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CGPSC 2024 : दुर्ग के देवेश साहू ने हासिल किया पहला स्थान, कितने घंटे करते थे पढ़ाई, किसको दिया श्रेय? जानें

अमर उजाला नेटवर्क, दुर्ग Published by: Digvijay Singh Updated Fri, 21 Nov 2025 04:51 PM IST
सार

दुर्ग में लोक सेवा आयोग के द्वारा सीजीपीएससी ( CGPSC) 2024 के नतीजे घोषित कर दिए गए है। जिसमें दुर्ग जिले के धनोरा के रहने वाले देवेश प्रसाद साहू ने इस परीक्षा में टॉप किया है। उन्होंने 773.5 नंबर प्राप्त कर नंबर वन की रैंकिंग हासिल की है।

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CGPSC 2024 Devesh Sahu from Durg secured first place How many hours did he study in Durg
देवेश साहू परिजनों के साथ - फोटो : अमर उजाला
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दुर्ग में लोक सेवा आयोग के द्वारा सीजीपीएससी ( CGPSC) 2024 के नतीजे घोषित कर दिए गए है। जिसमें दुर्ग जिले के धनोरा के रहने वाले देवेश प्रसाद साहू ने इस परीक्षा में टॉप किया है। उन्होंने 773.5 नंबर प्राप्त कर नंबर वन की रैंकिंग हासिल की है।

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देवेश साहू ने बताया कि उन्होंने अपनी परीक्षा की तैयारी का सफर साल 2021 से शुरू किया। ग्रुप स्टडी पर फोकस किया। इससे एक दूसरे की कमी मालूम चल जाती थी। जिससे सुधार किया जा सके।सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी। और पूरा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित रखा।नोट्स के लिए एआई का सहारा लिया और इसी से स्टडी मटेरियल तैयार किया। घर में माता पिता ने पूरा सहयोग दिया। किसी भी काम को लेकर कभी मानसिक दबाव नहीं बनाया। जिससे पढ़ाई में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई।
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देवेश साहू के पिता होलधर साहू भिलाई स्टील प्लांट से सेवानिवृत्त इलेक्ट्रीशियन हैं जबकि मां नंदिनी साहू गृहणी हैं। वही उनकी बहन भूमिका साहू राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव ब्लॉक में हॉर्टिकल्चर आरएचईओ के पद पर कार्यरत हैं। उनका परिवार मूल रूप से बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के जोरातराई गांव के रहने वाला है। देवेश ने बस्तर के जगदलपुर स्थित सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई की डिग्री प्राप्त की। 

पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रशासनिक अधिकारी बनने का लक्ष्य निर्धारित किया था। उन्होंने पहली बार 2021 में यह परीक्षा दी थी जिसमें उन्हें 219 अंक प्राप्त हुए। दूसरी बार 2023 में उन्हें 179 अंक मिले। इन दोनों प्रयासों में उन्हें सफलता नहीं मिली थी। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरी बार प्रयास कड़ी तैयारी की। जिसमें देवेश सेल्फ स्टडी रोजाना 10 से 12 घंटे पढ़ाई की। देवेश ने बिलासपुर में दो साल तक कोचिंग की।इसके बाद उन्होंने स्वयं अध्ययन करने का निर्णय लिया। पिछले दो साल से वे पूरी तरह से सेल्फ स्टडी पर निर्भर थे। इस दौरान वे प्रतिदिन 10 से 12 घंटे तक पढ़ाई करते थे।जिसमें निरंतर अभ्यास और खुद को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया।

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