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Hidma Encounter: 'मुखबिर की सूचना पर हुई हत्या', माओवादियों का एक और पत्र; पुलिस की मंशा पर उठाए सवाल

अमर उजाला नेटवर्क, सुकमा Published by: अनुज कुमार Updated Thu, 04 Dec 2025 02:20 PM IST
सार

माओवादियों का एक और पत्र जारी हुआ है। जिसमें हिड़मा के एनकाउंटर को लेकर माओवादियों ने अपना स्पष्टीकरण दिया है। बताया है कि हिड़मा के दल से भागे हुए नक्सलियों ने सरेंडर किया। इसके बाद हिड़मा की लोकेशन की जानकारी दी। 

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Maoists issue letter on Hidma encounter
हिड़मा एनकाउंटर पर माओवादियों का पत्र - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सुकमा जिले में पुलिस द्वारा मारे गए माओवादी कमांडर हिड़मा के एनकाउंटर को लेकर नक्सली संगठन ने एक नया पत्र जारी कर पुलिस के दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। माओवादियों ने पत्र के माध्यम से हिड़मा की मौत के संबंध में अपनी ओर से विस्तृत स्पष्टीकरण देते हुए पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।

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माओवादी संगठन द्वारा जारी पत्र के अनुसार, हिड़मा अपने दल के साथ था जब एक कथित भगोड़े नक्सली ने पुलिस को उसकी लोकेशन की जानकारी दी। माओवादियों का आरोप है कि इसी मुखबिर की सूचना के आधार पर पुलिस ने हिड़मा पर हमला किया। पत्र में इस बात का भी खंडन किया गया है कि हिड़मा की मौत की वजह पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी थी।
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पत्र में माओवादी नेता देव जी पर हिड़मा की हत्या के लगाए गए आरोपों को भी माओवादियों ने गलत बताया है। उन्होंने कहा है कि देव जी को इस मामले में जानबूझकर फंसाया जा रहा है। माओवादियों ने पूर्व विधायक मनीष कुंजाम और सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी पर इस षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया है। उनके अनुसार, इन दोनों ने मिलकर देव जी को फंसाने के लिए पुलिस के साथ मिलकर बयानबाजी की है।

यह पत्र सुकमा में लगातार हो रहे पुलिस और माओवादियों के बीच टकराव के बीच सामने आया है। पुलिस अक्सर नक्सली कमांडर या सदस्यों के एनकाउंटर की खबरें जारी करती रहती है, जबकि नक्सली संगठन इन दावों का खंडन करते हुए अपनी ओर से अलग कहानी पेश करते हैं। यह नया पत्र इस पुरानी कशमकश को और गहराता है और एनकाउंटर की सत्यता पर सवाल खड़े करता है।

सुकमा जिला लंबे समय से माओवादी गतिविधियों का गढ़ रहा है। यहाँ सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच आए दिन मुठभेड़ होती रहती है। पुलिस इन कार्रवाइयों को नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी सफलता के तौर पर पेश करती है, वहीं नक्सली इसे अपनी विचारधारा के खिलाफ पुलिस का दमन बताते हैं। हिड़मा जैसे बड़े माओवादी नेताओं का मारा जाना पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है, लेकिन माओवादियों का यह पत्र इस उपलब्धि पर सवालिया निशान लगाता है।

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