उस समय हुई जब सुकमा में नक्सली घटनायें चरम पर थीं। बताते हैं कि हिडमा केवल दसवीं तक पढ़ा था। बताया जाता है कि वह अपने साथ हमेशा एक नोटबुक लेकर चलता था, जिसमें वह अपने नोट्स लिखता रहता था। साल 2010 में ताड़मेटला में हुए हमले में सीआरपीएफ के 76 जवानों की शहादत में हिड़मा का नाम सामने आया था। इसके बाद साल 2013 में हुए झीरम हमले में भी हिडमा की भूमिका थी। इस हमले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं सहित 31 लोग दिवंगत हो गये थे। साल 2017 में  बुरकापाल में हुए हमले में भी हिडमा की अहम भूमिका थी। इस हमले में  सीआरपीएफ के 25 जवान शहादत को प्राप्त हुए थे। बताते हैं कि हिडमा ने फिलीपींस में गोरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ली थी।







हिड़मा के गांव से लगे पड़ोसी गांव में नया फोर्स कैंप खुला
खूंखार नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव से लगे पड़ोसी गांव में नया फोर्स कैंप खुला है। इस पूरे इलाके को सुरक्षाबलों ने अपने कब्जे में ले रखा है। पुलिस फोर्स के टारगेट पर खूंखार नक्सली कमांडर हिड़मा पहले से था। फोर्स हिड़मा को जमीन में दफनाने या उसे सरेंडर करने के लिए बस्तर में तेजी से आगे बढ़ रही थी। 







बस्तर के बीहड़ इलाके में नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान 
बस्तर के बीहड़ इलाके में नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खात्मे के लिए सरकार का फोकस नक्सलियों के गढ़ में पुलिस सुरक्षा कैंप खोलने के लिए है। बस्तर के उन सभी इलाकों में पुलिस सुरक्षा कैंप खोले जा रहे हैं, जहां नक्सलियों का कोर इलाका है। नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव में कैंप खोला गया था। अब इसके पड़ोसी गांव गोल्लाकुंडा को भी सुरक्षाबलों ने अपने कब्जे में ले रखा है। ऐसे में इन इलाकों में सुरक्षा बल के कैंप खुलने से नक्सलियों की कमर टूट रही है। नक्सली संगठन कमजोर हो रहे हैं। नक्सलवाद की जड़ें कमजोर हो रही हैं।






इन इलाकों में सुरक्षा कैंप
बीजापुर जिले के बॉर्डर के गोल्लाकुंडा में कैंप खुलने से दोनों जिलों के इलाके अब सीधे एक दूसरे से जुड़ सकेंगे। यहां नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में और तेजी आएगी। 

साल 2024 में सबसे ज्यादा खुले फोर्स कैंप 
छत्तीसगढ़ और केंद्र में डबल इंजन की सरकार होने से बस्तर के कोर नक्सल इलाकों में वर्ष 2024 में  सबसे ज़्यादा सुरक्षा बलों के कैंप खोले गए हैं। इस साल जिन गांवों में सुरक्षा बलों का कैंप खुला है, उनमें सुकमा के मुलेर,टेकलगुडेम, परिया, पूवर्ती, सलातोंग, लखापाल पुलनपाड़ शामिल हैं। इसके साथ ही दंतेवाड़ा के नेरली घाटी, कांकेर के पानीडोबरी,  नारायणपुर के कस्तूरमेटा, इरकभट्टी, मसपुर, मोहंदी, बीजापुर के गुंडम, पुतकेल, छुटवही गांव भी शामिल हैं।

ये नक्सली हुए ढेर

1. हिडमा - केंद्रीय कमेटी (सीसी) सदस्य
2. मदगाम राजे-  हिडमा की पत्नी- एसजेडसीएम सदस्य
3. लकमल - डीसीएम  सदस्य
4. कमलू - पीपीसीएम सदस्य
5. मल्ला - पीपीसीएम सदस्य
6. देवे - हिडमा का रक्षक 






 
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