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Chhattisgarh: स्कूलों में प्रिंसिपल रखेंगे आवारा कुत्तों पर नजर, कांग्रेस बोली- शिक्षकों पर अनावश्यक बोझ
अमर उजाला नेटवर्क, रायपुर
Published by: अमन कोशले
Updated Mon, 24 Nov 2025 06:03 PM IST
सार
नई गाइडलाइन पर विपक्षी दल कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। पार्टी का कहना है कि सरकार लगातार शिक्षकों पर गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियाँ डाल रही है, जिससे शिक्षा प्रभावित हो रही है।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों के बाद स्कूल सुरक्षा से जुड़ी नई गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत अब स्कूल परिसर में या उसके आसपास दिखने वाले आवारा कुत्तों की जानकारी सम्बंधित विभाग को देना स्कूल के प्रिंसिपल की ज़िम्मेदारी होगी।
हर स्कूल के प्रधानाचार्य या संस्थान प्रमुख को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो परिसर में आवारा कुत्तों की मौजूदगी पर निगरानी रखते हुए ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगर निगम के डॉग कैचर नोडल अधिकारी को रिपोर्ट करेंगे। नई गाइडलाइन में स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे कुत्तों को कैंपस में आने से रोकने के लिए सुरक्षा बैरियर और अन्य उपाय सुनिश्चित करें।
किसी स्टूडेंट को कुत्ता काटने की स्थिति में स्कूल प्रशासन को तुरंत बच्चे को नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना होगा, ताकि समय पर उपचार और वैक्सीनेशन हो सके। विभाग के अनुसार, इन उपायों का उद्देश्य स्कूलों में छात्रों के लिए सुरक्षित, तनाव-मुक्त और सहयोगी वातावरण सुनिश्चित करना है।
कांग्रेस ने जताई आपत्ति
नई गाइडलाइन पर विपक्षी दल कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। पार्टी का कहना है कि सरकार लगातार शिक्षकों पर गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियाँ डाल रही है, जिससे शिक्षा प्रभावित हो रही है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आवारा जानवरों को नियंत्रित करना शहरी निकायों और पंचायतों का कार्यक्षेत्र है। उनके पास इसके लिए टीम, डॉग कैचर और तकनीकी क्षमता होती है। शिक्षकों पर यह जिम्मेदारी डालना अनुचित है।
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक पहले ही मतदाता सूची सुधार कार्य में BLO की भूमिका निभा रहे हैं, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।
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हर स्कूल के प्रधानाचार्य या संस्थान प्रमुख को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो परिसर में आवारा कुत्तों की मौजूदगी पर निगरानी रखते हुए ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगर निगम के डॉग कैचर नोडल अधिकारी को रिपोर्ट करेंगे। नई गाइडलाइन में स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे कुत्तों को कैंपस में आने से रोकने के लिए सुरक्षा बैरियर और अन्य उपाय सुनिश्चित करें।
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किसी स्टूडेंट को कुत्ता काटने की स्थिति में स्कूल प्रशासन को तुरंत बच्चे को नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना होगा, ताकि समय पर उपचार और वैक्सीनेशन हो सके। विभाग के अनुसार, इन उपायों का उद्देश्य स्कूलों में छात्रों के लिए सुरक्षित, तनाव-मुक्त और सहयोगी वातावरण सुनिश्चित करना है।
कांग्रेस ने जताई आपत्ति
नई गाइडलाइन पर विपक्षी दल कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। पार्टी का कहना है कि सरकार लगातार शिक्षकों पर गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियाँ डाल रही है, जिससे शिक्षा प्रभावित हो रही है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आवारा जानवरों को नियंत्रित करना शहरी निकायों और पंचायतों का कार्यक्षेत्र है। उनके पास इसके लिए टीम, डॉग कैचर और तकनीकी क्षमता होती है। शिक्षकों पर यह जिम्मेदारी डालना अनुचित है।
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक पहले ही मतदाता सूची सुधार कार्य में BLO की भूमिका निभा रहे हैं, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।