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नक्सली इलाकों से उभरती खेल प्रतिभा: दंतेवाड़ा वॉलीबॉल टीम की कोसी कर रही संभाग स्तरीय मुकाबलों की तैयारी

अमर उजाला नेटवर्क, जगदलपुर Published by: Digvijay Singh Updated Tue, 02 Dec 2025 07:06 PM IST
सार

दंतेवाड़ा जिले के नक्सल प्रभावित दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली कोसी ने बस्तर ओलंपिक में अपनी वॉलीबॉल टीम के साथ दंतेवाड़ा जिला स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल कर नया इतिहास रच दिया है।

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Emerging sports talent from Naxalite areas Dantewada volleyball team Kosi is preparing for divisional level c
नक्सली इलाकों से उभरती खेल प्रतिभा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दंतेवाड़ा जिले के नक्सल प्रभावित दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली कोसी ने बस्तर ओलंपिक में अपनी वॉलीबॉल टीम के साथ दंतेवाड़ा जिला स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल कर नया इतिहास रच दिया है। यह उपलब्धि सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि उस पूरे क्षेत्र की जीत का प्रतीक बन गई है, जहां वर्षों से संघर्ष, भय और चुनौतियाँ बच्चों के सपनों पर हावी रही हैं।

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किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली कोसी बचपन से ही कठिन परिस्थितियों के बीच पली-बढ़ी। खेती-बाड़ी और रोज़मर्रा की समस्याओं से जूझते परिवार में कोसी ने बॉलीबाल खेल को एक उम्मीद की रोशनी की तरह देखा और लगातार मेहनत से अपने कौशल को निखारा। उसके पिता किसान हैं और भाई-बहन आज भी गाँव में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन कोसी की सफलता पूरे परिवार और गांव के लिए गर्व का क्षण बनकर आई है। एकलव्य परिसर जवांगा ने कोसी की प्रतिभा को पहचाना, उसे प्रशिक्षण, संसाधन और अवसर प्रदान किए। इसी सहयोग और उसके अथक प्रयासों की बदौलत अब कोसी संभाग स्तरीय बस्तर ओलंपिक के मुकाबलों की तैयारी में जुटी है। उसकी यह प्रगति न केवल खेल उपलब्धि है, बल्कि उस सामाजिक परिवर्तन का संकेत भी है, जिसमें नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चे मैदानों की ओर लौट रहे हैं।
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इलाके में खेल सुविधाओं की कमी, सीमित मैदान व सुरक्षा संबंधी चुनौतियों के बावजूद कोसी जैसी बेटियों ने खेल को अपना साहस बनाया है। कोसी की सफलता इस बात का प्रमाण है कि अवसर मिले तो धुर नक्सल क्षेत्रों से भी बेहतरीन खिलाड़ी तैयार हो सकते हैं।खेल विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार और खेल विभाग से आगे भी पर्याप्त सहयोग मिलता रहा, तो कोसी आने वाले समय में राष्ट्रीय स्तर पर न केवल बस्तर का, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर सकती है। उसकी कहानी उस नई पीढ़ी की कहानी है, जो बंदूकों की छाया से निकलकर खेल के मैदानों में अपनी पहचान बनाने की राह पर हैं।

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