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CG: देश का सबसे बड़ा माओवादी सरेंडर कल; नक्सली रूपेश ने अपने 120 साथियों के साथ डाले हथियार

अमर उजाला ब्यूरो, रायपुर/जगदलपुर/बीजापुर Published by: ललित कुमार सिंह Updated Thu, 16 Oct 2025 05:11 PM IST
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सार

CG Naxalites surrender News: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है या यूं कहें कि वो आखिरी सांसें ले रहा है। सुरक्षा बलों के नक्सल ऑपरेशन से नक्सली भयभीत और घबराये हुए हैं।
 

india biggest Maoist surrender soon in CG: Naxalite Rupesh may surrender along with his 130 comrades
सरेंडर करने वाले नक्सली - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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विस्तार
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CG Naxalites surrender News: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है या यूं कहें कि वो आखिरी सांसें गिन रहा है। सुरक्षा बलों के नक्सल ऑपरेशन से नक्सली भयभीत और घबराये हुए हैं। लगातार सरेंडर कर रहे हैं। इसी क्रम में 17 अक्टूबर को जगदलपुर में देश का सबसे बड़ा माओवादी आत्मसमर्पण होगा। नक्सली प्रवक्ता और डीकेएसजेडसी सदस्य रूपेश उर्फ सतीश उर्फ आसन्ना अपने 120 साथियों के साथ सरेंडर करेगा।

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वहीं डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा के मुताबिक, कुल 140 नक्सली 17 अक्टूबर को सरेंडर करेंगे। बीते दिनों सुकमा में 27 माओवादियों आत्मसमर्पण किया था।सके बाद कांकेर जिले के कोयलीबेडा के बीएसफ कैंप में टॉप माओवादी लीडर राजू सलाम समेत 50 से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया था और अब 120 नक्सलियों ने आज जगदलपुर में सरेंडर किया है। इस तरह कुल 170 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं। 
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इस संबंध में एक वीडियो भी सामने आया है। इसमें नक्सली इंद्रावती नदी पार उसपरी घाट पर दिख रहे हैं। नक्सली कमांडर रुपेश के नेतृत्व में सभी ने सरेंडर करने का  फैसला लिया है। स्थानीय पुलिस नक्सलियों को हथियारों के साथ आत्मसमर्पण के लिए जगदलपुर ले आयेगी। प्रदेश के अंतागढ़, सुकमा के बाद अब बीजापुर में लाल आतंक का सफाया शुरू हो गया है।





सूत्रों के मुताबिक, माड़ डिवीजन के 120 से ज्यादा नक्सल आत्मसमर्पण करने के लिए जंगल से निकल चुके हैं। सरेंडर करने वाले नक्सलियों में रुपेश समेत कई ऐसे नक्सली हैं, जिन पर लाखों रुपये इनाम घोषित हैं। इसमें जोनल कमेटियों के दूसरे बड़े नक्सली भी शामिल हैं। जंगल से बाहर निकलने वाले नक्सलियों के लिए एक सब कॉरिडोर की व्यवस्था की गई है। नक्सली प्रवक्ता रूपेश माड़ डिवीजन के स्पेशल जोनल कमेटी का मेंबर है। 

चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था
इन 120 नक्सलियों में से 70 से ज्यादा नक्सली हथियारों के साथ सरेंडर कर सकते हैं। बताया जाता है कि नक्सलियों की पूरी माड़ डिवीजन की टीम इंद्रावती नदी पार करके भैरमगढ़ पहुंचेगी। बीजापुर  जिला प्रशासन ने रुपेश समेत समर्पण करने वाले 120 नक्सलियों को लाने के लिए पूरी तैयारी कर रखी है। इंद्रावती नदी से भैरमगढ़ तक चाक-चौबंद सुरक्षा के बीच सभी नक्सली हथियार डालने के लिये पहुंचेंगे। किसी भी संभावित खतरे को देखते हुए पुलिस और सुरक्षा बलों ने इलाके को सील कर दिया है। भैरमगढ़ में बड़ी संख्या में सुरक्षा बल की तैनाती की गई है।

शांतिवार्ता की पेशकश की थी
बता दें कि रूपेश नक्सली प्रवक्ता है, उसने ही हाल ही में प्रेसनोट जारी कर शांतिवार्ता की पेशकश की थी। प्रेसनोट में केंद्र सरकार से नक्सल विरोधी अभियान को छह महीनों के लिए रोकने की गुजारिश की थी। जिसे केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार ने सिरे से नकार दिया था। सरकार का कहना था कि गोली और बोली दोनों एक साथ नहीं हो सकता। 






50 से ज्यादा नक्सलियों ने किया था सरेंडर 
15 अक्तूबर को कांकेर जिले के कोयलीबेडा थाना क्षेत्र के बीएसफ कैंप में टॉप माओवादी लीडर राजू सलाम समेत 50 से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया था। हालांकि इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई थी। अधिकारी फिलहाल कुछ भी कहने से बच रहे हैं। चर्चा है कि नक्सलियों ने हथियार के साथ सरेंडर किया है। 

सुकमा में 27 माओवादियों ने किया था आत्मसमर्पण 
सुकमा जिले में बुधवार को कुल 27 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया था, जिनमें 50 लाख रुपये के इनामी नक्सली भी शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वालों में पीएलजीए बटालियन नंबर-एक के दो हार्डकोर सदस्य, एक सीपीआई (माओवादी) डिवीजन स्तर का कैडर, एक पार्टी कार्यकर्ता और 11 संगठनात्मक सदस्य शामिल हैं।

नक्सली प्रवक्ता और डीकेएसजेडसी सदस्य रूपेश उर्फ सतीश उर्फ आसन्ना अपने 120 साथियों के साथ जगदलपुर में सरेंडर करेगा। 








आत्मसमर्पण नीति और नियदनेल्लानार योजना का असर
आत्मसमर्पण करने वालों में 10 महिलाएं और 17 पुरुष माओवादी शामिल हैं। प्रशासन के अनुसार, आत्मसमर्पित नक्सलियों पर अलग-अलग स्तर पर इनाम घोषित था। एक पर 10 लाख, तीन पर आठ-आठ लाख रुपये, एक पर तीन लाख रुपये, दो पर दो-दो लाख रुपये और नौ पर एक-एक लाख रुपये घोषित था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लगातार चल रही छत्तीसगढ़ नवसंकल्प आत्मसमर्पण नीति और नियदनेल्लानार योजना का असर अंदरूनी इलाकों में साफ दिख रहा है। 

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